15 मई को जब राजस्थान के उदयपुर में कांग्रेस का चिंतन शिविर समाप्त हुआ तो एक ऐसी राजनीतिक सरगर्मी सामने आयी जिसने रणभूमि का सियासी तापमान बढ़ गया। इस दिन राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को लेकर सीधा बेणेश्वर धाम पहुंचे। आदिवासियों के प्रयाग कहे जाने वाले बेणेश्वर धाम के बड़े सियासी मायने निकले जा रहे है। यहा दोनों ने केवल बेणेश्वर धाम परिसर में स्थित वाल्मीकि मंदिर, बेणेश्वर शिवालय, राधा कृष्ण मंदिर और ब्रह्मा मंदिर में दर्शन किए और बेणेश्वर पीठाधीश्वर गोस्वामी महंत अच्युतानंद महाराज से मुलाकात की। इस दौरान दोनों ने पूजा अर्चना कर देश की खुशहाली की भी कामना की।
इस दौरान एक पुल का शिलान्यास भी किया गया। साबला से बांसवाड़ा की तरफ इस पुल की लंबाई 1,345 मीटर व भटवाड़ा से बेणेश्वर की तरफ पुल की लंबाई 386.50 मीटर होगी। मुख्यमंत्री ने वर्ष 2021-22 के बजट भाषण में इस पुल के निर्माण की घोषणा की थी। करीब 132.35 करोड़ रुपये की लागत से बनने वाले इस पुल के द्वारा बेणेश्वर धाम के श्रद्धालु डूंगरपुर-बांसवाड़ा सड़क से सीधे बेणेश्वर धाम पहुंच पाएंगे। इससे पुरे वर्ष आवागमन संभव हो पाएगा।
इन दोनों कार्यकर्मो से कांग्रेस ने गुजरात और राजस्थान के आदिवासी मतदाताओं को साधने की रणनीति चली है। आदिवासियों को अपने पक्ष में लाने के लिए राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की रणनीति को कांग्रेस पार्टी की ओर से अमल में लाया जा रहा है। मुख्यमंत्री गहलोत पहले गुजरात कांग्रेस के प्रभारी रह चुके है। वह गुजरात की राजनीति को अच्छी तरह से समझते है। इसके चलते ही कांग्रेस उनकी इस रणनीति को लेकर चलना चाहती है। बेणेश्वर धाम का यह दौरा भी इसी रणनीति का हिस्सा बताया जा रहा है।
गौरतलब है कि राजस्थान में अगले वर्ष चुनाव होने हैं। बहरहाल , कांग्रेस आदिवासी मतदाताओं को साधने की पुरजोर कोशिश में जुटती दिखाई दे रही है। कांग्रेस राजस्थान के आदिवासी मतदाताओं को साधकर एक तीर से दो निशाने साधने की कोशिश में जुटी है। आदिवासियों के राजस्थान में उदयपुर, डूंगरपुर, बांसवाड़ा , प्रतापगढ़ और पाली जैसे जिले आते हैं, जो आदिवासी बेल्ट के तौर पर जाने जाते है। इस बेल्ट में भाजपा को पूर्व में झटका लगा है। राजस्थान की इस आदिवासी बेल्ट में कई दशकों से कांग्रेस को समर्थन मिलता रहा है।
इसी के साथ गुजरात के आदिवासी मतदाता भी है वो भी इसी बेल्ट से जुड़े हुए है। ऐसे में जबकि राजस्थान से पहले गुजरात में चुनाव होने है तो कांग्रेस चाहती है कि वह आदिवासी बेल्ट में अपने आप को मजबूत कर भाजपा को करारा जवाब दे सके। हालाँकि दूसरी तरफ भाजपा की नजर भी आदिवासी मतदाताओं पर टिकी हुई है। भाजपा इस बेल्ट में जल्दी ही गृह मंत्री अमित शाह का दौरा शुरू करने की तैयारी कर रही है।