पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव होने में कुछ ही महीनों का समय बाकी है। लेकिन इस दौरान इस राज्य पर फतह करने के लिए कई राजनीतिक पार्टियां मैदान में जोर आजमाइश कर रही है। इनमें सबसे आगे भारतीय जनता पार्टी दिखाई दे रही है । हालांकि धरातल पर उसकी कितनी स्थिति मजबूत है वह तो समय ही बताएगा। लेकिन फिलहाल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से लेकर गृह मंत्री अमित शाह और राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा का पूरा ध्यान पश्चिम बंगाल चुनाव पर केंद्रित हो गया है।
इसी दौरान असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी आईएमआईएम भी पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ने का बिगुल बजा चुकी है । बिहार विधानसभा चुनाव में ओवैसी को मिली सफलता से वह अति उत्साहित हैं । इसके चलते ही उन्होंने पश्चिम बंगाल को अगला लक्ष्य मानते हुए चुनाव लड़ने की घोषणा की है। लेकिन ओवैसी के चुनाव लड़ने पर किसको फायदा होगा और किस को नुकसान होगा यह देखना होगा।
राजनीतिक पंडितों का आकलन फिलहाल ओवैसी का पश्चिम बंगाल में चुनाव लड़ना भाजपा के पक्ष में बता रहा है। राजनीतिक पंडित मान रहे हैं कि ओवैसी अल्पसंख्यक समुदाय में जितना ज्यादा ज्यादा गहरी पैठ बनाएंगे और हिंदू विरोधी बयान जारी करेंगे उतना ही पश्चिम बंगाल में भाजपा को फायदा होगा। ऐसे समय में पश्चिम बंगाल में सत्तारूढ़ टीएमसी को नुकसान होने की संभावना है । क्योंकि ओवैसी टीएमसी के अल्पसंख्यक समुदाय में सेंध लगा सकते हैं।
माना यह भी जा रहा है कि बिहार के सीमावर्ती पश्चिम बंगाल के इलाकों में ओवैसी का खासा असर सामने आ सकता है। इस इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय का वोट ओवैसी की पार्टी को जा सकता है। हालांकि भाजपा और ओवैसी की पार्टी के अलावा वह वाम दल और कांग्रेस भी चुनाव लड़ रही है ।
फिलहाल, पश्चिम बंगाल की स्थिति को देखें तो मुकाबला टीएमसी और भाजपा में ही होता हुआ नजर आ रहा है ।चुनाव के बाद क्या परिस्थितियां होंगी यह समय ही बताएगा।