लोकसभा चुनाव 2019 में करारी हार के बाद राहुल गांधी के इस्तीफे के बाद से देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस में राष्ट्रीय अध्यक्ष को लेकर घमासान देखने को मिला। इसके बाद काफी मंथन के बाद पार्टी ने राष्ट्रीय अध्यक्ष पद पर अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी का कार्यकाल छह महीने के लिए बढ़ा दिया था। इस बीच चुनाव कराने के लिए गठित केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण (सीईए) की संगठनात्मक चुनावके लिए अपनाई जाने वाली प्रक्रिया पर चर्चा के मकसद से कल 14 अक्टूबर को बैठक होनी है।
बता दें कि कांग्रेस ने हाल ही में सभी राज्य इकाइयों से प्रतिनिधियों की अपडेटेड लिस्ट भेजने के लिए कहा था। सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस के एक अधिकारी ने कहा कि सीईए ने पार्टी के डेटा और प्रौद्योगिकी विभाग से एआईसीसी सदस्यों के विवरण को सत्यापित करने में मदद करने के लिए भी कहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली में पार्टी के मुख्यालय में कल 14 अक्टूबर को होने वाली बैठक में अध्यक्ष पद के लिए चुनाव की आधारशिला रखी जाएगी और कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) भी शामिल होगी।
इससे पहले 11 सितंबर को एक बड़े संगठनात्मक फेरबदल को अंजाम देते हुए, कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी ने आंतरिक चुनाव कराने के लिए सीईए का गठन किया था। पांच सदस्यीय सीईए का नेतृत्व मधुसूदन मिस्त्री कर रहे हैं और इसके सदस्य राजेश मिश्रा, कृष्णा बायर गौड़ा, एस जोथिमणि और अरविंदर सिंह लवली हैं, जो पिछले महीने सोनिया गांधी को पत्र लिखने वालों में शामिल हैं।
बीते 24 अगस्त को कांग्रेस कार्य समिति (सीडब्ल्यूसी) की बैठक में, सोनिया गांधी और राहुल गांधी दोनों ने एक महीने के भीतर संगठनात्मक चुनाव कराने के लिए पार्टी के सर्वोच्च निर्णय लेने वाले निकाय से कहा था, लेकिन गुलाम नबी आज़ाद सहित कुछ सदस्यों ने कहा कि महामारी के कारण संभव नहीं है। अंत में, आंतरिक चुनावों को पूरा करने के लिए छह महीने की ऊपरी सीमा तय की गई।
इस मामले पर राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक संगठनात्मक चुनाव किसी भी राजनीतिक दल के आंतरिक लोकतंत्र के लिए अच्छे हैं। कांग्रेस में, नामांकन कई दशकों से एक अभिन्न अंग बन गया था। किसी भी पार्टी पद के लिए चुनाव कराना अच्छा है, लेकिन कांग्रेस को सभी महत्वपूर्ण मुद्दों पर आंतरिक चर्चा की प्रक्रिया को मजबूत करने की कोशिश करनी चाहिए।