इस दौरान देश में कोरोना महामारी को लेकर जनता वैसे ही परेशान है, उधर दिन पर दिन देश में ऐसी खबरें मिल रही है जो हैरत में डालने वाली है। कुछ दिन पहले ही 26000 करोड़ से अधिक का कर्जा बट्टे खाते में डालने की खबरें मिलने के बाद अब और एक चितनीय मामला सामने आ रहा है।
जिसमें दिल्ली की रामदेव इंटरनेशनल कंपनी ने देश के 6 बैंकों को 414 करोड़ से अधिक का चूना लगाया। यही नहीं बल्कि कंपनी के इस फर्जीवाड़े को 4 साल तक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने छुपाए रखा। बात यही तक नहीं है बल्कि चार साल तक कोई शिकायत भी नहीं की गई। फिलहाल इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई के समक्ष तीन माह पूर्व यह रहस्योद्घाटन किया था। फिलहाल सीबीआई जांच चल रही है।
सीबीआई ने ही यह मामला मीडिया के सामने उजागर किया है। हालांकि, कंपनी के खिलाफ लुकआउट नोटिस जारी कर दिए गए हैं । लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि वर्ष 2016 में ही कंपनी मालिक जब विदेश भाग गए थे तो इसको छुपाया क्यों गया? आखिर किस की शह पर इन डिफाल्टरों की काली करतूतों पर पर पर्दा डालने का काम किया गया? क्योंकि बिना शह के चार साल तक 400 करोड़ से अधिक घपले के मामले को छुपाए रखना संभव नहीं है।
दरअसल, बासमती चावल का व्यापार करने वाली बड़ी कंपनी रामदेव इंटरनेशन लिमिटेड के मालिक पर आरोप लगा है कि, उन्होंने भारत के सबसे बड़े बैंक स्टेट बैंक ऑफ इंडिया समेत कई अन्य बैंकों से लगभग 414 करोड़ रुपये का लोन लिया था । लेकिन वह बिना उस लोन की राशि चुकाए चुपचाप विदेश भाग गया।
हालांकि, इस मामले में किसी को कोई जानकारी नहीं थी इसलिए खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं की गई। न ही चार सालों तक कोई शिकायत की गई, लेकिन अब इस मामले में कार्यवाही शुरू की गई तो, पता चला है कि कंपनी का मालिक विदेश भाग गया है।
गौरतलब है कि इस मामले में स्टेट बैंक ऑफ इंडिया द्वारा फरवरी में सीबीआई से शिकायत की गई। तब सीबीआई ने कंपनी के मालिक और उसके चार निदेशकों के खिलाफ मामला दर्ज कर 28 अप्रैल को कार्यवाही शुरू की। जांच में सामने आया कि, रामदेव कंपनी के मालिक ने स्टेट बैंक ऑफ इंडिया सहित अन्य 6 बैंकों से भी लोन लिया था और वह खुद साल 2016 से ही लापता है। उसके बारे में किसी को कोई जानकारी नहीं है। साथ ही साल 2016 में ही यह कंपनी एनपीए घोषित हो चुकी है।
जानकारी के अनुसार, रामदेव इंटरनेशन कंपनी पर कुल 414 करोड़ रुपये का कर्ज था। जो उसने कई बैंकों से उधार लिए हैं। इस रकम में निम्नलिखित बैंको की राशि शामिल है…
SBI बैंक – 173.11 करोड़ रुपये
केनेरा बैंक – 76.09 करोड़ रुपये
यूनियन बैंक ऑफ इंडिया – 64.31 करोड़ रुपये
सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया – 51.31 करोड़ रुपये
कारपोरेशन बैंक – 36.91 करोड़ रुपये
IDBI बैंक – 12.27 करोड़ रुपये
सीबीआई के द्वारा रामदेव इंटरनेशन कंपनी के डायरेक्टर नरेश कुमार, सुरेश कुमार, संगीता और कुछ अन्य सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी समेत कई आरोप लगते हुए मामला दर्ज किया गया है।
स्टेट बैंक ऑफ इंडिया का कहना है कि, साल 2016 में बैंक द्वारा किए गए ऑडिट में सामने आया है कि इन सभी लोगों के अकाउंट में गड़बड़ी पाई गई थी। इतना ही नहीं बैंलेंस शीट में धोखाधड़ी और गैर कानूनी तरीके से प्लांट को हटा और मशीनरी को हटा दिया गया था, जिससे गैरकानूनी तरीके से बैंक फंड में लागत को काम किया जा सके। बैंक ने जब जांच की तो पता चला कि कंपनी के सदस्य फरार थे। जो विदेश में भाग गए है।