“औकात का तो वक्त आने पर पता चलता है, रात को गीदड़ कितना भी चिल्ला ले लेकिन सुबह तो शेर का ही दबदबा होता है।”
यह कहना है युद्धवीर सिंह का। युद्धवीर सिंह किसान आंदोलन में प्रमुख रूप से उभर कर सामने आए है। खासकर उस समय जब गुरू पूर्णिमा के दिन देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विवादास्पद तीन कृषि बिल वापिस ले लिए थे। तब प्रधानमंत्री मोदी को ही नहीं बल्कि समस्त केंद्र सरकार की केबिनेट और भाजपा को पूरा यकीन था कि अब किसान अपना आंदोलन वापिस ले लेंगे। लेकिन उम्मीद के मुताबिक ऐसा हुआ नहीं बल्कि आंदोलनकारी किसान नेताओ का हौसला पहले से ज्यादा बढ़ गया। इतना ही नहीं आंदोलनकारी किसान नेताओ ने आंदोलन और तेज करने का ऐलान कर दिया था।
ऐसे में केंद्र सरकार की घबराहट बढ़ गई। तब प्रधानमंत्री मोदी ने किसान आंदोलन को समेटने का जिम्मा देश के गृह मंत्री अमित शाह को सौपा। राजनीति के चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह ने आगे बढ़कर इस मामले में युद्धवीर सिंह के कंधे पर हाथ रख आंदोलन को थामने की रणनीति अपनाई। कहा जाता है कि अमित शाह ने पर्दे के पीछे से युद्धवीर सिंह को साधकर किसान आंदोलन को खत्म करने की तरफ कदम बढ़ाए थे। बताया जाता है कि भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के दाहिना हाथ कहे जाने वाले युद्धवीर सिंह के बलबूते केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह अपने मंसूबो में कामयाब हुए। अमित शाह बखूबी जानते थे राकेश टिकेत को समझाना टेड़ी खीर है। जबकि उनके सलाहकार के तौर पर काम कर रहे युद्धवीर सिंह के माध्यम से केंद्रीय गृह मंत्री किसान आंदोलन में रणनीति बनाने में कामयाब हुए।
युद्धवीर मूल रूप से दक्षिणी दिल्ली के महिपालपुर गांव से है। ऑल इंडिया जाट महासभा से संबंध रखने वाले युद्धवीर सिंह की उम्र 60 वर्ष है। मूल रूप से खेती करने वाले युद्धवीर सिंह तथ्यात्मक विश्लेषण करने वाले शांत और सौम्य व्यवहार के लिए जाने जाते है । उन्होंने पोस्ट ग्रेजुएशन किया है। वह राष्ट्रीय लोकदल के राष्ट्रीय महासचिव भी रह चुके हैं। अभी वह भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय महासचिव हैं।
किसान आंदोलन की अहम आवाज बने युद्धवीर सिंह ने लंबे अर्से से आंदोलन आदि के जरिए संघर्ष किया हैं। युद्धवीर सिंह ने देश के पूर्व प्रधानमंत्री रहे चौधरी चरण सिंह के अलावा राष्ट्रीय किसान नेता महेंद्र सिंह टिकैत के साथ भी काम किया है। वह अपनी युवावस्था में ही पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह के साथ जुड़ गए थे। वह जाट महासभा के महासचिव हैं। जाट आरक्षण आंदोलन में युद्धवीर सिंह काफी सक्रिय रहे थे।
मौजूदा समय में वह राकेश टिकैत के साथ मिलकर सरकार के खिलाफ आंदोलन चला रहे थे । फिलहाल युद्धवीर सिंह सयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय समिति के सदस्य भी है। पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसानो के बीच युद्धवीर सिंह काफी लोकप्रिय है। यही वजह है कि सयुक्त किसान मोर्चा की पांच सदस्यीय टीम में उन्हें उत्तर प्रदेश से शामिल किया गया है। यह समिति सरकार द्वारा एमएसपी पर कानून बनाने का सुझाव देगी।