- प्रियंका यादव
भारतीय समाज के ताने बाने को बिगाड़ने को लेकर जिस तरह की हरकतें पिछले कुछ वर्षों से की जा रही हैं, वैसा शायद आजादी के बाद अब तक नहीं हुआ है। सांप्रदायिकता की आंच में समाज जलता तो था, लेकिन इस कदर नहीं जलता था जैसा अब जल रहा है। लग रहा है कि हम एक ऐसे दौर में प्रवेश कर चुके हैं जहां पर नफरत और सांप्रदायिकता का कारोबार चल रहा है। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कौन बो रहा है नफरत के बीज?
पिछले कुछ वर्षों से देश में मॉब लिंचिंग के बढ़ते हिंसक मामलों से देशभर में सांप्रदायिक तनाव बढ़ रहा है। गोमांस के नाम पर मुस्लिमों को हिंसक मॉब लिंचिंग का लगातार शिकार बनाया जा रहा है। महाराष्ट्र में पिछले एक महीने से कई मामले सामने आए हैं। इन मॉब लिंचिंग के पीछे हिंदुत्व संगठन आरएसएस और बजरंग दल का नाम सामने आ रहा है। महाराष्ट्र भी साम्प्रदायिक मॉब लिंचिंग के मामलों में अपना नंबर सूची में दर्ज कराने के लिए बढ़ रहा है। लेखक रवि शंकर दुबे के एक लेख मुताबिक महाराष्ट्र में कई राजनीतिक दल हैं, लेकिन मजाल है कि हिंदुत्व के हिंसक कामों के खिलाफ कोई कुछ बोल दे। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि आखिर कौन बो रहा नफरत के बीज?
महाराष्ट्र के नासिक जिले में गोमांस की तस्करी करने के संदेह में गोरक्षकों के एक समूह द्वारा एक व्यक्ति की 24 जून को कथित तौर पर पीट-पीटकर हत्या कर दी गई। मृतक अफान अब्दुल माजिद अंसारी की मां पुलिस प्रशासन से मांग कर रही है कि ‘हमारे बच्चे के साथ जो हुआ, वे किसी और के साथ न हो, अगर किसी को पकड़ा भी है तो इतनी बुरी तरह से मत मारो, पुलिस है, सरकार है, वे अपना काम करेंगे। अगर आरएसएस और बजरंग दल वाले ऐसा करेंगे तो सरकार का क्या काम है?’ इस तरह की बढ़ती हिंसा ने पुलिस प्रशासन और सरकार के वजूद पर सवाल खड़ा कर दिया है।
दरअसल, मुंबई के कुर्ला के 32 साल के पीड़ित अफान अब्दुल माजिद अंसारी अपने साथी नाशिर शेख के साथ एक कार में 24 जून को मांस लेकर जा रहे थे। उस दौरान करीब 15 लोगों के समूह ने डंडों से दोनों को गोमांस के नाम पर पीट दिया। पुलिस के मुताबिक अंसारी और उसके साथी को घायल अवस्था में अस्पताल में भर्ती कराया गया। लेकिन उनकी जान नहीं बच पाई। इस पूरी घटना की शिकायत शेख द्वारा पुलिस से की गई थी। शेख की शिकायत पर पुलिस ने मामला दर्ज कर लिया। सीसीटीवी फुटेज और लोकेशन के आधार पर 11 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। मृतक के परिजन ने आरएएस और गौरक्षकों पर अंसारी की हत्या का आरोप लगाया है। खबरों के अनुसार पिछले कुछ सालों से बजरंग दल की कथित गुंडागर्दी बढ़ती जा रही है। इन संगठनों पर कई बार हिंसात्मक गतिविधियों को करने के आरोप लगाए जा चुके हैं। अंसारी हत्या में भी इस संगठन पर आरोप लगाए जा रहे हैं। मृतक अंसारी के मामा मोहम्मद असगर का कहना है कि दोनों बच्चों के साथ गौरक्षक और आरएसएस वाले थे। जो करीब 26 लोग थे, इन सभी ने अफान अब्दुल माजिद अंसारी और उसके दोस्त नसीर गुलाम हुसैन कुरैशी को टोल नाके से उठा लिया और दूसरी जगह ले गए, उन्हें रस्सी से बांध कर तीन घंटे तक मारा। असगर के मुताबिक जिस गाड़ी से बच्चे आए थे उसमें कोई गोमांस नहीं था, केवल शक के आधार पर पिटाई की गई। मृतक के मामा कहते हैं की सरकार ने आरएसएस और बजरंग दल को खुला छोड़ रखा है।
इनकी गुंडई बढ़ती जा रही है। महाराष्ट्र में यह ऐसा पहला मामला नहीं है। गोमांस के नाम पर मॉब लिंचिंग पहले भी इस राज्य में हो चुके हैं। इससे पहले राज्य में जो इस तरह की वारदात हुई थी वह नासिक जिले से करीब 25 किलोमीटर दूर थी। ठाणे जिले में एक समूह ने मवेशी ले जा रहे दो मुस्लिम युवकों को पीटा था। जिसमें से एक 23 वर्षीय युवक लुकमान अंसारी की दो दिनों बाद 10 जून को लाश बरामद हुई थी। इस मामले में भी एक हिन्दूवादी संगठन का नाम सामने आया था। इस वारदात में 6 लोगों को गिरफ्तार किया गया था। पुलिस ने सभी मुजरिमों को राष्ट्रीय बजरंग दल का सदस्य बताया था। इससे भी पहले की बात करें तो इसी राज्य के परभणी में एक घटना हुई थी। जिसमें बकरी चोरी के नाम पर तीन बच्चों को इतना पीटा गया कि एक की मौत हो गई, जबकि दो बच्चे गंभीर रूप से घायल हुए थे।
ये तो सिर्फ महाराष्ट्र की घटनाएं हैं। देशभर में ऐसे कई राज्य हैं जहां आए दिन इस तरह की सांप्रदायिक मॉब लिंचिंग को अंजाम दिया जाता है। पिछले कुछ सालों में देश के कई राज्यों में गोमांस के नाम पर इसी तरह लोगों को मार दिए जाने की कई घटनाएं सामने आई हैं। महाराष्ट्र के अलावा झारखंड, उत्तर प्रदेश, बिहार, उत्तराखण्ड, जम्मू और कश्मीर जैसे राज्यों में मॉब लिंचिंग से कई हत्याएं हो चुकी हैं। इसी संदर्भ में डी डब्लू की रिपोर्ट मुताबिक राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने पिछले साल चार जुलाई को मुस्लिम राष्ट्रीय मंच से एक कार्यक्रम में कहा था कि ‘हिंदुस्तान हिन्दू राष्ट्र है, गौ माता पूज्य है लेकिन मॉब लिंचिंग करने वाले लोग हिंदुत्व के खिलाफ जा रहे हैं।’
इसी प्रकार की बढ़ती वारदातों को लेकर साल 2018 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा एक याचिका पर फैसला सुनाते हुए राज्यों को व्यापक स्तर पर दिशा-निर्देश दिए गए थे। दिशा-निर्देश में कहा गया था कि हर जिले में पुलिस के एक विशेष दस्ते का गठन किया जाए, ज्यादा से ज्यादा मॉब लिंचिंग मामलों वाले इलाकों की पहचान की जाए। जागरूकता कार्यक्रम रेडियो टीवी पर चलाए जाए। इसके अलावा केंद्र सरकार को यह भी निर्देश दिया गया था कि मॉब लिंचिंग हिंसा के खिलाफ एक नया कानून लेकर आए। हालांकि केंद्र सरकार द्वारा अभी तक ऐसा कोई कानून नहीं बनाया गया। जिस वजह से साल दर साल ऐसे कई मामले सामने आते रहते हैं।
जुनैद हत्या: इसी साल फरवरी 2023 में हरियाणा के भवानी जिले से एक खबर सामने आई थी। राजस्थान के भरतपुर जिले के घाटमिका गांव के रहने वाले जुनैद और नासिर की कथित तौर पर कुछ गो रक्षकों ने गोमांस के नाम पर उन्हें एक कार में जला कर मार दिया। जुनैद और नासिर को राजस्थान से अपहरण कर उन्हें मार-पीटकर हरियाणा के फिरोजपुर झिरका पुलिस थाने में ले जाया गया। बीबीसी की रिपोर्ट मुताबिक परिवार ने पुलिस पर आरोप लगाया कि उन्होंने नासिर और जुनैद की एक नहीं सुनी और उन्हें अपनी कस्टडी में लेने की बजाय कथित गो रक्षकों के ही हवाले कर दिया। गोरक्षक दोनों को लेकर लापता हो गए। जिसके बाद 15-16 फरवरी की दरम्यानी रात, करीब 12.30 बजे- फिरोजपुर झिरका पुलिस स्टेशन से करीब 200 किलोमीटर दूर हरियाणा के भिवानी जिले के बरवास गांव में जुनैद और नासिर को कार के साथ जला दिया गया। पीड़ित परिवार की तरफ से दर्ज एफआईआर में मोनू मानेसर का नाम सामने आया था। हालांकि खुद को हरियाणा में बजरंग दल के गोरक्षा प्रांत प्रमुख बताने वाले मोनू मानेसर ने सोशल मीडिया के जरिए सभी आरोपों को निराधार बताया था।
पहलू खान: इसी तरह की वारदात राजस्थान में साल 2017 में भी हुई थी। जिसमें 1 अप्रैल, 2017 को कथित तौर पर गो तस्करी कर रहे पहलू खान, उनके दो बेटों सहित चार लोगों पर जानलेवा हमला किया गया था। जिसमें पहलू खान की मृत्यु हो गई थी। राजस्थान की पुलिस पर बड़ा सवालिया निशान लगाते हुए अलवर के सत्र न्यायालय ने पहलू खान की हत्या के सभी 6 अभियुक्तों को संदेह का नाम देते हुए बरी कर दिया था। 55 वर्षीय पहलू खान पेशे से पशु पालक थे। निचली अदालतों से विपिन यादव, रविंदर कुमार, कुल्लूराम, दयानन्द, योगेश कुमार और भीम राठी को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया गया था। उसके बाद राज्य सरकार ने अक्टूबर में उच्च न्यायालय का दरवाजा खटखटाया था। पालघर मॉब लिंचिंग: पालघर मॉब लिंचिंग मामला, जिसमें 2020 में महाराष्ट्र के पालघर जिले में जूना अखाड़े के दो हिंदू साधुओं और उनके ड्राइवर को पीटा गया था क्योंकि व्हाट्सएप पर अफवाह फैलने के बाद उन तीनों को बच्चा चोर समझ लिया गया था कि कई अपराधी इलाके में घूम रहे थे।
जब पुलिस ने हस्तक्षेप किया और उन्हें कानून अपने हाथ में लेने से रोकने की कोशिश की तो भीड़ ने उनकी भी पिटाई की। इसके परिणामस्वरूप महाराष्ट्र प्रशासन की व्यापक निंदा और प्रतिक्रिया हुई। बाद में 115 ग्रामीणों को आपराधिक आरोप में हिरासत में लिया गया, लेकिन उन सभी ने खुद को निर्दोष बताते हुए दावा किया कि उन्होंने साधुओं और ड्राइवरों को अपहरणकर्ता और अंग निकालने वाले गिरोह समझ लिया था। भिवंडी मॉब लिंचिंग: यह एक लिंचिंग का मामला है जिसमें महाराष्ट्र के ठाणे जिले के भिवंडी क्षेत्र के दो पुलिस कॉन्स्टेबलों की एक भीड़ ने हत्या कर दी थी, जिसमें मुख्य रूप से मुस्लिम शामिल थे। इसकी व्याख्या पुलिस द्वारा दो मुस्लिम पुरुषों की हत्या के प्रतिशोध के रूप में की गई। मुस्लिम पुरुषों की हत्या से लोगों का खून इस हद तक उबल गया कि उन्होंने दोनों कॉन्स्टेबलों की चाकू मारकर हत्या कर दी।
गोमांस संबंधित मुद्दे 2010 से लेकर 2017 तक बढे़ समाचार पोर्टल इंडिया स्पेंड (www.indiaspend.org) में प्रकाशित एक समाचार के अनुसार साल 2010 से लेकर साल 2017 में गोजातीय मुद्दों पर केंद्रित 51 फीसदी हिंसा का लक्ष्य मुसलमान थे। 63 घटनाओं में मारे गए 28 भारतीयों में से 86 प्रतिशत मुस्लिम थे। यानी सात साल की अवधि में मरने वाले 28 लोगों में से 24 मुस्लिम थे। इन हमलों में 124 लोग घायल भी हुए थे। विश्लेषण में पाया गया था कि इनमें से आधे से अधिक 52 फीसदी हमले अफवाहों पर आधारित थे। वहीं वर्ष 2015 में 28 सितंबर को दादरी के बिसाहड़ा गांव में गोमांस खाने की एक अफवाह ने अखलाक की जान ले ली थी। लाउडस्पीकर के माध्यम से फैलाई गई एक अफवाह के चलते लाठी-सरिया से लैस भीड़ मोहम्मद अखलाक के घर धावा बोलती है। करीब 50 साल के अखलाक की इतनी पिटाई होती है कि उनकी जान चली जाती है। वह अफवाह यह थी कि बकरीद के मौके पर मोहम्मद अखलाक के परिवार ने गाय की हत्या की है और गोमांस खाया है, अब भी उसके घर में गोमांस रखा है। अखलाक की हत्या की सुर्खियां देश-विदेश की मीडिया में बनी रही।
इंडिया स्पेंड के अनुसार 2017 के पहले छह महीनों में, 20 मामले गोमांस हमले पर आधारित दर्ज किए गए। 2016 के आंकड़ों का 75 प्रतिशत से अधिक, जो 2010 के बाद से इस तरह की हिंसा के लिए सबसे खराब वर्ष था। हमलों में मॉब लिंचिंग, गो रक्षकों द्वारा हमले, हत्या गाय से संबंधित हिंसा के लगभग आधे मामले 63 में से 32 उस समय भाजपा शासित राज्यों से थे। आठ कांग्रेस द्वारा चलाए गए, और बाकी समाजवादी पार्टी (उत्तर प्रदेश), पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (जम्मू-कश्मीर) और आम आदमी पार्टी (दिल्ली) सहित अन्य दलों द्वारा चलाए गए।