राहुल गांधी के कार्यालय में नॉन पॉलिटिकल लोगों का जमावड़ा लगा है। एमबीए पास लोग उनके सलाहकार है। वह हवाई यात्रा की व्यवस्था तो कर सकते हैं पर राजनीतिक समझ उनमें नहीं है। राहुल गांधी का भाषण महिलाओं को समझ में नहीं आता। बिहार में चुनाव हार का कांग्रेस को आत्ममंथन करना चाहिए। अति आत्मविश्वास बिहार चुनाव में कांग्रेस को ले डूबी।
– फुरकान अंसारी, पूर्व सांसद कांग्रेस
पार्टी के अंदर लोकतंत्र को और देश में लोकतंत्र और विकास के माध्यम से देश आगे बढ़े । इन विषयों पर सार्थक चर्चा जरूर होनी चाहिए। देश की जनता के मुंह पर कोई चेपी नहीं लगा सकता कि राहुल गांधी छुट्टी क्यों मना रहे हैं । जब चर्चा चुनाव की हो रही है तब राहुल गांधी नदारद है। इन विषयों पर देश के लोग तो चर्चा करेंगे ही ।
– संबित पात्रा, प्रवक्ता भाजपा
राहुल गांधी ने अखिलेश यादव के बाद अब तेजस्वी यादव का फ्यूचर खराब कर दिया।
– मनोज तिवारी, सांसद भाजपा
इस समय लगभग हर तीसरे नेता की जुबान पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी की चर्चा है। विरोधी दल के नेता उन्हें बिहार की हार पर घेर रहे है तो उनकी पार्टी की विशेष समिति टीम उन्हें अपनी पार्टी का सिरमौर नेता बनाने की रणनीति बना रही है। चर्चा को बल उस समय मिला जब बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस को अपेक्षित सफलता नहीं मिली । बिहार विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के चुनाव प्रचार के ब्रांड एंबेसडर राहुल गांधी ही थे। राहुल गांधी के बल पर महागठबंधन बिहार में सत्ता वापसी के सपने देख रहा था। लेकिन उनके यह सपने धराशाही हो गए ।
हालांकि गठबंधन के नए नेता तेजस्वी यादव मजबूती के साथ सामने आए हैं। लेकिन वहीं दूसरी तरफ राहुल गांधी को लेकर उनकी पार्टी और भाजपा के नेताओं ने सवालिया निशान लगाने शुरू कर दिए हैं।
राहुल गांधी पर राजनीतिक रूप से लग रहे ये सवालिया निशान इस समय काफी महत्व रखते हैं। महत्व इसलिए कि देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस के अध्यक्ष का 3 माह बाद चुनाव होना है । फिलहाल सोनिया गांधी अंतरिम अध्यक्ष के पद पर सुशोभित है।

सोनिया गांधी सहित प्रियंका गांधी और गांधी परिवार के वफादार नेता चाहते हैं कि राहुल गांधी एक बार फिर पार्टी का मुखिया पद संभाले। हालांकि कांग्रेस की ही अंदरूनी राजनीति पर गौर फरमाएं तो पता चलेगा कि राहुल गांधी के अलावा पार्टी अध्यक्ष बनने का कोई विकल्प फिलहाल दिखाई नहीं दे रहा है। मंगलवार को विशेष समिति की बैठक में राहुल गांधी को पार्टी अध्यक्ष बनने पर विचार विमर्श हुआ। राहुल गांधी को अध्यक्ष बनने की ख्वाहिश लिए सोनिया गांधी इस मीटिंग से दूर रही।
कांग्रेस के अध्यक्ष पद पर फिलहाल 3 संभावनाएं नजर आ रही हैं । पहली यह कि पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी स्वयं पार्टी की बागडोर संभाले। दूसरा यह है कि वह अपने किसी वफादार के हाथ में पार्टी की कमान सौंपे। जबकि एक तीसरी संभावना भी है वह यह है कि किसी ऐसे व्यक्ति को पार्टी का अध्यक्ष बनाया जाए जो सोनिया, राहुल और प्रियंका की इच्छा अनुसार पार्टी को चलाएं । यानी कि पार्टी का रिमोट गांधी परिवार के हाथ में हो।
फिलहाल की स्थिति को देखें तो राहुल गांधी कांग्रेस मुखिया के रूप में कार्यभार संभालते हैं तो उन्हें सर्वसम्मति से चुने जाने की संभावना ज्यादा है। जबकि अगर कोई दूसरा गैर गांधी परिवार का नेता पार्टी अध्यक्ष बनने की लाइन में आता है तो उसको संगठनात्मक चुनाव की प्रक्रिया से गुजरना होगा । यह गांधी परिवार के प्रति कांग्रेस नेताओं का भावनात्मक लगाव ही है कि राहुल गांधी के अध्यक्ष पद को कोई चुनौती शायद ही देगा । हालांकि बीच-बीच में कपिल सिब्बल जैसे वरिष्ठ नेताओं के द्वारा विरोधी स्वर उठाए जाते रहे हैं। लेकिन कपिल सिब्बल सहित शायद ही किसी बड़े नेता में यह दम हो कि वह खुलकर कोई गांधी परिवार के सामने आए, ऐसा संभव नहीं है।