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डब्लूएचओ; कोरोना के बाद फंगल इन्फेक्शन का बढ़ता खतरा

विश्व में जहां कोरोना का कहर अभी तक ख़तम नहीं हो पाया है वहीं कोरोना जैसे खतरनाक वायरस दुनिया भर में फैलने लगे हैं हालही में विश्व स्वास्थ्य संस्था यानी डब्लूएचओ के द्वारा तेजी से बढ़ रहे 19 प्रकार के फंगल इन्फेक्शन के बारे में बताया गया है। डब्लूएचओ की इस रिपोर्ट में इन इन्फेक्शन्स को कैंसर से भी अधिक खतरनाक बताया गया है।
दरअसल, डब्लूएचओ के मुताबिक, फंगल इन्फेक्शन एक नया ग्लोबल थ्रेट है। यानी कोविड के बाद अब दुनिया को फंगल इन्फेक्शन से ख़तरा है। जैसे वायरल इन्फेक्शन एक वायरस के कारण होता है. फंगल इन्फेक्शन फंगाई के कारण होता है.फंगल इन्फेक्शन्स काफी समय से व्यक्तियों में देखे गए हैं। इन इन्फेक्शन्स को आम इन्फेक्शन मान कर नज़रअंदाज़ कर दिया जाता है, लेकिन डब्लूएचओ की इस रिपोर्ट ने फंगल इन्फेक्शन को जान लेवा बताते हुए उसपर ध्यान देने व समय रहते इलाज कराने के सुझाव दिए हैं।

 

डब्लूएचओ ने 19 ऐसी फंगाई की लिस्ट जारी की है, जो लोगों के लिए काफी खतरनाक हैं। इनमें से कई इतनी खतरनाक हैं कि इन पर दवाईयों का भी कोई असर नहीं देखा गया है। ला-इलाज ये बीमारियां दुनिया भर में तेजी से फेल रही हैं। जिसके लोग बीमार पड़ रहे हैं।

क्या है फंगल इन्फेक्शन

विशेषज्ञों का कहना है कि सबसे ज्यादा इन्फेक्शन फंगस से होते हैं। फंगस हमारे वातावरण में हर तरफ मौजूद होते हैं, और यह फंगस सांस के जरिए हमारे शरीर में एंटर करती है, वैसे तो शरीर की इम्युनिटी हमें इससे होने वाले इन्फेक्शन से बचा लेती है। लेकिन कई बार शरीर फंगस से नहीं लड़ पाता है, जिस वजह से फंगल इन्फेक्शन होता जाता है।

फंगल इन्फेक्शन के प्रकार

आमतौर पर होने वाले फंगल इन्फेक्शन्स में शामिल हैं। जिनके नाम इस प्रकार हैं; कैंडिडा,क्रिप्टोकोकस,एस्परजिलोसिस,म्यूकोरमाइकोसिस,हिस्टोप्लाज्मोसिस आदि प्रकार के होते हैं। इन इन्फेक्शन्स से कई तरह की बीमारियां उत्पन्न होती हैं। यह इन्फेक्शन्स महत्वपूर्ण रूप से कैंडिडा मुंह और वजाइना को निशाना बनाता है। इसमें वजाइना से सफेद डिस्चार्ज शुरू हो जाता है और अकसर बुजुर्गों में मुंह के अंदर सफेद परत के रूप में भी देखा जाता है। साफ सफाई न रखने के कारण भी कैंडिडा इन्फेक्शन हो सकता है। यह इन्फेक्शन जानलेवा भी हो सकते हैं। यह सीधा दिमाग पर हमला कर इन्द्रियों को नुक्सान पहुंचाता है जिसके खतरनाक परिणाम हो सकते हैं। यह इस्तेमाल की हुई सिरिंज को दोबारा इस्तेमाल करने से खून में पहुँचता है जिससे यह फंगस दिमाग तक पहुंचता है।

दूसरी तरफ एस्परजिलोसिस नामक इन्फेक्शन श्वसन तंत्र (रेस्पिरेटरी सिस्टम) पर हमला करता है। इससे नाक और फेफड़े सबसे ज्यादा प्रभावित होते हैं। ये कुछ-कुछ ब्रेड पर लगने वाली फफूंदी की तरह होता है। म्यूकोरमाइकोसिस को ब्लैक फंगस भी कहते हैं। कोविड के समय इसके केस सबसे ज्यादा सामने आए हैं। ये आंखों के नीचे और नाक के अंदर के हिस्से को प्रभावित करता है। कम इम्युनिटी या स्टेरॉइड्स के ज्यादा इस्तेमाल से ब्लैक फंगस का इन्फेक्शन होता है।

हिस्टोप्लाज्मोसिस सबसे ज्यादा संक्रमित करने वाला इन्फेक्शन है। इसमें नाक बहती है और बुखार आता है। कभी-कभी निमोनिया भी होता है। ज्यादातर उत्तर भारत में इसके मामले सामने आते हैं। दाद भी एक तरह का फंगल इन्फेक्शन है। ये टिनिया कॉर्पोरिस नाम की फंगस से होता है। शरीर के ज्यादा गीले रहने वाले हिस्सों में दाद होता है। ये जानलेवा नहीं होता, लेकिन इसका इलाज मुश्किल होता है, तथा यह तेजी से लोगों के शरीर में फैलता है और एक दूसरे के टच से भी काफी तेजी से फैलता है।

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