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WHO ने मंकीपॉक्स को किया ‘ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी’ घोषित

दुनिया अभी कोरोना महामारी के कहर से उबर भी नहीं पाई है कि अब एक नई महामारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। दो साल से अधिक समय से कोरोना का सामना कर रही दुनिया के सामने अब मंकी पॉक्स नाम की मुसीबत आ खड़ी हुई है। अब तक दुनिया भर में 16 हज़ार से ज्यादा मामले आ गए हैं और 5 लोगों की जान जा चुकी है। भारत में भी मंकी पॉक्स दस्तक दे चुका है।

अब तक 75 देशों में वायरस की पुष्टि हो चुकी है। भारत में भी मंकी पॉक्स दस्तक दे चुका है। अकेले भारत में 4 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें 3 केरल में और एक मरीज दिल्ली में है। WHO ने मौजूदा हालात को देखते हुए ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दी है।

डब्ल्यूएचओ के अनुसार, यह कुछ मामलों में गंभीर हो सकता है। दो स्ट्रेन हैं। पहला कांगो और दूसरा पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन। 5 वर्ष से कम उम्र के बच्चों को दोनों में अधिक जोखिम होता है। कांगो स्ट्रेन से संक्रमण में मृत्यु दर 10 प्रतिशत तक हो सकती है, जबकि पश्चिम अफ्रीकी स्ट्रेन में यह 1 से 3 प्रतिशत तक हो सकती है।

यह एक ऐसा वायरस है जो जानवरों में होता है। यह किसी संक्रमित जानवर के संपर्क में आने से इंसानों तक पहुंचता है और फिर इंसान से इंसान और फिर सामुदायिक स्तर पर फैल सकता है। वायरस मरीज के घाव से निकलकर आंख, नाक और मुंह के जरिए दूसरे व्यक्ति तक पहुंच सकता है। यह कुत्तों, बिल्लियों, बंदरों जैसे जानवरों के संपर्क में आने वाले बिस्तरों, कपड़ों से भी फैल सकता है। यह संक्रमित व्यक्ति के करीब आने, हाथ मिलाने से फैल सकता है। सेक्स करने और किस करने के बाद भी यह वायरस फैल सकता है।

मंकीपॉक्स के लिए वैक्सीन

यूरोपीय संघ ने मंकीपॉक्स के इलाज के लिए चेचक के टीके Imvanex को मंजूरी देने की सिफारिश की है। डेनिश दवा निर्माता बवेरियन नॉर्डिक द्वारा विकसित वैक्सीन को चेचक की रोकथाम के लिए 2013 में यूरोपीय संघ में अप्रूवड किया गया था। मंकीपॉक्स वायरस और चेचक वायरस के बीच समानता के कारण इसे मंकीपॉक्स का संभावित टीका भी माना गया है।

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