राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक बार फिर आग की चपेट में है। इस बार 27 लोगों की मौत हुई है जबकि 12 लोग घायल हुए हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, देश में हर दिन लगभग 35 लोगों की मौत आग लगने से होती है।
दरअसल, पश्चिमी दिल्ली के मुंडका इलाके में आग की घटना सामने आई है। इस घटना में अब तक 27 लोगों की मौत हुई है। इसमें कई लोग घायल भी हुए है। इस चार मज़िला इमारत में लोग सिक्योरिटी कैमरे और दूसरे उपकरणों को बनाने का काम करते थे।यह हादसा 13 मई की शाम हुआ था। इस घटना के बाद पुलिस ने कंपनी के दो मालिकों को गिरफ्तार कर लिया है। लेकिन अभी तक आग लगने के कारण का पता नहीं चला है।
दिल्ली पुलिस ने कंपनी के मालिकों पर गैर-इरादतन हत्या का और आपराधिक साजिश रचने का मामला दर्ज किया है जिसमें अधिकतम उम्रकैद या10 साल के जेल की सजा हो सकती है। गिरफ्तार किए गए दोनों शख्स हरीश गोयल और वरुण गोयल भाई हैं।
गौरतलब है कि इस घटना पर दिल्ली अग्निशमन विभाग के निदेशक अतुल गर्ग का कहना है कि आग पहली मंजिल से शुरू हुई और उसके बाद इमारत के बाकी जगह फैल गई। बिल्डिंग में काफी मात्रा में प्लास्टिक और कागज का सामान मौजूद था जिससे आग और भड़की थी। इस घटना में मारे गए सभी 27 लोगों के शव दूसरी मंजिल से प्राप्त हुए हैं। सभी मृतक कंपनी के कर्मचारी थे। वे यहां एक बैठक में शामिल होने के लिए आये थे। कम से कम 50 लोगों को आग लगने के बाद यहां से सुरक्षित बाहर निकाला गया।
उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में इस बिल्डिंग के लिए अग्निशमन विभाग से मंजूरी नहीं ली गई थी। इस पर अग्निशमन विभाग के निदेशक अतुल गर्ग का कहना है कि बिल्डिंग में आग बुझाने वाले यंत्र जैसे सुरक्षा के उपकरण भी नहीं थे। राष्ट्रीय राजधानी में यह पहली बार नहीं है जब सुरक्षा के उपायों में लापरवाही या बदइंतजामी के कारण आग लगी हो। इससे पहले भी इस तरह के घटना पहले भी सामने आते रहे है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली के कई इलाकों में इस तरह के सैकड़ों बल्कि हजारों छोटे-छोटे वर्कशॉप चल रहे हैं जिनमें सुरक्षा उपायों की खुली अनदेखी की जाती है। इसका नतीजा जब-तब आग लगने के हादसों के रूप में सामने आता रहा है।
दिल्ली में आग लगने की घटनाए पहले भी सामने आए है। जो इस प्रकार है।
1. वर्ष 2021 में पश्चिमी दिल्ली के ही उद्योग नगर में एक जूता फैक्ट्री में आग लगने से 6 लोगों की मौत हो गई थी।
2. वर्ष 2020 में दिल्ली के पीरागढ़ी की एक बिल्डिंग में लगी आग की चपेट में आकर 1 आदमी की मौत हो गई जबकि 17 लोग घायल हो गई थे।
3 . इससे पहले वर्ष 2019 में बिजली के शॉर्ट सर्किट से नई दिल्ली की एक इमारत में आग लग गई और 43 लोग जल कर मर गए। इसमें भी ज्यादातर मजदूर ही थे जो रात में फैक्ट्री की इमारत में ही सो रहे थे।
4 . वर्ष 2019 में ही करोल बाग की एक होटल में आग लगने से 17 लोगों की मौत हुई जिनमें एक महिला और एक बच्चा भी था, जो जान बचाने के लिए खिड़की से कूद पड़े थे।
5. इसी तरह वर्ष 1997 के दिल्ली में उपहार सिनेमा कांड को कौन भूल सकता है जब एकसाथ 59 लोगों की मौत आग लगने के कारण हुई थी।
गौरतलब है कि अब तक बताए गए हादसे तो सिर्फ दिल्ली के है। अगर देश के बाकि शहरों कि बात करें तो मरने वाले की संख्या अज़ारो की हो जाएँगी। इस तरह के घटना में दमकलकर्मी भी मारे गए है। आज भी दिल्ली में हजारों ऐसी इमारतें हैं जिनमें ना सिर्फ सुरक्षा के जरूरी उपकरण नहीं हैं बल्कि उनके निर्माण के डिजायन और दूसरी कई जरूरी नियमों का पालन भी नहीं हुआ है या फिर सक्षम विभाग से मंजूरी नहीं ली गई है। कई फैक्ट्री या वर्कशॉप की इमारतें ऐसी संकरी गलियों में हैं जहां आग या किसी हादसे की स्थिति में बचाव और राहत दल के कर्मचारियों का पहुंचना मुश्किल है।
नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो के मुताबिक, 2019 में केवल दिल्ली में आग लगने की घटनाओं में कम से कम 150 लोगों की मौत हुई थी और दूसरे सालों के आंकड़े भी इससे कुछ बहुत ज्यादा अलग नहीं हैं। 2018 में यह संख्या 145 थी। यह आधिकारिक आंकड़े हैं यानी असल संख्या यकीनन इससे ज्यादा होगी।एनसीआरबी के आंकड़ों से पता चलता है कि हर दिन पूरे देश में 35 लोगों की जान आग संबंधी हादसों में गई है।