प्रधानमंत्री मोदी जिसे ‘लुटियंस की दिल्ली’ कहते हैं, खुद को इस हाई क्लास दिल्ली में मिसफिट बताते हैं। इस दिल्ली में कुछ पत्रकार ऐसे रहे हैं जो सत्ता भले ही किसी की रही हो, अंदर की खबरें निकाल ही लाते थे। नरेंद्र मोदी शासनकाल में ऐसे सभी ‘दिग्गजों’ की दुकान पूरी तरह बंद हो चुकी है। मोदी-शाह की जोड़ी कब और क्या करेगी इसका अंदाजा पार्टी के बड़े नेताओं तक नहीं बता सकते हैं। इसके चलते सत्ता के गलियारों की चटपटी खबरें, कयासबाजियां आदि का इन दिनों अकाल-सा पड़ चुका है। फिर भी आदत से मजबूर पत्रकार बंधु अपनी समझ अनुसार कुछ न कुछ ऐसा निकालने का प्रयास करते रहते हैं। इन दिनों ऐसी ही एक कयासबाजी मोदी मंत्रिमंडल में बड़े बदलाव की चल रही है। खबर है कि 14 जनवरी से 30 जनवरी के बीच प्रधानमंत्री मोदी मंत्रिमंडल में फेरबदल करने जा रहे हैं। जाहिर है दो साल बाद होने वाली यह फेरबदल की खबर मोदी के मंत्रियों में भी चर्चा का विषय बन चुकी है। कयास लगने लगे हैं कि कौन हटेगा, किसका होगा प्रोमोशन और कौन नया चेहरा शामिल होगा।
नए चेहरों में कांग्रेस से भाजपा में आए ज्योतिरादित्य सिंधिया का नाम तय बताया जा रहा है। राजनाथ सिंह के निकटवर्ती नेता सुधांशु त्रिवेंद्री, बिहार भाजपा के सुशील मोदी भी मंत्री बनने के श्योर शाट नाम बताए जा रहे हैं। बंगाल से रूपा गांगुली, दिलीप घोष और साकेत चटर्जी तो दिल्ली से मिनाक्षी लेखी का नाम चर्चा में है। खबर है कि एनडीए के घटक दलों के कोटे से जदयू के दो सांसद मंत्रिमंडल में आ सकते हैं तो आंध्र प्रदेश में सत्तारूढ़ वाईएसआर कांग्रेस यदि एनडीए का हिस्सा बनती है तो एक मंत्री उसका भी हो सकता है।
हटाए जाने वाले नामों को लेकर भी चर्चाएं गर्म हैं। कहा-सुना जा रहा है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्री रमेश पोखरियाल ‘निशंक’ को उत्तराखण्ड का सीएम बनाया जा सकता है तो नैनीताल से सांसद अजय भट्ट को केंद्रीय मंत्रिमंडल में शामिल किया जाएगा। कृषि कानूनों से उपजे विवाद को सुलझाने में असफल रहे नरेंद्र सिंह तोमर विवादित बयानबाजी के लिए कुख्यात गिरिराज सिंह समेत कई मंत्रियों को बाहर का रास्ता दिखाया जाना भी तय बताया जा रहा है।