इसी साल सितंबर में उद्धव ने ये कहा था कि कांग्रेस नेता मणिशकंर अय्यर को सावरकर का अपमान करने के लिए जूते से मारना चाहिए. मणिशंकर अय्यर ने 2018 में कहा था कि सावरकर ने टू नेशन थ्योरी का प्रस्ताव रखा था.उद्धव ने ये बात सावरकर पर एक किताब के लोकार्पण के दौरान कही थी. उद्धव ने कहा था, ”अगर सावरकर इस देश के प्रधानमंत्री होते तो पाकिस्तान का जन्म नहीं हुआ होता.
हमारी सरकार हिन्दुत्व की है और हम उन्हें भारत रत्न देने की मांग करते हैं.”अब वही शिव सेना कांग्रेस के साथ सरकार बनाने जा रही है. उद्धव मुख्यमंत्री बनेंगे और ऐसा कांग्रेस के कारण होगा. ऐसे में सवाल उठता है कि क्या कांग्रेस को अब वैसे लोग भी स्वीकार्य हैं जो सावरकर को भारत रत्न देने की मांग करते हैं, बाबरी मस्जिद विध्वंस का समर्थन करते हैं और जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा ख़त्म किए जाने के भी साथ खड़े हैं.
शिवसेना उन पार्टियों में से एक है जिसने 1975 में इंदिरा गांधी के आपातकाल का समर्थन किया था. तब बाल ठाकरे ने कहा था कि आपातकाल देशहित में है.
इन मुद्दों पर कांग्रेस की सोच बिल्कुल अलग है. संभव है कि अब भी अलग हो क्योंकि उसने अपनी सोच बदलने की कोई घोषणा नहीं की है. दूसरी तरफ़ शिव सेना से भी पूछा जा रहा है कि क्या उसने कांग्रेस के साथ आने के बाद हिन्दुत्व की राजनीति को अलविदा कह दिया है?शिव सेना-एनसीपी-कांग्रेस गठबंधन ने मंगलावर की रात घोषणा की है कि उद्धव ठाकरे महाराष्ट्र के अगले मुख्यमंत्री होंगे और शपथ ग्रहण समारोह शिवाजी पार्क में 28 नवंबर को होगा.संयुक्त बैठक में एनसीपी प्रमुख शरद पवार ने कहा, ”यह नए युग की शुरुआत है.
महाराष्ट्र देश का अहम प्रदेश है. महाराष्ट्र परिवर्तन का इंतजार कर रहा है. यह सूबा एक बार फिर से नंबर वन होगा.”इस बैठक में उद्धव ठाकरे ने कहा कि सरकार बनाने के बाद वो दिल्ली अपने बड़े भाई से मिलने जाएंगे. ठाकरे ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चुनावी कैंपेन के दौरान उन्हें छोटा भाई कहा था. उद्धव ने कहा, ”यह सरकार बदले की भावना से काम नहीं करेगी लेकिन किसी ने बाधा पैदा करने की कोशिश की तो हमारी टीम माफ़ नहीं करेगी.”