सोशल मीडिया एप्स को लेकर आये दिन खबरें आती रहती हैं कि वो यूजर्स की निजी जानकारियों और दस्तावेजों के साथ छेड़छाड़ करता है। जिसको लेकर देश और दुनिया में कई बार विरोध भी दर्ज कराया गया है। कुछ दिन पहले इस मामले में वाट्सएप ने घोषणा की थी कि वो आठ फरवरी से अपनी नीतियों में बदलाव करने जा रहा है। व्हाट्सएप की प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर मचे बवाल के बीच वाट्सएप बैकफुट पर आ गया था । इस बीच व्हाट्सएप की नई प्राइवेसी पॉलिसी को लेकर हो रहे विवाद के बीच आज 15 फरवरी को सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप को फटकार लगाई है। सुप्रीम कोर्ट ने व्हाट्सएप से कहा है कि वह यह लिखकर दे कि यूजर्स का डेटा किसी तीसरी पार्टी के साथ साझा नहीं किया जाएगा। कोर्ट ने मामले में फेसबुक, केंद्र सरकार और व्हाट्सएप को नोटिस जारी किया है और मामले की अगली सुनवाई चार हफ्ते के लिए टाल दी है।
चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एसए बोबडे की अध्यक्षता वाली तीन जजों की पीठ ने कहा है कि लोगों को अपनी निजता को लेकर बहुत चिंता है। आप (व्हाट्सएप ) दो ट्रिलियन या तीन ट्रिलियन की कपंनी होंगे, लेकिन निजता आपके पैसों से ज्यादा महत्वपूर्ण है। लोगों की निजता को सुरक्षित रखना आपकी जिम्मेदारी है।’
बता दें कि कोर्ट ने यह फैसला साल 2016 में आई व्हाट्सएप पॉलिसी को लेकर सुनाया है। व्हाट्सएप की निजता पॉलिसी के खिलाफ कर्मण्य सिंह सरीन ने साल 2016 में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी। याचिका के मुताबिक, जबसे फेसबुक ने व्हाट्सएप को खरीदा है तबसे इंस्टेंट मेसेजिंग एप के यूजर्स का डेटा फेसबुक के साथ शेयर किया जा रहा है। यह मामला सुप्रीम कोर्ट की संविधानिक पीठ के पास लंबित है।
याचिकाकर्ता के वकील श्याम दीवान ने कोर्ट में यह भी कहा कि व्हाट्सएप यूरोपिय यूजर्स की तुलना में भारतीय यूजरों से भेदभाव करता है। वहीं, व्हाट्सएप की ओर से कोर्ट में दलील दे रहे वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि कोई भी संवेदनशील निजी जानकारी तीसरे पक्ष के साथ शेयर नहीं की जा रही है। उन्होंने यह भी कहा कि मामला अभी दिल्ली हाई कोर्ट में लंबित है।
केंद्र की ओर से कोर्ट में मौजूद सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने शीर्ष न्यायालय को बताया कि कोई कानून हो या नहीं लेकिन निजता का अधिकार मौलिक अधिकारों का हिस्सा है। व्हाट्सएप को निजता के अधिकार की रक्षा करनी चाहिए। उन्हें डेटा नहीं शेयर करना चाहिए।’
बता दें कि व्हाट्सएप की नई नीति के तहत यूजर्स या तो उसे स्वीकार कर सकते हैं या उन्हें ऐप का इस्तेमाल बंद करना पड़ेगा। यूजर्स के पास फेसबुक के स्वामित्व वाली कंपनी द्वारा तीसरे पक्ष से डाटा साझा नहीं करने का विकल्प चुनते हुए ऐप का इस्तेमाल करने का विकल्प नहीं है।