9 मई से पहले तक पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह लोकसभा चुनाव में प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को घेरने का कोई मौका छोड़ते नजर नहीं आ रहे थे । वह लगभग हर जनसभा में गुजरात दंगों को प्राथमिकता पर जनता के सामने रख कर मोदी और अमित शाह की घेराबंदी कर रहे थे । लेकिन जैसे ही पार्टी के सलाहकार शेम पित्रोदा ने 1984 के दंगों पर विवादास्पद बयान दिए वह बैकफुट पर आ गए । पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ही नहीं बल्कि कांग्रेस के आलाकमान राहुल गांधी तक इस मुद्दे पर पार्टी के सलाहकार सैम पित्रोदा को माफी मांगने तक की सलाह देते नजर आए । हालांकि कांग्रेस का यह डैमेज कंट्रोल है । लेकिन बावजूद इसके सभी जगह यह चर्चा आम है कि आगामी 19 तारीख को होने वाले पंजाब के लोकसभा चुनाव में 84 के दंगों पर दिए गए विवाद के 3 बोल कांग्रेस को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं । कांग्रेस ने पित्रोदा के इस बयान को उनके हिंदी की कमजोरी का हवाला देकर काफी हद तक लोगों को समझाने का काम किया है । लेकिन वहीं दूसरी तरफ भारतीय जनता पार्टी ने इस मुद्दे पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया है । आज स्थिति यह है कि देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कोई भी रैली ऐसी नहीं होती है जिसमें सेम पित्रोदा के विवादास्पद बयान का जिक्र नहीं किया जाता है । मोदी बखूबी जानते हैं कि पंजाब में चुनाव किसी मुद्दे पर नहीं बल्कि भावनात्मक तरीके से लड़ा जाता है । हालांकि यह भी जगजाहिर है कि 1984 के बाद जितने भी लोकसभा और विधानसभा चुनाव हुए उन सभी में 84 के दंगों को प्रमुखता से रखा गया । कांग्रेस के शासनकाल में हुए इस जघन्य कांड में कांग्रेस की काफी किरकिरी हुई है । अब से पहले चाहे वह पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी हो या वर्तमान में कांग्रेस के राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी अथवा प्रियंका गांधी सभी ने 84 के दंगों पर माफी मांग कर पंजाब के लोगों के दिल में उभर आए घांव को मरहम लगाने का काम किया है ।
गौरतलब है कि पंजाब के भटिंडा में तथा अन्य राज्यों में हुई रैलियों में भी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कांग्रेस को ‘एक भ्रमित नेता और विचलित सोच वाली पार्टी’ बताया। मोदी ने पूछा कि क्या राहुल गांधी ने 1984 के दंगों के बारे में राहुल के परिवार की सोच का खुलासा करने के लिए पित्रोदा को फटकार लगाई है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि पित्रोदा, ‘जिन्हें एक सलाहकार बताया जाता है, और जो खास तौर पर अमेरिका से आए हैं’, उनके द्वारा दिया गया ‘हुआ तो हुआ’ बयान पार्टी की सोच और अहंकार को दर्शाता है।
पंजाब की 13 सीटों पर लोकसभा चुनाव के अंतिम चरण में 19 मई को मतदान होना है। 1984 से पंजाब के मतदाताओं के बीच सिख विरोधी दंगा बहुत भावनात्मक और दर्दनाक मुद्दा रहा है । हालाकि राहुल गांधी ने सार्वजनिक तौर पर कहा है कि उन्होंने पित्रोदा को फटकार लगाई है और अपने बयान पर माफी मांगने के लिए भी बोला है।
पित्रोदा के इस ‘सेल्फ गोल’ ने भाजपा को एक मौका दे दिया है जिससे वे पार्टी को हरा सकें । बहरहाल प्रधानमंत्री मोदी एक के बाद एक अपनी रैलियों में श्रोताओं को उत्साहित करने के लिए कांग्रेस के कार्यकाल की सारी गलतियों को ‘हुआ तो हुआ’ बयान से जोड़ रहे हैं।
उधर दूसरी तरफ विदेशो में रह रहे पंजाब के एनआरआई इस मुद्दे को लेकर सक्रिय हो चुके हैं । पहले से ही वह 84 के दंगा मामले को लेकर भारत के विरुद्ध जहर उगलते रहे हैं । ब्रिटेन और कनाडा में रह रहे पंजाब के एनआरआई इस मुद्दे पर राजनीतिक रोटिया सेकने लगे है । यह वही लोग है जो खालिस्तान समर्थक बनकर भारत के सामने आते रहते हैं । चर्चा है कि पंजाब के एनआरआई देश में इस मुद्दे पर आग में घी डालने का काम कर रहे है । पंजाब के वरिष्ठ पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अमरीक सिंह भी मानते हैं कि सेम पित्रोदा ने तीन शब्द ( हुआ सो हुआ ) कहकर पंजाब के लोगों के 84 के जख्म हरे कर दिए है । पंजाब में कांग्रेस आज सत्ता में है और लोकसभा चुनाव में भी वह सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आ सकती है । जिस तरीके से कांग्रेस को लोगों का जनसमर्थन मिल रहा है, उससे तो ऐसा ही लग रहा है । लेकिन पिछले एक सप्ताह से शेम पित्रोदा के बयान ने काफी हलचल मचा दी है । पंजाब में लोकसभा चुनाव की सभी 13 सीटों पर आगामी 19 मई को चुनाव होने वाला है ऐसे में भाजपा इस मुद्दे को भुनाने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है । देखना यह है कि सेम पित्रोदा के बिगडे बोल कांग्रेस का खेल बिंगाडते है या पार्टी पंजाब में अपना परचम फैलाने में कामयाब होती है ।
यहां यह भी उल्लेखनीय है कि पंजाब में लोकसभा की कुल 13 सीट है । जिनमें 2014 की मोदी लहर में अकाली दल और भाजपा गठबंधन की 6 सीटें आयी थी जबकि आम आदमी पार्टी को यहां पहली बार में ही 4 सीट मिली थी जबकि 3 सीट कांग्रेस के खाते में गयी थी ।