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काफी दिनों पहले अभिनेता अमिताभ बच्चन का एक गाना सुना करते थे ‘आपका क्या होगा जनाबे आली’ । ऐसा ही कुछ आजकल देश खासकर दिल्ली की जनता गुनगुना रही है । जनता सवाल कर रही है कि दिल्ली के  मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल उनसे दूरी क्यों बना रहे हैं । लोकसभा चुनावों के दौरान केजरीवाल के ‘थप्पड कांड’ की भी वजह शायद यही हो सकती है । दिल्ली की जनता केजरीवाल से नाराज है । पिछले दिनों लोकसभा चुनाव में जो परिणाम आए हैं उसमें तो यही साबित होता है । आम आदमी पार्टी की महज एक सीट बामुश्किल आ पाई है । वह मतदाताओं को अपनी और आकर्षित करने में विफल रही है ।
 पंजाब प्रांत को ही ले तो वहां से वह वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव में 4 सीट लेकर आई थी । पहली बार ही लोकसभा चुनाव में उतरी किसी पार्टी के लिए 4 सीट लेकर आना बहुत मायने रखता है । वह भी पंजाब जैसे प्रांत में । इस बार आम आदमी पार्टी ने कुल 23 सीटों पर चुनाव लड़ा । जिनमें पंजाब की सभी 13 सीट शामिल है । इसके अलावा दिल्ली की सभी 7 सीट और हरियाणा की 3 सीटों पर आम आदमी पार्टी के प्रत्याशी चुनाव लड़े । हरियाणा में वह जजपा  के साथ गठबंधन में थी । लेकिन लाख कोशिशों के बावजूद भी वह दिल्ली में कांग्रेस के साथ गठबंधन करने में नाकाम रही । शायद इसी का नतीजा रहा कि आम आदमी पार्टी को दिल्ली में एक भी सीट नहीं मिली । उस दिल्ली में जिस पर आम आदमी पार्टी के सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल का राज है । आम आदमी पार्टी आए दिन आखबारो मे एड के जरिए दिल्ली में स्वास्थ्य और शिक्षा को लेकर अपनी तारीफों के पुल बांधते रहती है । उसी दिल्ली में मतदाताओं ने आम आदमी पार्टी को अस्वीकार कर दिया । दिल्ली की सभी सातो सीटो पर वह मुख्य मुकाबले में आना तो दूर दुसरे नंबर पर भी नही आ सकी । वह सभी सीटो पर अमूमन तीसरे नंबर पर रही ।
आम आदमी पार्टी को सबसे बड़ा झटका पंजाब से लगा है । पिछले लोकसभा चुनाव में पंजाब से आम आदमी पार्टी को 4 सीट मिली थी । इस बार पार्टी को उम्मीद थी कि वहां सीट बढ़ेंगी । लेकिन पंजाब में सीट बढ़ने की बजाय सीट घंटी । जहा पहले 4 सीट थी । वहां अब सिर्फ एक ही सीट रह गई । जिस सीट पर आम आदमी पार्टी जीती है वह संगरूर लोकसभा सीट है । यहां से पूर्व कॉमेडियन भगवत मान सिंह चुनाव जीते हैं । भगवत मान कांग्रेस के केवल ढिल्लो को 112015 वोटों से हराया है । इस बार के लोकसभा चुनाव में पंजाब में आम आदमी पार्टी इस कदर हारेगी इसका एहसास किसी को नहीं था । अगर 2017 के विधानसभा चुनाव की बात करें तो तब पंजाब में आम आदमी पार्टी करीब 20 विधानसभा सीटों पर मुख्य विपक्षी दल बनकर उभरी थी । यानी कि 20 जगह पर वह दूसरे स्थान पर रही थी ।
लेकिन इस बार के लोकसभा चुनाव में दिल्ली का परिणाम पार्टी के लिए सबसे ज्यादा चिंताजनक रहा । जहां पार्टी सत्ता में है वहां वह तीसरे नंबर की पार्टी बन गयी है । शायद इस बात का पार्टी को पहले से ही अंदेशा था । जिसके चलते आम आदमी पार्टी ने कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की पूरी पूरी कोशिश की थी । लेकिन कांग्रेस के साथ गठबंधन की कोशिशों को सफलता नहीं मिली । इसके पीछे केजरीवाल के द्वारा पूर्व में कांग्रेस के खिलाफ किया गया दुष्प्रचार ही सामने आया । कांग्रेस के दिल्ली प्रदेश के वरिष्ठ नेता इस दुष्प्रचार की वजह से ही केजरीवाल से दूरी बनाते दिखे ।
दिल्ली में विधानसभा चुनाव अगले साल प्रस्तावित  है । ऐसे में आम आदमी पार्टी को अभी से चिंता सताने लगी है । लोग कह रहे है कि आप का अगर यही हाल रहा तो हो सकता है 2020 के विधानसभा चुनावों में वह 2015 जैसी जीत नही दोहरा सकेगी ।

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