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क्या था ‘ऑपरेशन साइलेंट वाइपर’, जिसकी गुत्थी 22 साल बाद सुलझी

अपराधी कितना भी शातिर क्यों न हो एक दिन कानून के शिकंजें में आ ही जाता है। चाहे वह दुनिया के किसी भी कोने में क्यों न छिपा हो। ऐसा ही एक मामला ओडिशा में सामने आया है। यहां बलात्कार के एक अभियुक्त को पुलिस ने 22 साल बाद गिरफ्तार किया है। गैंगरेप मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी को महाराष्ट्र से सोमवार 23 फरवरी को पकड़ा। इस गैंगरेप मामले की चर्चा पूरे देश में हुई थी। क्योंकि गैंगरेप एक आईएफएस अधिकारी की पत्नी के साथ हुआ था। इतना ही नहीं गैंगरेप के कारण राज्य के मुख्यमंत्री रहे जानकी बल्लभ पटनायक को इस्तीफा देना पड़ा था।

पुलिस के अनुसार, बिबेकानंद बिस्वाल उर्फ बीबन को महाराष्ट्र के लोनावाला में आमबी घाटी से पकड़ा गया। उसने जालंधर स्वैन की नकली पहचान बना ली थी और वहां प्लंबर का काम कर रहा था। पुलिस ने तीन महीने पहले बीबन को पकड़ने के लिए ‘ऑपरेशन साइलेंट वाइपर’ लॉन्च किया था। पुलिस कमिश्नर सुधांशु सारंगी ने बताया, ‘जांच के दौरान, हमें पता चला कि मुख्य आरोपी मुंबई-पुणे रोड पर लोनावाला में आमबी वैली में छिपा है, वह प्लंबर का काम कर रहा है। अपना स्थायी पता कटक के नारनपुर बताया करता था, जब हमने जांच की तो पता लगा की नारनपुर में कोई जालंधर स्वैन नाम का व्यक्ति नहीं है।’

यह घटना 1999 में हुई थी, घटना के बाद राज्य के लोगों में काफी ज्यादा आक्रोश भर गया था। गैंगरेप के दो आरोपियों को पुलिस ने पहले ही गिरफ्तार कर लिया था। जबकि मामले का तीसरा अभियुक्त दो दशक बाद हिरासत में लिया गया है। इनमें से एक का निधन हो गया है और दूसरा चौधवार की जेल में सजा काट रहा है। तीनों आरोपियों ने मिलकर 9 जनवरी 1999 को एक आईएफसी अधिकारी की पत्नी के साथ सामूहिक बलात्कार किया था। घटना को आरोपियों ने तब अंजाम दिया जब वह अपने ड्राइवर और एक पत्रकार के साथ कटक जा रही थी। पहले आरोपियों ने कार को रोका और फिर गाड़ी को एकांत जगह में ले जाकर बलात्कार किया। इस घटना के बाद राज्य की राजनीति में ऐसा भूचाल आया, जिसने पूरे राज्य के राजनीतिक माहौल को बदल दिया था, जिसके बाद राज्य के मुख्यमंत्री को इस्तीफा तक देना पड़ा। फिलहाल आरोपी बीबन को केंद्रीय जांच ब्यूरों को सौंप दिया है।

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