अपने समर्थकों को 12 दिसंबर के दिन गोपीनाथगढ़ आने का निमंत्रण देने के साथ ही पंकजा मुंडे चर्चा के केंद्र में आ गई है। इसी के साथ पंकजा ने ट्विटर पर अपने प्रोफाइल से भारतीय जनता पार्टी से जुड़ी जानकारी हटा दी है । पंकजा के इस कदम से ऐसा लग रहा है कि वह अपने राजनितिक भविष्य को लेकर कोई बड़ा कदम उठा सकती हैं और अटकलें इस बात की भी लगाई जा रही हैं कि वह भाजपा को छोड़ शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। हांलाकि उन्होने स्पष्ट कह दिया है कि वह भाजपा नही छोडने वाली है। लेकिन फिर भी सबकी नजरें 12 दिसंबर पर टिकी हुई है। आखिर 12 दिसंबर के दिन पंकजा क्या सनसनी मचाएगी ? इस पर सबकी नजरें लगी हुई है।
गौरतलब है कि पंकजा मुंडे के ट्विटर प्रोफाईल का यूजरनेम पहले पंकजा मुंडे बीजेपी था, लेकिन अब पंकजा ने अपने ट्विटर का यूजर नेम सिर्फ पंकजा मुंडे कर लिया है। वहा से बीजेपी हटा लिया गया है।
पंकजा मुंडे को लेकर अटकलें हैं कि वह भारतीय जनता पार्टो को छोड़ शिवसेना में शामिल हो सकती हैं। हालांकि शिवसेना सूत्रों के मुताबिक पंकजा मुंडे शिवसेना में शामिल होना चाहती हैं या नहीं इसका फैसला उन्हें ही करना है। शिवसेना सूत्रों के मुताबिक मातोश्री के दरवाजे सभी के लिए खुले हैं और शिवसेना अध्यक्ष तथा मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे पंकजा को अपनी बहन मानते हैं।

शिवसेना सूत्रों के मुताबिक पंकजा मुंडे के दिवंगत पिता और महाराष्ट्र के पूर्व उप मुख्यमंत्री गोपीनाथ मुंडे भी भाजपा छोड़ शिवसेना में शामिल होना चाहते थे लेकिन उस समय बाला साहेब ठाकरे ने उन्हें ऐसा करने से रोका था।
पंकजा मुंडे ने दो दिन पहले एक फेसबुक पोस्ट पर जो लिखा है उससे ऐसा लग रहा है कि वह अपने राजनितिक भविष्य को लेकर कोई बड़ा कदम उठाने के बारे में सोच रही हैं।
पंकजा ने अपने समर्थकों को अपने दिवंगत पिता एवं पूर्व भाजपा नेता गोपीनाथ मुंडे की जयंती के मौके पर 12 दिसंबर को गोपीनाथगढ़ आने का न्योता दिया है। गोपीनाथगढ़ बीड जिले में गोपीनाथ मुंडे का स्मारक है। पंकजा ने मराठी में लिखी फेसबुक पोस्ट में कहा है कि राज्य में बदले राजनीतिक परिदृश्य को देखते हुए यह सोचने और निर्णय लेने की आवश्यकता है कि आगे क्या किया जाए। मुझे स्वयं से बात करने के लिए आठ से 10 दिन की आवश्यकता है। मौजूदा राजनीतिक बदलावों की पृष्ठभूमि में भावी यात्रा पर फैसला किए जाने की आवश्यकता है।
उन्होंने आगे लिखा है कि अब क्या करना है? कौन सा मार्ग चुनना है? हम लोगों को क्या दे सकते हैं? हमारी ताकत क्या है? लोगों की अपेक्षाएं क्या हैं? मैं इन सभी पहलुओं पर विचार करूंगी और आपके सामने 12 दिसंबर को आऊंगी।
याद रहे कि पंकजा को 21 अक्टूबर को हुए विधानसभा चुनाव में अपने चचेरे भाई और राकांपा नेता धनन्जय मुंडे के हाथों बीड जिले की परली सीट से हार का सामना करना पड़ा था।