‘‘एक्स एक्स एक्स’’ को ट्रीपल एक्स भी कहा जाता है। इसके अनेक मतलब होते हैं। पहला मतलब है अश्लील फिल्में, जिसे पोर्नाेग्राफीक मटेरियल कहते है। इन फिल्मों में संभोगरत महिला एवं पुरुषों के खुलेआम वीडियो दिखाये जाते है। यह एक तरह की फिल्में ही होती है। गौरतलब है की ऐसी फिल्में बनाने वाली कंपनीयां विदेशों में मौजूद है। इन्हे इस कार्य के लिये वहां की सरकारे बाकायदा लाईसेन्स देती है। दुसरा मतलब रोमन अंकों से जुड़ा है। रोमन अंकों में एक एक्स का मतलब दस का अंक है और तीन एक्स का मतलब तीस का अंक। 30 इस अंक को दर्शाने के लिये रोमन लिपी में तीन बार एक्स लिखा जाता है। तिसरा मतलब बोलिंग इस खोल से जुडा होता है। इस खेल में कुछ दुरीपर गुडिया जैसे बूत रखे जाते है। इन सभी बुतों को एक ही बडी गेंद से एक ही झटके में नीचे गिराना होता है। जब एक ही झटके में सभी गेंदे लुढक जाती है और कोई खिलाडी ऐसा लगातार तीन बार कर लेता है तो उसकी इस कामयाबी के लिये तीन बार एक्स लिखा जाता है। क्रिकेट में लगातार तीन विकेट लेने पर जो हैट्रीक बनती है, उसी की तरह यह हैट्रीक है।

आज हम जानेंगे कि एक्स एक्स एक्स का क्या मतलब होता है। आपने देखा होगा कि जब भी किसी भी बैंक का कोई भी मैसेज आता है। तब उसमें पूरा अक्सर नहीं लिखा हुआ होता है। उसमें एक्स एक्स एक्स लिखा हुआ होता है तथा उसके बाद में कुछ नंबर दिए होते होते हैं। आपको पता है कि बैंक वाले ऐसा क्यों करते हैं।
बैंक की तरफ से जो भी मैसेज आता है उसमें एक्स एक्स एक्स होता है। ऐसा इसलिए होता है ताकि कोई हमारे अकाउंट का पूरा नंबर का पता नहीं लगा पाए तथा कोई भी दूसरा हमारे अकाउंट को नहीं देख पाए लास्ट के कुछ डिजिट सही ढंग से डिस्प्ले होते हैं। जिससे कि हमें पता चल जाता है कि यह अकाउंट हमारा ही है। उस नंबर के बीच में हमेशा एक्स एक्स एक्स ही होता है। जब हम किसी भी एटीएम से पैसे निकालते हैं तब भी हमारे पास ट्रांजैक्शन का जो मैसेज आता है। उसमें भी एक्स एक्स एक्स लिखा हुआ होता है। उसमें भी हमारा कोई भी पूरा नंबर नहीं होता है।
उसके शुरुआती तथा लास्ट डिजिट के नंबर ही हम देख पाते हैं। एक्स एक्स एक्स से हमारे अकाउंट की सिक्योरिटी तथा प्राइवेसी बढ़ जाती है। इसलिए बैंक तथा अन्य नेटवर्क हमारे अकाउंट को सिक्योर करने के लिए पूरा डिजिट नहीं दिखाते हैं। वह आधा डिजिट ही दिखाते हैं। जिससे हमें भी यह पता चल जाता है कि यह मैसेज हमारा ही है तथा दूसरे को भी यह पता नहीं चल पाता कि इनका पूरा नंबर क्या है। 1968 में, मोशन पिक्चर एसोसिएशन ऑफ अमेरिका (एमपीएए) वयस्क-केवल सामग्री को दर्शाने वाली फिल्मों को बांटने के लिए एक्स-रेटिंग पेश किया गया था। 2010 में, इंटरनेट कॉर्पाेरेशन फॉर असाइन्ड नेम्स एंड नंबर्स (ICANN), एक इंटरनेट-ओवरसाइजिंग निकाय, ने आधिकारिक तौर पर शीर्ष-स्तरीय डोमेन के निर्माण को मंजूरी दी थी। इस डोमेन का उपयोग पोर्नाेग्राफिक वेबसाइटों के लिए किया जाने लगा, ताकि पोर्न साइटों को ढूंढने वालों (खोजने वालों के लिए) को ढूंढने में आसानी हो और उन्हें फिल्टर करने में आसानी हो।