90 के दशक में पूर्वी उत्तर प्रदेश में आतंक का पर्याय बन चुके सरगना माफिया और बाहुबली विधायक मुख़्तार अंसारी को देश की सर्वोच्च अदालत ने पंजाब के रोपड़ जेल से यूपी के जेल में शिफ्ट करने को कहा है। इसको लेकर तरह-तरह की चर्चा चल रही है । कोई कह रहा है कि यूपी के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कोई पुराना हिसाब था जिसे वह मुख्तार अंसारी को यूपी लाकर चुकता करना चाहते हैं। तो दूसरी तरफ यह भी कहा जा रहा है कि यूपी पुलिस ने जिस तरह पूर्व में बाहुबली विकास दुबे की गाड़ी पलट कर मुठभेड़ में उसे मार गिराया था , उसी तर्ज पर यूपी सरकार मुख्तार अंसारी को ठिकाने लगाने की योजना बना रही है।
इसी को लेकर कुमार विश्वास ने व्यंग्य करते हुए पूछा कि लाने वाली गाड़ी यूपी पुलिस की होगी? वहीं आचार्य प्रमोद ने रीट्वीट करते हुए लिखा कि गाड़ी पलटना तय है। शायद यही वजह रही होगी कि अपनी जान जाने के भय से मुख़्तार अंसारी ने सुप्रीम कोर्ट से अपने खिलाफ सभी मामले को दिल्ली ट्रांसफर करने की मांग की थी। लेकिन न्यायालय ने अंसारी की याचिका ठुकरा दी थी।
याद रहे कि पिछले साल कानपुर में बिकरुकांड के आरोपी विकास दुबे को इंदौर से कानपुर लाया जा रहा था। तभी बीच रास्ते में ही पुलिस ने विकास दुबे का एनकाउंटर कर दिया था। उत्तरप्रदेश पुलिस का दावा था कि रास्ते में पुलिस की गाड़ी पलट गई थी और विकास दुबे भागने लगा था जिसके बाद पुलिस को जबरन एनकाउंटर करना पड़ा था। हालांकि विकास दुबे के एनकाउंटर के बाद मुख़्तार अंसारी ने भी अपने जान का खतरा बताया था, उसने पत्र लिखकर कहा था कि जैसे विकास दुबे की तरह मेरी भी जान जा सकती है।
मुख्तार अंसारी को जिस तरह पंजाब की रोपड़ से यूपी की बांदा जेल में लाने के लिए युद्ध स्तर पर मुख्यमंत्री योगी ने प्रयास किए वह सियासी हलचल पैदा कर गया । दरअसल, पंजाब में जब मुख्तार अंसारी को ले जाया गया तो तब उस पर वहां मामूली सा एक मामला चल रहा था । पंजाब में मुख्तार अंसारी के खिलाफ यह मामला 2019 के शुरुआती दिनों में दर्ज हुआ था। जनवरी 2019 में पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी को तलाश करती हुई यूपी के बांदा जेल में पहुंची । जहां बांदा जेल मे अंसारी को पंजाब पुलिस को सौंप दिया। तब से वह पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने पंजाब पुलिस को बांदा जेल के अधिकारियों द्वारा अंसारी को सौंप दिए जाने वाले मामले को गंभीरता से लिया। जिसके चलते बांदा जेल के अधिकारी को निलंबित कर दिया गया । इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि यूपी सरकार मुख्तार अंसारी को किसी बाहर के प्रदेश की जेल में भेजने की बिल्कुल भी इच्छुक नहीं थी। तभी से उत्तर प्रदेश सरकार मुख्तार अंसारी को पंजाब से उत्तर प्रदेश लाने के लिए प्रयत्नशील थी। लेकिन पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी की बीमारी का बहाना बनाकर उसे यूपी भेजने में आनाकानी करती थी।
यह सिलसिला पूरे 2 साल चला। आखिर में उत्तर प्रदेश सरकार मुख्तार अंसारी को यूपी लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट की शरण में गई। जहां उसे कल सफलता मिली । सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा है कि 2 सप्ताह के अंदर पंजाब पुलिस मुख्तार अंसारी को यूपी के बांदा जेल में भेजें । हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने यह उत्तर प्रदेश सरकार पर छोड़ दिया कि वह मुख्तार अंसारी को एमपी, एमएलए कोर्ट की जेल में कहां स्थानांतरित करें । गौरतलब है कि जब पंजाब पुलिस 2019 में मुख्तार अंसारी को ले गई थी तो वह एमपी, एमएलए कोर्ट की बांदा जेल में बंद था।
कल सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुख्तार अंसारी को पंजाब से यूपी भेजने के आदेश के साथ ही सियासी गलियारों में चर्चाओ का बाजार गर्म है । अधिकतर चर्चा इस बात को लेकर है कि आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और बाहुबली विधायक मुख्तार अंसारी की ऐसी क्या टशन थी, जिसके चलते योगी अंसारी को यूपी लाने की जिद कर रहें थे।
इसको समझने के लिए आपको 14 साल पीछे जाना होगा पहले तब 11 मार्च 2007 का एक वाक्य आपको याद दिलाते हैं जिसमें उत्तर प्रदेश के तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ संसद में रोए थे। तब उन्होंने वर्ष 2006 में पुलिस की प्रताड़ना का जिक्र करते हुए तत्कालीन मुलायम सिंह यादव सरकार को आरोपित किया था । साल 2006 में गोरखपुर से भाजपा के सांसद रहे योगी आदित्यनाथ ने संसद में अपनी बात रखने के लिए बकायदा लोकसभा अध्यक्ष से विशेष अनुमति ली थी ।
तब पूर्वांचल के कई शहरों और कस्बों में सांप्रदायिक हिंसा फैली थी। उस दौरान योगी आदित्यनाथ अपनी बात रखने के लिए जब खड़े हुए तो फूट-फूट कर रोने लगे । कुछ देर तक वह कुछ बोल ही नहीं पाए और जब बोले तो कहा कि उत्तर प्रदेश की सपा सरकार उनके खिलाफ षड्यंत्र कर रही है और उन्हें जान का खतरा है। उस दौरान सांसद रहते योगी आदित्यनाथ को मामूली से केस में 11 दिन जेल में रहने पड़ा था।
याद रहे कि वर्ष 2006 में जब मऊ दंगो की आग में झुलस रहा था तब मुख्तार अंसारी खुली गाड़ी में दंगे वाली जगहों पर घूम रहा था। उस दौरान मुख्तार अंसारी पर ये आरोप लगा था कि दंगों को भड़काने का काम उसने ही किया था।
इन दंगों के बाद गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने मुख्तार अंसारी को चुनौती दी थी कि मऊ आकर पीड़ितों को इंसाफ दिलाने का ऐलान कर दिया था। लेकिन उन्हें मऊ जिले में दोहरीघाट से आगे नही बढ़ने दिया गया था। तब कहा गया कि दोहरी घाट पर योगी को रोकने के पीछे मुख्तार अंसारी का हाथ रहा था।
मऊ में हुए दंगों के बाद तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ आजमगढ़ जा रहे थे, तब उनके काफिले पर हमला कर दिया गया था। तब ना केवल योगी की गाड़ी में तोड़फोड़ की गई थी बल्कि उपद्रवियों ने आगजनी की भी कोशिश की थी। उस वक्त योगी आदित्यनाथ ने स्पष्ट संकेत दे दिया था कि उन पर किसने हमला करवाया था। उनका इशारा मुख्तार अंसारी की ओर था।
तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ ने तब कहा था कि ‘लगातार मुस्लिम पक्ष गोलियां चला रहा था, गाड़ियों को तोड़ा जा रहा था पुलिस मौन बनी रही, हम लोगों ने चेतावनी रैली की। हम लोग इस लड़ाई को आगे बढ़ाएंगे, जिसने भी गोली मारी है। अगर पुलिस कार्रवाई नहीं करेगी तो गोली मारने वालों को जवाब दिया जाएगा उसी भाषा में। बाद में यह चर्चा जोरो पर चली कि
आजमगढ़ हमले में मुख्तार अंसारी का हाथ होने था।
फिलहाल , उत्तर प्रदेश सरकार की दिलचस्पी मुख़्तार के चल रहे एक दर्जन मुकदमों में है, जो उसके खिलाफ चल रहे हैं। सरकार की मंशा इन मामलों में मजबूत पैरवी कर मुख्तार को सज़ा दिलाने की है। ऐसा करके सरकार जहां एक तरफ क़ानून का राज स्थापित होने का संदेश देना चाहती है तो वहीं दूसरी तरफ कुछ मामलों में बाहुबली को सज़ा दिलाकर उसके सियासी कैरियर को भी समाप्त करने की भी तैयारी में है। अगर मुख्तार को किसी मामले में सज़ा हो जाती है तो चुनाव आयोग के नए नियमों के मुताबिक़ वह चुनाव नहीं लड़ सकेगा।