दुनिया अभी कोरोना महामारी के कहर से उबर भी नहीं पाई है कि अब एक नई महामारी का खतरा बढ़ता जा रहा है। तीन साल से कोरोना का सामना कर रही दुनिया के सामने अब मंकी पॉक्स नाम की मुसीबत आ खड़ी हुई है। अब तक दुनिया भर में 16 हज़ार से ज्यादा मामले आ गए हैं और 5 लोगों की जान जा चुकी है। भारत में भी मंकी पॉक्स दस्तक दे चुका है।
अब तक 75 देशों में वायरस की पुष्टि हो चुकी है। भारत में भी मंकी पॉक्स दस्तक दे चुका है। अकेले भारत में 4 मामलों की पुष्टि हो चुकी है, जिसमें 3 केरल में और एक मरीज दिल्ली में है। WHO ने मौजूदा हालात को देखते हुए ग्लोबल इमरजेंसी घोषित कर दी है।
डब्लूएचओ औपचारिक तौर पर जो टर्म इस्तेमाल करता है, वो है ‘पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ़ इंटरनेशनल कंसर्न’ यानी PHEIC । मई 2022 से मंकीपॉक्स का संकट शुरू हुआ। शुरुआत में ब्रिटेन में 20 मामले पाए गए। ज्यादातर मरीज समलैंगिक पुरुष थे। अब तक 75 देशों में इस वायरस की पुष्टि हो चुकी है।
PHEIC क्या है और इसे कब घोषित किया जाता है?
पब्लिक हेल्थ इमरजेंसी ऑफ़ इंटरनेशनल कंसर्न IHR (अंतर्राष्ट्रीय स्वास्थ्य विनियम, 2005) द्वारा परिभाषित किया गया है। सीधे शब्दों में कहें तो PHEIC का मतलब एक असाधारण घटना है, जिसमें एक बीमारी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर फैलती है और जिसके लिए सभी देशों को मिलकर काम करना जरूरी है। ऐसी कोई भी स्थिति जो, गंभीर है, अचानक आता है या असामान्य है। यह स्थिति और प्रभावित राज्य की सीमा के बाहर भी लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित करती है। तत्काल अंतरराष्ट्रीय कार्रवाई की आवश्यकता हो सकती है। इसे अलार्म सिस्टम, कॉल टू एक्शन या अंतिम उपाय के रूप में देखा जा सकता है।
घोषणा क्यों की जाती है ?
अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक आपातकालीन समिति पीएचईआईसी के संबंध में डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक को तकनीकी सलाह देती है। डीजी अंतिम निर्णय लेते हैं। यह निर्णय आपातकालीन समिति की सलाह, राज्य दलों द्वारा दी गई जानकारी, विशेषज्ञों और मानव स्वास्थ्य के लिए जोखिम के आकलन आदि पर आधारित होता है।
आईएचआर के तहत, अस्थायी सिफारिशें जारी होने के तीन महीने बाद स्वतः समाप्त हो जाती हैं। इस कारण से महामारी की स्थिति की समीक्षा के लिए कम से कम हर तीन महीने में आपातकालीन समितियों का पुनर्गठन किया जाता है। यह भी मूल्यांकन किया जाता है कि क्या यह घटना अंतरराष्ट्रीय स्वास्थ्य चिंता का विषय बनी हुई है और क्या अस्थायी सिफारिशों को बदलने की आवश्यकता है?
किसी भी बीमारी को पीएचईआईसी घोषित करना वैश्विक स्तर पर फायदेमंद साबित हो सकता है। यह घोषणा इस आधार पर की गई है कि यह सार्वजनिक स्वास्थ्य समाधानों के साथ-साथ बीमारी के वैश्विक प्रसार को रोकने और कम करने के लिए आवश्यक धन और अन्य संसाधनों को बढ़ावा देगी। इसमें व्यापार और यात्रा से संबंधित सलाह हो सकती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन अब तक 7 बार पीएचईआईसी घोषित कर चुका है।
2009 में स्वाइन फ्लू
2014 में पोलियो
2016 में इबोला
2018-20 में किवु-इबोला
2020 में COVID-19
2022 में मंकी पॉक्स
आईएचआर क्या है?
IHR माने इंटरनेशनल हेल्थ रेगुलेशन (2005) एक बाध्यकारी कानूनी समझौता है जिसमें 196 देश शामिल हैं। उनका उद्देश्य वैश्विक समुदाय को गंभीर स्वास्थ्य खतरों से बचाना और उन्हें रोकने में मदद करना है।
हालांकि मंकीपॉक्स को लेकर पीएचईआईसी की घोषणा के बाद अब यह बीमारी कई देशों के रडार पर होगी। इससे बीमारी के खिलाफ फंडिंग के नए रास्ते भी खुल सकते हैं।