केंद्र में दूसरी बार 303 सीटों के साथ प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई मोदी सरकार महाराष्ट्र और हरियाणा में अपने पहले इम्तिहान में बुरी तरह फेल हो गई। हरियाणा में 75 पार का दावा करने वाली भाजपा बहुमत से पीछे रहने के बाद जैसे –तैसे दुष्यंत चौटाला के समर्थन से सरकार तो बना ली लेकिन सरकार कितने दिन चलेगी इसको लेकर संशय बना हुआ है। महाराष्ट्र में अपने 30 साल पुराने दोस्त शिवसेना के साथ चुनाव लड़ी भाजपा गठबंधन मे तो बहुमत का आंकड़ा छू लिया था लेकि वह मुख्यमंत्री की कुर्सी को लेकर ऐसी उलझी की खुद की कुर्सी ही नहीं बचा पाई।
महाराष्ट्र की सत्ता हाथ से जाने के बाद भाजपा अब हिंदी भाषी बड़े राज्यों में सिमटती हुई दिखाई दे रही है। 2014 से भाजपा मे मोदी- शाह युग प्रारंभ होने के बाद जिस भाजपा ने 2017 तक देश के 70 फीसदी हिस्से में अपनी सरकार बन ली थी वह देखते ही देखते अब 40 फीसदी से कम हिस्से पर काबिज रह गई है। जिस तेजी से भाजपा का ग्राफ बढ़ रहा था वह अब उतनी ही तेजी से गिर रहा है।
राज्यों में भाजपा के जीत के इस अश्वमेध घोड़े को सबसे पहले मई 2017 में पंजाब में कांग्रेस के कैप्टन अमरिंदर ने रोका था। कैप्टन अमरिंदर ने अपने बल पर राजनीतिक के अखाड़े में भाजपा को जो पटखनी दी थी उसे अब महाराष्ट्र में शरद पवार ने अपने पंच से बिल्कुल बेदम कर दिया है। मई 2017 नंवबर 2019 तक आते आते भाजपा के हाथ से पांच बड़े प्रदेश पंजाब, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और महाराष्ट्र निकल चुके है।