देश में अक्सर कल्पना की जाती है कि देश के हर गांव में वो सभी आधुनिक सुविधाएं होनी चाहिए,जो शहरों मिलती है।लेकिन अक्सर देखने को नहीं मिलती है। फिर भी सोचिए अगर किसी गांव में वे सभी सुविधाएं देखने को मिले, तो वो गांव कैसा लगेगा?आप सोचेंगे कि ऐसा गांव भारत में तो हो ही नहीं सकता है ,लेकिन ऐसा गांव है।
उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में वासा इस गांव का नाम सैफई है जो अक्सर राजनीतिक चर्चाओं में बना रहता है। क्योंकि ये गांव उत्तर प्रदेश पूर्व मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव का है। ये गांव सबसे ज्यादा चर्चाओं में जब आता है जब यहां सैफई महोत्सव होता है। इस महोत्सव में देश के बड़े नेताओं समेत बड़े-बड़े फिल्मी कलाकार भी शामिल होते हैं। हालांकि, 2016 से सैफई महोत्सव का आयोजन नहीं हुआ है। इस गांव में मुलायम सिंह यादव और उनके बेटे अखिलेश यादव ने हर वो जरूरी चीजें मुहैया कराने की कोशिश की है, जो बड़े-बड़े महानगरों में होती है। शायद यही वजह है कि देश के सबसे बड़े सियासी परिवार पर अक्सर आरोप लगते रहे हैं कि उनकी सरकार में विकास सिर्फ सैफई तक ही सीमित रहा है।

आज सैफई गांव में मातम पसरा है। क्योंकि आज सुबह ही उनके नेता जी मुलायम सिंह यादव का निधन हो गया है। जो बीमारी की वजह से हरियाणा के मेदांता अस्पताल हफ्तों से भर्ती थे। 22 नवंबर 1939 को सैफई गांव में ही मुलायम सिंह यादव का जन्म हुआ था। इसी गांव से निकलकर मुलायम सिंह सियासत में चमके और उत्तर प्रदेश के 3 बार मुख्यमंत्री बने। इसके अलावा भी उन्होंने राष्ट्रीय राजनीति में भी कई महत्वपूर्ण संभाले है।

उत्तर प्रदेश के इटावा जिले में वासा सैफई गांव मैनपुरी लोकसभा क्षेत्र में आता है, जहां से मुलायम सिंह यादव कई बार सांसद रहे हैं। सैफई गांव के ही लोग मुलायम सिंह यादव को ‘नेताजी’ कहकर बुलाते थे। सैफई गांव कभी खेती-बाड़ी पर निर्भर हुआ करता था। यहां कि ज्यादातर जमीन बंजर थी,लेकिन आज सैफई गांव में वो सारी सुविधाएं हैं जो एक महानगर में होती है। महज 7 हजार की आबादी वाला ये गांव अब एजुकेशन, हेल्थ और स्पोर्ट्स का बड़ा हब बन चुका है।

मुलायम सिंह यादव और उनके परिवार के सियासत में आने के बाद दो दशकों में सैफई गांव की तस्वीर पूरी बदल गई है। यहां चौड़ी-चौड़ी सड़कें हैं, 24 घंटे बिजली की सप्लाई होती है, पानी की भरपूर व्यवस्था है, फ्लैट और विला हैं। इस गांव में कभी जाएंगे तो ऐसा लगेगा कि राजधानी दिल्ली में आ गए है। सैफई से थोड़ी ही दूर पर उत्तर प्रदेश यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेज है। यहां एक मेडिकल कॉलेज है, जिसमें 200 से ज्यादा डॉक्टर और 300 से ज्यादा नर्सिंग स्टाफ है।

देश के हर गांव में स्कूल-कॉलेज-यूनिवर्सिटी, मिल जाए तो वो उस गांव के लिए बहुत बड़ी उपलब्धि होगी।लेकिन सैफई में न सिर्फ स्कूल-कॉलेज हैं, बल्कि यूनिवर्सिटी भी हैं। सैफई में दो सीनियर सेकंडरी स्कूल हैं। इनमें से एक मुलायम सिंह यादव के पिता सुघर सिंह के नाम पर है। इस स्कूल में सीबीएसई के कोर्स तो हैं ही, साथ ही यूपी बोर्ड से भी पढ़ाई होती है। खास बात ये है कि यहां डिजिटल क्लासरूम और साइंस लैब भी है। दूसरा स्कूल अमिताभ बच्चन के नाम पर है, जिसे यूपी सरकार चलाती है।

इस गांव के बाहरी इलाके में 65 एकड़ में बना एक डिग्री कॉलेज भी है। इस कॉलेज में बायोटेक्नोलॉजी, बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन, कॉमर्स, साइंस और आर्ट्स जैसे कोर्सेस में ग्रेजुएशन और पीजी की डिग्री मिलती है। यहां लगभग पांच हजार से ज्यादा छात्र पढ़ाई करते हैं। यहां पर फार्मेसी कॉलेज भी है जो वर्ष 2015 में बना था। ये कॉलेज यूपी यूनिवर्सिटी ऑफ मेडिकल साइंसेस से एफिलिएटेड है। इसके अलावा मेजर ध्यानचंद स्पोर्ट्स कॉलेज भी है, जहां पर क्रिकेट, फुटबॉल, हॉकी, रेसलिंग, एथलेटिक्स, स्विमिंग और कबड्डी की ट्रेनिंग दी जाती है। इस कॉलेज में क्रिकेट स्टेडियम और एथलेटिक्स स्टेडियम भी बना है।

यहां तक कि सैफई गांव मैनपुरी और इटावा से चार लेन के स्टेट हाईवे से जुड़ा हुआ है। गांव के बगल से ही आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे भी गुजरता है। इससे दिल्ली, आगरा, कन्नौज और लखनऊ तक कनेक्टिविटी है। इसके अलावा सैफई में बस स्टैंड और बस डिपो भी है। यहां से लगभग सभी बड़ी जगहों पर बसें जाती हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक,दिसंबर 2020 तक सैफई बस डिपो में 25 बसें थीं। यहां पर सैफई रेलवे स्टेशन भी है, जो इटावा-मैनपुरी रेलवे ट्रैक पर स्थित है। इतना ही नहीं, इस गांव में हवाई पट्टी यानी एयरस्ट्रिप भी है। वर्ष 2015 में वायुसेना ने यहां मिराज 2000 को उतारा था। वर्ष 2018 में भी वायुसेना ने यहां पर एक्सरसाइज की थी।

वर्ष 2011 की जनगणना के मुताबिक, सैफई इटावा जिले का बड़ा गांव है। इस गांव में 1,481 परिवार रहते हैं। यहां की कुल आबादी 7,141 है, जिनमें 3,917 पुरुष और 3,224 महिलाएं हैं। सैफई गांव में सेक्स रेशो 1 हजार पुरुषों पर 823 महिलाओं का है। प्रदेश की तुलना में यहां साक्षरता दर ज्यादा है। 2011 की जनगणना के मुताबिक, सैफई की साक्षरता दर 82.44% है, जबकि यूपी की 67.68% है।