दिल्ली में पानी के स्त्रोत
दिल्ली की बात करें तो चारों ओर से भूमि से घिरे होने के कारण दिल्ली के पास कोई जल पूर्ति क्षेत्र नहीं है। दिल्ली जल प्राप्ति के लिए यमुना नदी सबसे प्रमुख है। यमुना नदी से आने वाला पानी दिल्ली के 3 इलाकों सीएलसी चैनल, डीएसबी चैनल और वजीराबाद तालाब। इसके बाद दिल्ली को ‘वजीराबाद तालाब’ द्वार 234 एमजीडी , ‘अपर गंगा करनाल ’ से 254 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी), ‘दिल्ली सब ब्रांच और कैरियर लाइंड करनाल मुनक नहर’ से 373 एमजीडी, ‘ट्यूबवेल और रेनी वेल’ द्वारा 137 एमजीडी की आपूर्ति को जाती है। इन सबको मिलाकर दिल्ली को मिलने वाले एमजीडी की संख्या 900 के करीब पहुंचती है। पाइपलाइन नहीं बिछाई गई है उन स्थानों पर टैंकर द्वारा पानी पहुंचाया जाता है। दिल्ली में हर दिन लगभग 10हजार141 जगहें ऐसी हैं जहां टैंकरों द्वारा पानी पहुंचाया जाता है।
जल की कमी के कारण :
एक रिपोर्ट के अनुसार मौजूदा समय में “वजीराबाद तालाब का जलस्तर घटा है। इस तालाब का सामान्य जलस्तर 674.5 फीट है, लेकिन अभी 667 फीट ही है। यानी जलस्तर में लगभग 7.5 फीट की कमी आई है।”
दिल्ली में पानी की कमी का दूर कारण हरियाणा द्वारा सही ढंग से पानी का वितरण न करना भी माना जा रहा है। दरअसल बात यह है की यमुना नदी भी दिल्ली की जल आपूर्ति के एक स्त्रोतों में से एक है और यमुना नदी हिमालय के यमुनोत्री ग्लेशियर से निकलती है और गंगा नदी में मिलने से पहले ये हिमाचल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, हरियाणा, राजस्थान और दिल्ली से होकर गुजरती है । दिल्ली से पहले ये हरियाणा पहुंचती है और हर वर्ष दिल्ली सरकार हरियाणा सरकार पर आरोप लगाती है कि वह दिल्ली को यमुना का पानी नहीं पहुंचने देती। इस समय भी केजरीवाल सरकार हरियाणा से कई बार पानी छोड़ने का अनुरोध कर चुकी है। विधायक सुभाष भारद्वाज ने एक कहा, “कुल पानी की खपत का लगभग 10 फीसदी पानी भी नहीं दिया जा रहा है, जिसका मतलब है कि शहर भर में लगभग 20 लाख लोगों को पीने योग्य पानी नहीं मिल रहा है।” दिल्ली जल बोर्ड (डीजेबी) के अध्यक्ष राघव चड्डा ने भी दिल्ली में हो रही पानी की कमी का जिम्मेदार हरियाणा को ठहराया है । राघव चड्डा का कहना है कि “हरियाणा ने यमुना नदी में पानी की आपूर्ति में प्रति दिन 120 मिलियन गैलन प्रति दिन (एमजीडी) की कमी की है, जिससे दिल्ली में पेयजल उत्पादन में 100 एमजीडी की कमी आई है।”
वहीं हरियाणा सरकार इसका विरोध करते हुए कह रही है कि “हरियाणा अपनी नहर प्रणाली के माध्यम से मुनक में 1,049 क्यूसेक या बवाना संपर्क बिंदु पर 950 क्यूसेक से अधिक (939 क्यूसेक के मुकाबले) पानी की आपूर्ति कर रहा है, जो उनके वैध हिस्से से अधिक है। दिल्ली में पानी की कमी है आंतरिक कुप्रबंधन का परिणाम है इसमें हरियाणा की कोई भूमिका नहीं है।
गौरतलब है कि मानसून में देरी के कारण हरियाणा गंभीर जल संकट का सामना कर रहा है लेकिन हम अभी भी दिल्ली को बिना किसी कमी के जलापूर्ति कर रहे हैं।” हरियाणा सरकार के इस बयान की पर गौर करें तो मन में एक प्रश्नचिन्ह लग जाता है की क्या पानी की कमी का एक कारण दिल्ली सरकार की लापरवाही भी है।
क्या बोले भाजपा के प्रवक्ता
एक ओर केजरीवाल सरकार का कहना है की बार बार हरियाणा से पानी की मांग करने पर भी हरियाणा सही ढंग से उन्हे पानी वितरित नही कर रहा है। वही बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर केजरीवाल सरकार का विरोध करते हुए कह रहे हैं की, “दिल्ली पानी की कमी का सामना कर रही है क्योंकि अरविंद केजरीवाल की अगुवाई वाली शहर सरकार पानी की चोरी को रोकने में विफल रही है और अपनी पूरी जल उपचार क्षमता का उपयोग करने में सक्षम नहीं है।” क्योंकी केवल दिल्ली को छोड़ अन्य सभी क्षेत्रों में यमुना नदी का पानी पूर्ण रूप से मिल रहा है तो पानी की कमी दिल्ली में ही क्यों हो रही है ।
किस प्रकार रोकी जा सकती है पानी की कमी
जहां एक और ये नज़र आ रहा है की दिल्ली सरकार को भी पानी की कमी के लिए जिम्मेदार माना जा रहा है वही दूसरी ओर दिल्ली सरकार जलापूर्ति के लिए निरन्तर प्रयास कर रही है। पानी की इस कमी को रोकने के लिए पहले भी कई योजनाएं बनाई जा चुकी हैं और आज भी यही हो रहा रह। आम आदमी पार्टी के विधायक सौरभ भारद्वाज ने पानी की कमी को देखते हुए कहा “दिल्ली जल बोर्ड हर संभव प्रयास कर रहा है कि वजीराबाद बैराज में जितना भी पानी है उसका इस्तेमाल हम ट्रीटमेंट के जरिए करें, ताकि दिल्लीवालों को भीषण गर्मी में पानी की किल्लत का सामना न करना पड़े। ”
दिल्ली के वजीराबाद, चंद्रावल और ओखला जैसे स्थानों पर इस कमी को पूरा करने के लिए जल उपचार संयंत्र स्थपित किए गए हैं। जिनके द्वारा गंदे पानी को साफ कर पीने लायक बनाया जा सकता है। कहा जा रहा है की हेल्पलाइन नो. पर फोन करके हम इस पानी को टैंकर द्वारा मंगवा सकतें हैं। साथ ही दिल्ली जल बोर्ड ने अपने एक बयान में बताया था की दिल्ली में टैंकरों द्वारा पानी सही ढंग से पहुंचाया जा रहा है या नही इसपर निगरानी रखने के लिए टैंकरों पर जेपीएस लगाया जा रहा है।