शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी मानो भाजपा के भोंपू सरीखे हो गए हों। ऐसा लगता है रिजवी को मानों सनसनी में बने रहने की आदत सी हो गयी है। हालांकि भाजपा के एकमात्र मुस्लिम राज्यमंत्री मोहसिन रजा शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के धुर-विरोधी माने जाते हैं, इसके बावजूद भाजपा ने अघोषित रूप से वसीम रिजवी को क्यों पाल रखा है? यह प्रश्न आजकल पार्टी कार्यालय में खासा चर्चा का विषय बना हुआ है। कुछ दिनों की चुप्पी के बाद भाजपा के इस भोंपू ने एक बार फिर ऐसा बयान दिया है जिससे मुसलमानों के बीच उनकी भूमिका किसी विभीषण से कम नही मानी जा रही।
शिया वक्फ बोर्ड प्राॅपर्टी को खुर्द-बुर्द करने के आरोपी और कोर्ट से स्टे पाकर शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन पद पर विराजमान वसीम रिजवी के बारे में यदि यह कहा जाए कि उन्हंे अब मीडिया की सुर्खियों में बने रहना भाता है तो शायद गलत नही होगा। यूपी ही नही बल्कि पूरे देश की बात करें तो चाहें शिया हो या फिर सुन्नी, सभी की आंखों की किरकिरी बन चुके हैं वसीम रिजवी। हाल ही में वसीम रिजवी एक बार फिर से मदरसों को आतंकवादियों की नर्सरी बताकर चर्चा में आ चुके हैं। बकौल वसीम रिजवी मदरसों की प्राइमरी शिक्षा तत्काल प्रभाव से बंद कर देनी चाहिए। उनका कहना है कि यदि कोई दीनी तालीम लेना चाहता है तो उसे आम बच्चों की भांति प्राइमरी शिक्षा पास करने के बाद ही किसी मदरसे से दीनी तालीम अर्जित करनी चाहिए। वसीम रिजवी के खिलाफ मुसलमानों के गुस्से का कारण उनका यह बयान था कि ‘प्राइमरी शिक्षा के लिए चलाए जा रहे मदरसो को बंद कर देना चाहिए क्योंकि इन मदरसों में दीनी शिक्षा की आड़ में आतंकवाद की शिक्षा दी जाती है’। शिया वक्फ बोर्ड के चेयरमैन वसीम रिजवी के इस बयान में कितनी सच्चाई है यह तो जांच का विषय हो सकता है लेकिन ऐन लोकसभा चुनाव से पूर्व उनके द्वारा दिए गए बयान यूपी की राजनीति में आग में घी जैसा काम कर रहे हैं। कहा जा रहा है कि वसीम रिजवी के मुख से मुसलमानों के खिलाफ बयानबाजी के पीछे भाजपा का हाथ है। चूंकि उसे अच्छी तरह से मालूम है कि उसे मुसलमान वर्ग से ज्यादा उम्मीद नही है लिहाजा वह मुसलमानों को आपस में तोड़कर वोटों का बटवारा करने की फिराक में है और उनके पास वसीम रिजवी जैसा व्यक्तित्व उनके काम में खासा लाभप्रद है।
वैसे तो वसीम रिजवी को भी इस बात का इल्म था कि उनके बयान के बाद कोई न कोई उनके खिलाफ न्यायालय में चुनौती देगा, शायद यही वजह है कि वे कहते हैं कि वे इसके लिए पहले से ही तैयार बैठे थे। केस की सुनवाई के दौरान वसीम रिजवी इस सम्बन्ध में क्या तर्क देकर मुसलमानों की नाराजगी दूर करेंगे? यह तो भविष्य के गर्त में लेकिन यूपी का मुसलमान उनके इस बयान के बाद से खासा नाराज है। बताते चलें कि वसीम रिजवी ने बाकायदा प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को पत्र लिखकर मदरसे बंद करने की मांग उठायी थी। उन्हांेने इस सम्बन्ध में बाकायदा मीडिया को भी स्टेटमेंट दिया था।
वसीम के इस बयान को लेकर राजधानी लखनऊ के एक आरटीआई एक्टिविस्ट तनवीर अहमद सिद्दीकी ने उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता त्रिभुवन कुमार गुप्ता के मार्फत कश्मीरी मोहल्ला सआदतगंज निवासी रिजवी को लीगल नोटिस भेजकर मदरसों में आतंकी संगठनों की फंडिंग होने, मदरसों में आतंकवादी पैदा किये जाने और अगले 15 साल में देश के आधे से ज्यादा मुसलमानों के आतंकवादी हो जाने के अनुमान के सम्बन्ध में उपलब्ध स्टडीज के प्रमाण मांगे हैं। नोटिस में यह भी कहा गया है कि यदि अगले 15 दिन में रिजवी द्वारा प्रमाण नहीं दिया गया तो उनके खिलाफ कानूनी लड़ाई लड़ी जायेगी।