देश में कृषि कानूनों के विरोध में पंजाब और हरियाणा के किसानों के प्रदर्शन को 65 दिन और दिल्ली बाॅर्डर में जमें किसानों को 13 दिन हो गया है। किसानो के आह्वान पर आज भारत बंद हो रहा है। जिसको व्यापक समर्थन मिल रहा है। भाजपा के अलावा देश की लगभग सभी बड़ी पार्टियां किसानों के समर्थन में खुल कर आ गई हैं। जबकि दूसरी तरफ विदेशो से भी किसानो के समर्थन में आवाज उठ रही है। अब कनाडा, ब्रिटेन व अमेरिका के भारतीय मूल के सांसदों ने किसानों को समर्थन देकर केंद्र सरकार की मुश्किलें बढ़ा दी है।
यही नहीं बल्कि 36 ब्रिटिश सांसदों ने हाल में भारतीय उच्चायोग को भी भारत के तीन कृषि कानूनों के असर के संबंध में चिट्ठी लिखी है। इस चिट्ठी में आरोप लगाया गया है कि यह कृषि कानून किसानों को शोषण से बचाने और उनकी उपज का उचित मूल्य दिलाने में पूरी तरह विफल है। सांसदों के इस पत्र में कहा गया है कि कृषि कानूनों के खिलाफ किसानों का आंदोलन पंजाब से जुड़े लोगों और ब्रिटेन में रहने वाले सिखों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है।
ब्रिटेन के 36 सांसदों ने भारत के किसान आंदोलन के संबंध में विदेश सचिव डॉमिनिक रैब को चिट्ठी लिखी है। लेबर सांसद तन्मयजीत सिंह ढेसी ने सांसदों को भारत के किसान आंदोलन के संबंध में एक मंच पर इकट्ठा किया है। पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में लेबर पार्टी के साथ ही कंजरवेटिव सांसद भी शामिल हैं। इन दोनों दलों के अलावा स्कॉटिश नेशनल पार्टी के नेताओं ने भी इस पत्र पर हस्ताक्षर किए हैं। पत्र में विदेश सचिव से मांग की गई है कि जल्द ही इस संबंध में बैठक बुलाई जाए।
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ब्रिटिश सांसदों का कहना है कि ब्रिटेन में रहने वाले कई सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया है। क्योंकि वे पंजाब में रहने वाले अपने परिवार के सदस्यों और पैतृक भूमि से जुड़ाव महसूस करते हैं। ब्रिटिश सांसदों से पहले कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भी भारत के किसान आंदोलन का मुद्दा उठाया था। हालांकि बाद में कनाडा के प्रधानमंत्री के बयान पर भारत की ओर से कड़ी आपत्ति जताई गई थी। इसके चलते विदेश मंत्रालय की ओर से कनाडा के हाई कमिश्नर को इस बाबत तलब किया गया था।