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वर्तमान में समाज आगे बढ़ रहा है। हर कार्यक्षेत्र में लोगों की समझ बढ़ रही है, लेकिन गंभीर विषय यह भी है कि समाज में छोटे बच्चों में अपराध वृत्ति भी बढ़ रही है। छोटी उम्र के नाबालिग भी हत्या, मारपीट और वाहन दुर्घटनाएं करना जैसे अपराध कर रहे हैं। वयस्कों जैसे आपराधिक कृत्यों को अंजाम देने में नाबालिग भी पीछे नहीं हैं। अमेरिका में हाल ही में हुई घटनाएं हमारे सामने हैं, जहां बचपन हिंसक होता जा रहा है। तो वहीं अपने देश में भी आंकड़े डरा रहे हैं।

छोटे बच्चों में आपस में लड़ना आम बात है। बच्चे एक साथ खेलते हैं, लड़ते हैं, गुस्सा करते हैं और फिर थोड़ी देर बाद एक-दूसरे से बात करने लगते हैं। ये एक सामान्य स्थिति हो सकती है, लेकिन ऐसी घटनाओं को आप क्या कहेंगे जहां छोटे-छोटे बच्चे एक-दूसरे को मार रहे हों जहां बच्चे खेलते समय एक दूसरे को मौत बांट रहे हैं। हाल ही में एक के बाद एक ऐसे मामले सामने आए हैं जो अभिभावकों के लिए चिंता का विषय हैं।

उत्तर प्रदेश के रामपुर में एक दस साल के बच्चे ने 4 साल के बच्चे की ईंट से मारकर कर हत्या कर दी। आपस में खेल रहे दोनों बच्चों में अचानक किसी बात को लेकर पहले झगड़ा हुआ फिर 10 साल के बच्चे ने गुस्से में आकर ईंट से चार साल के बच्चे पर वार कर दिया। बच्चे को मारने के बाद वो खुद भी डर गया। एक पुलिस कांस्टेबल को उसने जानकारी दी कि एक बच्चा घायल पड़ा है। फ़िलहाल पुलिस के सामने बच्चे ने जुर्म मान लिया है।

इसी तरह बिहार के सिवान में एक सातवीं कक्षा का बच्चा स्कूल गया था। उसकी क्लास में ही पढ़ने वाले एक सहपाठी अली ने उसे मौत की नींद सुला दिया। किसी बात को लेकर क्लास में झगड़ा हुआ और गुस्से में आकर दोस्त ने लोहे की रोड से पंकज के सिर पर वार कर दिया उसके बाद भी उसे मारने लगा। हॉस्टपिटल जाते हुए उस बच्चे की मौत हो गई।

दो दोस्त, एक 12 साल का और दूसरा 15 साल का। दोनों जूनागढ़ के निवासी थे। दोनों अच्छे परिवार से थे, लेकिन दोनों को जुए की लत थी। एक दिन 12 साल का एक बच्चा अचानक लापता हो गया। परिवार ने शिकायत दर्ज कराई तो जांच शुरू हुई तो पता चला कि लड़के के दोस्त ने ही उसकी हत्या कर दी है। वजह थी एक 12 साल के लड़के की जुए में जीत। दोनों लड़के पहाड़ के पास जुआ खेल रहे थे जिसमें आरोपी लड़का अपना पैसा हार गया। पैसे खोने के बाद गुस्से में आकर उसने अपने दोस्त को पहाड़ से धक्का दे दिया। इतना ही नहीं, उसे पहाड़ से नीचे फेंकने के बाद उसने वहां जाकर अपने दोस्त के चेहरे पर पत्थर से वार किया।

यह सरकार और समाज के लिए बड़ी चिंता का विषय बन गया है कि हमारे बच्चे और देश के भावी नागरिक हिंसा की ओर जा रहे हैं। वे लूट, चोरी, डकैती और हत्या जैसे गंभीर मामलों में भी शामिल हैं।

एक अध्ययन के अनुसार, भारतीय दंड संहिता के तहत पंजीकृत नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों में 47 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। नाबालिग होने के बावजूद, वे वयस्कों जैसे अपराधों को अंजाम दे रहे हैं। खास बात यह है कि नाबालिगों को दी गई छूट का नाजायज फायदा उठाते हुए वे और भी खतरनाक अपराधी बन जाते हैं।

आमतौर पर देखा गया है कि वयस्क अपराधियों जैसे गंभीर अपराध करने के बावजूद नाबालिग अपराधी कठोर दंड से बच जाते हैं। 2012 के निर्भया बलात्कार मामले में पीड़ित लड़की के साथ बलात्कार मामले में दोषी नाबालिग मौत की सजा से बच गया, जबकि बाकी वयस्क अपराधियों को उसी बलात्कार के मामले में फांसी दी गई थी। इससे पता चलता है कि नाबालिगों के बीच बढ़ती आपराधिक प्रवृत्ति को रोकने के लिए यह अकेला कानून नहीं है। इसके लिए समाज और शैक्षणिक संस्थानों के साथ-साथ स्वयं अभिभावकों को भी सक्रिय होना पड़ेगा, तभी हम अपने बच्चों को अपराध में शामिल होने से बचा पाएंगे और उन्हें देश का बेहतर नागरिक बना पाएंगे।

पिछले कुछ वर्षों में किशोर अपराधियों की दर लगातार बढ़ रही है। राष्ट्रीय अपराध ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2014 में 38,455, 2015 में 33,433 और 2016 में 35,849 किशोर देश भर में रिपोर्ट किए गए।

इन आंकड़ों के अलावा, मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, 12 जनवरी, 2022 को एक ऑटो चालक की हत्या के आरोप में दो नाबालिगों को हैदराबाद में गिरफ्तार किया गया था। उसी के एक महीने बाद पंजाब के लुधियाना में एक तेरह साल के लड़के को अपनी सात साल की बहन के साथ बलात्कार करने के आरोप में गिरफ्तार किया गया। अगले पांच दिनों में उत्तर प्रदेश के नोएडा के एक गाँव में एक छात्र की हत्या के आरोप में दो नाबालिगों को गिरफ्तार किया गया था।

तथ्य यह है कि किसी भी आरोप में गिरफ्तार किए गए नाबालिग के विरुद्ध नियमित अदालतों में नहीं बल्कि किशोर न्याय अधिनियम के तहत मुकदमा चलाया जाता है, जिसमें कम सजा का प्रावधान है। इस कारण से अनुसंधान किए जा रहे हैं और नाबालिगों द्वारा किए गए अपराधों में लगातार वृद्धि पर कई अध्ययन किए जा रहे हैं ताकि नाबालिग अपराधी अपना नया जीवन शुरू करे और सुधरकर भयानक अपराधी नहीं बने। इस कारण से उन्हें वयस्क अपराधियों के रूप में दंडित करने से रोक दिया गया है। लेकिन निर्भया की घटना के बाद शायद डर और खत्म हो गया, क्योंकि इसमें शामिल एक नाबालिग को मौत की सजा नहीं दी गई थी।

विशेषज्ञों के अनुसार, नाबालिगों द्वारा बढ़ते अपराध का कारण वर्तमान शहरीकरण और औद्योगीकरण प्रक्रिया द्वारा बनाया गया असंवेदनशील वातावरण है। ऐसे माहौल के कारण अधिकांश परिवार अपने बच्चों को नियंत्रण में रखने में विफल हो रहे हैं। व्यक्तिगत स्वतंत्रता बढ़ने से नैतिक मूल्य बिखरने लगे हैं। अधिक प्रतिस्पर्धा के कारण बच्चों की स्वाभाविकता छिन गई है। कंप्यूटर और इंटरनेट ने समाज और परिवार से नाबालिगों को अलग कर दिया है। वे अवसाद का शिकार हो रहे हैं। इन सभी कारणों से अपराध के क्षेत्र में नाबालिगों ने सक्रिय रहना शुरू कर दिया है। उन्हें अपराध से मुक्त रखने के लिए केवल सरकार पर भरोसा करना एक गलती होगी। समाज और घर परिवार को भी सतर्क रहने की जरूरत है।

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