राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार फिर भाजपा पर अपनी सरकार को गिराने का आरोप लगाया है। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस बात का दावा किया था कि गृह मंत्री अमित शाह राजस्थान की सरकार को गिराने की कोशिश कर रहे हैं। गहलोत ने कहा कि शाह, बीजेपी नेता धर्मेंद्र प्रधान, सैयद ज़फर इसलाम कांग्रेस के कुछ नेताओं से मिले थे। गहलोत ने यह आरोप उस समय लगाया है जब प्रदेश के पंचायत चुनावो का परिणाम आने वाले थे। हालाँकि इसे गहलोत का पंचायत चुनावो में मिली करारी हार से ध्यान हटाने को मात्र स्टंट करार दिया जा रहा है।
लेकिन गौर करने वाली बात यह है कि प्रदेश में इस चुनावो के दौरान पूर्व उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट का न्यूट्रल रहना और चुनावी प्रचार में हिस्सा न लेना भी एक कारण बताया जा रहा है। जबकि पायलट की जगह प्रदेश अध्यक्ष बनाए गए गोबिंद सिंह डोटासरा का अपना संगठन तक न खड़ा करना भी एक वजह बताई जा रही है। फ़िलहाल गहलोत सरकार संकट में है। पंचायत चुनावो से यह लगने लगा है कि कांग्रेस के हाथ से राजस्थान के गांव निकलते जा रहे है। जिनपर कांग्रेस का एकाधिकार था। सत्ता के साथ चलने वाले पंचायत चुनावो में माना जा रहा था कि कांग्रेस का पलड़ा भारी रहेगा। लेकिन मतगणना के बाद आए परिणामो से पुरे समीकरण ही बदल गये।
राजस्थान के पंचायत चुनावों को 2023 में होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले की बड़ी जंग के तौर पर देखा जा रहा था। इसलिए भाजपा और कांग्रेस पूरी ताक़त इन चुनावों में लगा रहे थे। लेकिन कांग्रेस में पूरी ताक़त तो गहलोत और पायलट खेमे के बीच एक-दूसरे को हराने में लगी हुई थी। चुनाव नतीजों से जहां भाजपा को ताक़त मिली है, वहीं चुनाव परिणामो में मिली पराजय के बाद कांग्रेस के अंदर गहलोत-पायलट गुट का झगड़ा बढ़ सकता है।
गौरतलब है कि राजस्थान के पंचायत चुनावो में भाजपा को 21 जिला परिषदों में से 14 में जीत मिली है जबकि कांग्रेस को सिर्फ 5 में। पंचायत समिति के चुनाव नतीजों में से कुल 222 समितियों की 4371 सीटों में से बीजेपी ने 1911, कांग्रेस ने 1781, निर्दलीयों ने 425 इन दिनों आंखें दिखा रही आरएलपी ने 57 सीटें जीती हैं। कांग्रेस को अपने बड़े नेताओं- प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा (सीकर), स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा (अजमेर) और खेल मंत्री अशोक चांदना (हिंडोली) के गढ़ में भी हार का सामना करना पड़ा है।
गहलोत-पायलट का झगड़ा रोकने के लिए सोनिया गांधी ने तीन नेताओं की एक कमेटी बनाई थी। लेकिन राजस्थान में होने वाले कैबिनेट के विस्तार को लेकर दोनों नेताओं के जबरदस्त दबाव के कारण इस कमेटी में शामिल नेता भी परेशान हैं। इसके अलावा प्रदेश कांग्रेस कमेटी भी घोषित होनी है। पायलट चूंकि प्रदेश के अध्यक्ष रहे हैं इसलिए उन्होंने कमेटी में अपने ज़्यादा समर्थकों को शामिल करने और मंत्रिमंडल में भी उन्हें वज़नी पद दिलाने के लिए दबाव बनाया हुआ है। सूत्रों के अनुसार पायलट कैंप का आरोप है कि कैबिनेट के विस्तार में देरी से पार्टी को और नुक़सान हो रहा है। इसके अलावा राज्य सरकार के बोर्ड और निगमों में भी पदों को भरा जाना है। गहलोत और पायलट के बीच सामंजस्य बनाने में कमेटी को नाकों चने चबाने पड़ रहे हैं।