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केरल में फिर वियजन वेव

पांच राज्यों के चुनावों की मतगणना 2 मई को सम्पन्न हो चुकी है। तीन राज्यों की सत्ता में कोई परिवर्तन नहीं दिखा, लोगों ने दोबारा उसी सरकार पर भरोसा जताया है। केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में बीजेपी ने बाजी मार ली है तो तमिलनाडू में कांग्रेस-डीएमके गठबंधन को सत्ता की चाबी मिली है। इन राज्यों के चुनावों में केरल का चुनाव भी काफी दिलचस्प रहा, जहां मुकाबला पहले त्रिकोणीय बताया जा रहा था, क्योंकि केरल में यहां एक तरफ राहुल गांधी तेज तर्रार तरीके से चुनाव प्रचार में जुड़े हुए थे, तो वहीं भाजपा ने मेट्रो मैन श्रीधर को प्रदेश का मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर चुनाव मैदान में उतारा था।

लेकिन केरल की जनता ने सत्तारुढ़ माकपा के नेतृत्व वाले वाम लोकतांत्रिक मोर्चा को दोबारा चुना। पिनरई विजयन को लोग केरल का मोदी कहते है बस दोनों में लुंगी का फर्क है।केरल में इस बार वाम मोर्चा ने एतिहासिक जीत दर्ज की, सीपीआई एम ने राज्य की 140 सीटों में से 62 सीटों पर जीत दर्ज की है। कांग्रेस ने 21, सीपीआई 17, आईयूएमएल ने 15, केईसी एम को 5 सीटें मिली।

भाजपा का कोई भी उम्मीदवार अपना एक भी सीट जीत नहीं सका। मतलब भाजपा को केरल के लोगों ने पूरी तरह नकार दिया है। केरल देश के सबसे ज्यादा पढ़े लिखे् राज्यों में आता है। लोकसभा 2019 के चुनाव के दौरान जब लगभग राज्यों में बीजेपी ने क्लीन स्वीप किया था, उस समय केवल केरल में बीजेपी को सबसे बुरी हार मिली थी।

कांग्रेस, यूडीएफ की अग्रणी पार्टी थी, जिन 93 सीटों पर उन्होंने चुनाव लड़ा, उनमें से आधे में नए और युवा चेहरों को मैदान में उतारा, वह केवल 21 जीत सकीं। राहुल गांधी की वायनाड लोकसभा सीट पर भी, जहां उन्होंने बड़े पैमाने पर प्रचार किया, यूडीएफ सात में से तीन सीटों पर हार गई।

कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष मुल्लापल्ली रामचंद्रन ने हार को अप्रत्याशित बताया। “केरल में राजनीतिक स्थिति में ऐसा कुछ नहीं है जो इस फैसले को सही ठहराए।” तिरुवनंतपुरम और कोल्लम के दक्षिणी जिलों में, कांग्रेस ने 25 में से केवल तीन सीटें जीतीं। केरल में हुए 2016 विधानसभा चुनाव में तिरुवनंतपुरम विधानसभा सीट से कांग्रेस के वी एस शिवकुमार 46474 वोट हासिल करके विजयी घोषित हुए थे।

तिरुवनंतपुरम विधानसभा सीट पर दूसरे नंबर पर आईएनडी के एंटनी राजू रहे थे जिन्हें 35569 वोट मिले। इस विधानसभा क्षेत्र से तीसरे नंबर पर बीजेपी के श्रीसंत और चौथे नंबर पर एडीएमके के डा. बीजू रमेश रहे थे। कांग्रेस नेता रमेश चेन्निथला 13 हजार 666 वोटों से चुनाव जीत गए हैं। वह हरिपद से चुनाव लड़ रहे थे। डुंबाचोला में कांग्रेस के ईएम अगस्तय ने हार मान ली थी।

उन्होंने घोषणा की थी कि वह उडुंबाचोला में संभावित हार की जिम्मेदारी लेते हैं। उन्होंने यह भी कहा था कि वह अपना सिर मुंडा लेंगे। कांग्रेस ने पूर्व प्रदेश अध्यक्ष राहुल गांधी ने सबसे ज्यादा फोकस केरल, तमिलनाडू और असम में किया था। राहुल गांधी के अलाला प्रियंका गांधी ने भी केरल में पार्टी के लिए जमकर प्रचार किया था। वायनाड राहुल गांधी का संसदीय क्षेत्र भी है वहां भी राहुल गांधी कुछ ज्यादा कमाल नहीं दिखा पाए।

बीजेपी को राज्य में शर्मनाक हार मिली है। केरल में बीजेपी की शर्मनाक हार। बीजेपी के प्रदेश अध्यक्ष के सुरेंद्रन अपने दोनों विधानसभा क्षेत्रों मांजेश्वरम और कोन्नी से चुनाव हारे। पलक्कड़ निर्वाचन क्षेत्र से निमोन विधानसभा सीट से एनडीए के ई श्रीधरन चुनाव हार गए हैं।

उन्हें कांग्रेस के शफी परम्बिल ने 3,840 मतों से हरा दिया। केरल विधानसभा चुनाव में बीजेपी खाली हाथ रही, क्योंकि सीपीआई-एम के वी शिवंकुट्टी ने निमोम निर्वाचन क्षेत्र से पार्टी के मौजूदा विधायक कुम्मनम राजशेखरन को 5000 मतों के अंतर से हरा दिया।

केरल के 2021 विधानसभा चुनाव में एलडीएफ गठबंधन को 93 और वहीं कांग्रेस वाले गठबंधन यूडीएफ को 38 और अन्य के खाते 9 सीटें गई है।

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केरल में पहली बार 1957 में कम्युनिस्ट सरकार बनी थी। अब वहीं कम्युनिस्ट पार्टी केरल में 50 साल बाद दोबारा दूसरी बार लगातार सरकार बना रही है। इससे पहले 1970 में ऐसा कम्युनिस्ट पार्टी ने ही किया था।

उसके बाद हर पांच साल राज्य में कभी यूडीएफ और कभी एलडीएफ के बीच सत्ता रहती। वामपंथ मोर्चा के लिए यह इतिहास दोबार पिनरई विजयन के नेतृत्व में, उनकी अथक मेहनत, लगन और कार्यों को जब लोगों ने सराहा तो दोबार वाम दल का कद राज्य के लोगों के लिए उपयोगी हो गया। केरल के सीएम पिनराई विजयन धर्मादम से 50 हजार वोटों के अंतर से चुनाव जीते है।

विजयन कैसे दोबारा सत्ता में आए?

दरअसल विधानसभा चुनाव से पहले पार्टी के लिए एक नई पॉलिसी टू टर्म नॉर्म लेकर आए। इस पॉलिसी के अनुसार अगर कोई भी उम्मीदवार दो बार चुनाव जीत चुका है तो उसे तीसरी बार टिकट नहीं दिया जाएगा। विजयन के इस पॉलिसी को लेकर पार्टी के अंदर कलह बढ़ गया, विजयन के खिलाफ प्रदर्शन हुए। जब टिकट वितरण की बारी आई तो सीटींग विधायकों तक के टिकट काट दिए।

जिनमें पांच राज्य मंत्री भी शामिल है। इस संबंध में उनसे सवाल किया गया तो उन्होंने कहा कि अगली बार मैं भी इस टर्म का हिस्सा रहूंगा। विजयन की पॉलिसी ने काम किया, क्योंकि पुराने विधायकों से राज्यों की जनता भी नाराज थी, टिकट बदलकर विजयन ने उन्हें दोबारा भरोसा दिलाया जिससे जनता का रोष दूर हो गया।

इसके साथ कोविड़ को लेकर उनकी स्ट्रेजी को लेकर लोगों ने उनकी काफी सहारना की। सेंटर फॉर पब्लिक पॉलिसी(सीपीपीआर) के चेयरमैन डॉक्टर धनुराज बताते हैं कि केरल में अब विजयन का फीगर मोदी जैसा हो गया है। हमारी संस्था ने एक सर्वे कराया है, उसमें बाकी नेताओं की तुलना में विजयन की लोकप्रियता 45% ज्यादा है। लोग उन्हें निर्णय लेने वाला, योग्य और क्षमतावान लीडर और प्रशासक मानते हैं।

जब राज्य में लगातार दो बार बाढ़ आई थी, तब उन्होंने राज्यों को संभाले रखा था और लोगों की मदद की थी। इसके बाद कोविद के समय में अच्छे मैनेजमेंट के लिए केरल के लोगों के दोबारा चहेते बन गए विजयन।

विजयन ने हर घर को फ्री राशन किट दी। माइग्रेंट मजदूरों के लिए कम्युनिटी किचन की व्यवस्था की। गल्फ से लौटे लोगों को पैसे दिए। संकट के वक्त भी बुजुर्गों को वेलफेयर पेंशन टाइम पर मिली। हर हाउसहोल्ड को फ्री राशन की किट विजयन का मास्टरस्ट्रोक रहा है। यही नहीं, कोविड की वैक्सीन भी हर किसी को राज्य में फ्री लग रही है।

केंद्र की सत्ता पर आसीन भाजपा ने विजयन को रोकने के लिए कई तरह के हथकंडे अपनाए लेकिन नाकामयाब रहे। कुछ विश्लेषक यह भी मान रहे है कि राज्य में लोग केंद्र सरकार की नीतियों को बिल्कुल भी पंसद नहीं करते। फिलहाल एक बार फिर केरल के लोगों ने पांच सालों के लिए अपना रहनुमा विजयन को चुना है।

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