दुनियाभर में कोरोना वायरस से 180 से ज्यादा देशों में खतरा मंडरा रहा है जिसके मद्देनजर कई देशों ने लॉकडाउन जारी है। भारत में भी 21 दिनों का लॉकडाउन चल रहा है। ये लॉकडाउन जनता की सुरक्षा के लिए किया गया था। लेकिन उन्हीं जनता का एक वर्ग लगातार तकलीफ झेल रहा है। ऐसी संवेदनहीनता जो आपको झकझोर देगी। मानवीयता पर कई सवाल खड़ी कर रही है। जो हमें हर रोज देखने और सुनने को मिल रही है।
ऐसा ही अमानवीयता का ताजा चेहरा उत्तर प्रदेश के बरेली से सामने आया है। योगी सरकार के द्वारा सभी मजदूरों के लिए 10,000 बसों का इंतजाम किए गया था। जब ये मजदूर यूपी पहुंचे तब मजदूरों और उसके साथ आएं बच्चे, बूढ़े और महिलाओं को उत्तर प्रदेश के कर्मचारियों द्वारा सैनिटाइज करने का अनोखा तरीका देख लोग हतप्रद रह गए। इतना ही नहीं सभी को जमीन पर बैठाकर उनको डिसइंफेक्ट किया गया। इसका वीडियो सोशल मीडिया पर लगातार वायरल हो रहा है। लोग सरकार और उनके कर्मचारियों के इस व्यवहार पर सवाल खड़े कर रहे हैं। कई लोगों का कहना है कि मजदूरों के प्रति सरकार का ये रवैया बेहद निंदनीय है। हालांकि, वीडियो वायरल होते ही जिलाधिकारी ने दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
इस वीडियो की पड़ताल की गई, प्रभावित लोगों का सीएमओ के निर्देशन में उपचार किया जा रहा है। बरेली नगर निगम एवं फायर ब्रिगेड की टीम को बसों को सैनेटाइज़ करने के निर्देश थे, पर अति सक्रियता के चलते उन्होंने ऐसा कर दिया। सम्बंधित के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं। https://t.co/y8TmuCNyu5
— District Magistrate (@dmbareilly) March 30, 2020
हालांकि मास सैनिटाइजेशन का यह तरीका दुनिया के कई देशों में अपनाया जा रहा है। इसे करते वक्त और सावधानी बरती जानी चाहिए थी और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए था जिससे लोगों को परेशानी महसूस नहीं होती।
— District Magistrate (@dmbareilly) March 30, 2020
दिल्ली, हरियाणा नोएडा वगैरह से आए सैकड़ों मजदूरों, महिलाओं और छोटे बच्चों को जमीन पर बैठाकर उनके ऊपर डिसइंफेक्ट दवाई का छिड़काव किया गया। जिसके कारण वहां उपस्थित बड़ों समेत सभी बच्चों के आंखों में जलन होने लगी। आंखों में जलन की शिकायत के बावजूद किसी को अस्पताल में भर्ती नहीं कराया गया।
हालांकि मास सैनिटाइजेशन का यह तरीका दुनिया के कई देशों में अपनाया जा रहा है। इसे करते वक्त और सावधानी बरती जानी चाहिए थी और सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए था जिससे लोगों को परेशानी महसूस नहीं होती।
— District Magistrate (@dmbareilly) March 30, 2020
इस अमानवीय घटना को देख बरेली के जिलाधिकारी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने ट्वीट किया, “इस वीडियो की पड़ताल की गई, प्रभावित लोगों का सीएमओ के निर्देशन में उपचार किया जा रहा है। बरेली नगर निगम एवं फायर ब्रिगेड की टीम को बसों को सैनेटाइज़ करने के निर्देश थे, पर अति सक्रियता के चलते उन्होंने ऐसा कर दिया। सम्बंधित के विरुद्ध कार्रवाई के निर्देश दिए गए हैं।”
बहुजन समाज पार्टी की प्रमुख मायावती ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। उन्होंने ट्वीट कर लिखा, “देश में जारी जबर्दस्त लॉकडाउन के दौरान जनउपेक्षा व जुल्म-ज्यादती की अनेकों तस्वीरें मीडिया में आम हैं। परन्तु प्रवासी मजदूरों पर यूपी के बरेली में कीटनाशक दवा का छिड़काव करके उन्हें दण्डित करना क्रूरता व अमानीवयता है जिसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम है। सरकार तुरन्त ध्यान दे। बेहतर होता कि केन्द्र सरकार राज्यों का बॉर्डर सील करके हजारों प्रवासी मजदूरों के परिवारों को बेआसरा व बेसहारा भूखा-प्यासा छोड़ देने के बजाए दो-चार विशेष ट्रेनें चलाकर इन्हें इनके घर तक जाने की मजबूरी को थोड़ा आसान कर देती।”
1. देश में जारी जबर्दस्त लाॅकडाउन के दौरान जनउपेक्षा व जुल्म-ज्यादती की अनेकों तस्वीरें मीडिया में आम हैं परन्तु प्रवासी मजदूरों पर यूपी के बरेली में कीटनााशक दवा का छिड़काव करके उन्हें दण्डित करना क्रूरता व अमानीवयता है जिसकी जितनी भी निन्दा की जाए कम है। सरकार तुरन्त ध्यान दे।
— Mayawati (@Mayawati) March 30, 2020
2. बेहतर होता कि केन्द्र सरकार राज्यों का बाॅर्डर सील करके हजारों प्रवासी मजदूरों के परिवारों को बेआसरा व बेसहारा भूखा-प्यासा छोड़ देने के बजाए दो-चार विशेष ट्रेनें चलाकर इन्हें इनके घर तक जाने की मजबूरी को थोड़ा आसान कर देती।
— Mayawati (@Mayawati) March 30, 2020
इसी तरह से एक और वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा है जिसमें कई मजदूरों को सैनेटाइजेशन के नाम एक कमरे में बंद कर दिया गया है। ये वीडियो भी उत्तर प्रदेश से ही सामने आई है। वीडियो में कुछ मजदूर गिड़गिड़ा रहे हैं। रो रहे हैं। मदद की भीख मांग रहे हैं। उसमें से एक शख्स रोते हुए कह रहा है, “सुबह से ये लोग कह रहे हैं कि 4 बजे गाड़ी आएगी, सबको घर छोड़ देगी। गाड़ी आ रही है। लेकिन साहब अब तक कोई गाड़ी नहीं आई। मेरी बेटी को देखो तबीयत खराब है उसकी। गाड़ी छोड़िए सर, हमें नहीं जाना गाड़ी से। हमें बस यहां से निकालिए सर! कैसे भी करके हमें निकालिए सर! लॉक लगा है सर! कैसे भी करके निकालिए सर!” उनमें से एक और शख्स कहता है, “योगी सरकार हमारा समर्थन कर रही है। बिहार सरकार नहीं कर रही। हम कहाँ जाएं सर! बिहार सरकार काहे हमारे साथ ऐसे कर रही है सर!”
क्या ये आइसोलेशन है? क्या ऐसे कोरोना संक्रमण के ख़तरों को रोकेगी बिहार सरकार? बिहार लौटने वाले मज़दूरों को यूँ जानवरों की तरह ठूँस कर? स्वास्थ्य जाँच की तैयारियों की कमी का बदला इन लोगों से लेगी? अगर इनमें एक भी कोरोना पॉज़िटिव हुआ तो सोचिए बाक़ियों को क्या होगा?@NitishKumar जी? pic.twitter.com/RLEFfsPHlA
— Umashankar Singh उमाशंकर सिंह (@umashankarsingh) March 30, 2020
दरअसल, यूपी में पहुंचे सभी मजदूरों को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सभी डीएमको निर्देश दिया था कि वे पिछले 3 दिनों में राज्य में लौटे 1.5 लाख प्रवासियों का पता लगाएं, उन्हें राज्य के शिविरों में रहने दें और उनके भोजन और अन्य रोजमर्रा की जरूरतों की व्यवस्था सुनिश्चित करें। उनके नाम, पते और फोन नंबर इन अधिकारियों को उपलब्ध कराए गए हैं और उनकी निगरानी की जा रही है। वहीं, उप-मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने कहा था कि इन सभी प्रवासी मजदूरों को 14 दिनों के लिए सरकारी शिविरों में रहना होगा।
जबकि एक अधिकारी ने कहा था कि केवल उन्हीं लोगों क्वारैंटाइन किया जाएगा, जिनमें संदिग्ध लक्षण दिखेंगे। जो नहीं होंगे होने जाने दिया जाएगा। वहीं बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने अधिकारियों से साफ कहा है कि सीमावर्ती जिलों में ही राहत शिविर स्थापित करें। सभी मजदूरों को 14 दिनों तक घर जाने की अनुमति नहीं होगी। उन्होंने ये भी कहा है कि विशेष बसों से लोगों को राज्यों को वापस भेजने से लॉकडाउन का उलंघन होगा। इससे कोरोना वायरस के प्रसार में भी बढ़ोत्तरी होगी। इसलिए लोगों को घर वापस भेजने की कोशिश के बजाय स्थानीय स्तर पर शिविरों का आयोजन करना बेहतर है। राज्य सरकार किसी के द्वारा आयोजित इन शिविरों की लागत की प्रतिपूर्ति करेगी। जबकि बिहार के मुख्यमंत्री को इस बात का पता होना चाहिए कि दिल्ली, मुंबई और राजस्थान से आने वाले तमाम मजदूर बिहार के रहने वाले हैं, जो यूपी के जरिए अपने घरों के लिए रवाना हुए हैं। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के इस रवैये से हजारों मजदूरों की मुश्किलें बढ़ा रही है। इसका क्या अंजाम होगा यह तय कर पाना नामुमकिन है