चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में कुछ छात्राओं के आपत्तिजनक वीडियो वायरल होने की खबर के बाद शनिवार 17 सितम्बर से विश्वविद्यालय में छात्रों का जोरदार विरोध जारी है। कुछ छात्राओं के आत्महत्या करने की कोशिश करने की भी खबरें आई हैं । हालांकि पुलिस और विवि प्रशासन ने मामले को खारिज कर दिया है। इस मामले में पुलिस ने आरोपी छात्रा और उसके प्रेमी को गिरफ्तार कर लिया है। पुलिस ने भारतीय दंड संहिता की धारा 354 (सी) और आईटी एक्ट के तहत मामला दर्ज किया है। ऐसे मामलों में पीड़ित पक्ष के क्या अधिकार हैं? और वे क्या कानूनी कदम उठा सकते हैं? यह जानना जरूरी है। तो आइए जानते हैं विस्तार से…
जब किसी महिला के साथ छेड़खानी की जाती है या उसे गंभीर चोट पहुंचाई जाती है, तो उसे धारा 354 (सी) के तहत गंभीर अपराध माना जाता है। ऐसे अपराधों में एक साल से पांच साल तक की सजा का प्रावधान है। इसके अलावा आर्थिक जुर्माना भी लगाया जा सकता है। हालांकि आईटी एक्ट में कई धाराएं हैं, लेकिन कुछ धाराएं ऐसे अपराधों में सीधे तौर पर लागू होती हैं। जिसमें पुलिस को हस्तक्षेप करने और तत्काल कार्रवाई करने का अधिकार है।
ऐसे मामलों में सबसे अधिक शिकार महिलाएं
दरअसल, हमारे देश में हर दिन महिलाओं के सैकड़ों आपत्तिजनक वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे हैं। कई बार महिलाएं प्यार के जाल में फंस जाती हैं और उनकी निजी तस्वीरें और अश्लील वीडियो सोशल मीडिया पर वायरल हो जाती हैं। ऐसे में अक्सर ऐसी तस्वीरें या वीडियो पीड़िता की जानकारी के बिना ही खींच लिए जाते हैं। आमतौर पर ऐसे वीडियो हिडन कैमरों की मदद से बनाए जाते हैं। कई बार पीड़ितों की सामान्य तस्वीरों को भी मॉर्फ करके वायरल कर दिया जाता है।
ऐसे फोटो और वीडियो के जरिए उन्हें ब्लैकमेल किया जाता है। पीड़ित अपने परिवार के सदस्यों या दोस्तों को इस डर से बताने से डरते हैं कि उन्हें समाज में कलंकित किया जाएगा। लेकिन ऐसी स्थिति आने पर वह ऐसी स्थिति से निपटने के लिए कानूनी कदम उठा सकती हैं।
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पीड़ितों की रक्षा करने वाले कानून…
महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम- 1986
जब किसी महिला की फोटो को अश्लील बनाने के लिए एडिट किया जाता है और सोशल मीडिया पर वायरल कर दिया जाता है। इस तरह के अपराधों से महिलाओं का अश्लील प्रतिनिधित्व (निषेध) अधिनियम-1986 की धारा 6 के तहत कार्रवाई की जाती है।
सूचना और प्रौद्योगिकी अधिनियम- 2000
किसी व्यक्ति की सहमति के बिना उसकी व्यक्तिगत तस्वीरें लेना, प्रसारित करना या प्रकाशित करना आईटी अधिनियम की धारा 66 (ए) के तहत एक गंभीर अपराध है। इस तरह के अपराध के दोषी पाए जाने वाले व्यक्ति को तीन साल की कैद और एक लाख रुपये तक के जुर्माने से दंडित किया जा सकता है। अगर कोई व्यक्ति किसी महिला के आपत्तिजनक वीडियो या फोटो सोशल मीडिया पर शेयर करता है तो आईटी एक्ट की धारा 67 के तहत कार्रवाई की जाती है। चंडीगढ़ यूनिवर्सिटी मामले में इस धारा के तहत मामला दर्ज किया गया है।
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भारतीय दंड संहिता – 1860
अगर किसी महिला को अश्लील फोटो या वीडियो वायरल करने की धमकी देकर जबरन सेक्स करने के लिए मजबूर किया जाता है तो यौन उत्पीड़न का मामला दर्ज किया जाता है। इसमें आईपीसी की धारा 354 (ए) के तहत कार्रवाई की जाती है। दोषी पाए जाने पर तीन साल तक के कठोर कारावास या जुर्माने या दोनों से दंडित किया जा सकता है।
किसी महिला को नहाते, बदलते या नग्न करते हुए फोटो खींचना एक आपराधिक कृत्य है। धारा 354 सी के तहत दोषी को पांच साल की कैद और जुर्माने की सजा हो सकती है। चंडीगढ़ वीडियो क्लिप मामले में पुलिस ने आरोपी के खिलाफ इस धारा के तहत मामला दर्ज कर लिया है। एक महिला ने अपनी निजी तस्वीर लेने के लिए हामी भर दी। लेकिन जिन मामलों में इसे प्रसारित करने की अनुमति नहीं दी जाती है, वहां आपत्तिजनक फोटो प्रसारित करने वाला व्यक्ति अपराधी बन जाता है। उसके खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई की जा सकती है।
बाल यौन अपराधों की रोकथाम अधिनियम, 2012 (पॉक्सो)
अगर 18 साल से कम उम्र की नाबालिग लड़कियों के साथ ऐसा अपराध किया जाता है, तो पॉस्को एक्ट के तहत अपराध दर्ज किया जाता है। इसमें चाइल्ड पोर्नोग्राफी से जुड़े प्रावधानों का भी जिक्र है। यह कानून बहुत सख्त है और लड़कियों की सुरक्षा से जुड़ा है।
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ऐसे अपराधों से कैसे बचें?
ऐसे अपराधों से बचने के लिए महिलाओं को सतर्क रहने की जरूरत है। अगर आपको ऐसी धमकियां मिलती हैं, तो तुरंत अपने परिवार या दोस्तों को सूचित करें। ऑनलाइन डेटिंग ऐप्स और सेक्स चैट से दूर रहें। किसी को भी अपनी निजी तस्वीरें न लेने दें। सार्वजनिक स्थानों, होटलों, शौचालयों आदि में जाने के बाद सबसे पहले यह सुनिश्चित कर लें कि कहीं कोई हिडन कैमरा तो नहीं है।
यदि आप ऐसे अपराधों के शिकार हैं तो आपका नाम गोपनीय रखा जाता है। किसी भी मीडिया में आपका नाम और पहचान उजागर नहीं की जा सकती है। पुलिस को भी पहचान उजागर नहीं करनी चाहिए।
शिकायत दर्ज करने से पहले क्या करें?
शिकायत दर्ज करने से पहले सभी आवश्यक साक्ष्य एकत्र किए जाने चाहिए। इसके लिए संबंधित व्यक्ति की पहचान, फेसबुक आईडी, व्हाट्सएप नंबर की आवश्यकता होती है। वायरल वीडियो या फोटो के स्क्रीन शॉट्स, ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिंग को सबूत के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। संबंधित व्यक्ति के मैसेज, ई-मेल, व्हाट्सएप और फेसबुक चैट को भी पुख्ता सबूत माना जा सकता है।
शिकायत कहां दर्ज करें?
साइबर अपराधों के खिलाफ कार्रवाई के लिए सरकार ने हर शहर में एक साइबर सेल की स्थापना की है। आप वहां ऐसी शिकायत दर्ज करा सकते हैं। इसकी शिकायत स्थानीय थाने में भी की जा सकती है। आप ऑनलाइन शिकायत भी दर्ज करा सकते हैं। ऐसी शिकायत आप साइबर सेल इंडिया को कहीं से भी कर सकते हैं।