[gtranslate]
Country

अहमद के अवतार में वेणुगोपाल

स्व अहमद पटेल का अपना जलवा था। सोनिया गांधी के कांग्रेस अध्यक्ष रहते पटेल उनके राजनीतिक सचिव हुआ करते थे। 1977 में 26 वर्ष के युवा नेता पटेल पहली बार लोकसभा पहुंचे। इस जीत के बाद उन्होंने कभी पलट कर देखा नहीं। कांग्रेस पर जब कभी भी किसी प्रकार का संकट आता तो गांधी परिवार उसका हल तलाशने के लिए पटेल को ही आगे करता। 2020 में उनके निधन पश्चात कहा जाने लगा था कि अब पटेल सरीखा ताकतवर नेता दूसरा कांग्रेस को नहीं मिलेगा। पार्टी के वर्तमान संगठन महासचिव के सी वेणुगोपाल लेकिन दूसरे पटेल बन उभर चुके हैं। राहुल गांधी के अति विश्वस्त वेणुगोपाल का जलवा अब चरम पर है। कांग्रेस में परंपरा रही कि राष्ट्रीय महासचिव सीधे पार्टी अध्यक्ष को रिपोर्ट करते हैं। वेणुगोपाल के संगठन महासचिव बनने के बाद अब यह परंपरा टूट गई है। 24, अकबर रोड के सूत्रों की मानें तो अब लगभग सभी राष्ट्रीय महासचिव और पार्टी की प्रदेश इकाइयों के अध्यक्ष वेणुगोपाल के जरिए ही अपनी बात पार्टी आलाकमान तक पहुंचा पा रहे हैं। पार्टी के बड़े नेताओं की गांधी परिवार संग हर बैठक में वेणुगोपाल मौजूद रहते हैं। इतना ही नहीं राहुल गांधी के साथ-साथ अब वे सोनिया और प्रियंका गांधी के भी विश्वस्त बन चुके हैं। वेणुगोपाल को भले ही पार्टी भीतर महत्वपूर्ण जिम्मेदारी राहुल गांधी के नजदीकी होने के चलते मिली हो, अपनी कार्यशैली के चलते धीरे-धीरे वे पार्टी भीतर अहमद पटेल सरीखी पहचान बना पाने में सफल होते दिख रहे हैं। राजस्थान में गहलोत बनाम पायलट विवाद हो या फिर छत्तीसगढ़ में बघेल बनाम सिंहदेव विवाद, वेणुगोपाल ने अपना रोल बखूबी निबाह गांधी परिवार का दिल जीत लिया है। खबर जोरों पर है कि राहुल गांधी कांग्रेस की दोबारा कमान संभालते हैं तो वेणुगोपाल को पार्टी अध्यक्ष का राजनीतिक सचिव बनने से कोई रोक नहीं सकता। खबर यह भी जोरों पर है कि उत्तर भारत के कई वरिष्ठ कांग्रेसी वेणुगोपाल के बढ़ते दबदबे के चलते खासे बेचैन हो चले हैं। पार्टी सूत्रों का कहना है कि जी-23 समूह के कई दिग्गज नेता राहुल गांधी की बनिस्पत वेणुगोपाल से ज्यादा नाराज हैं। इन नेताओं का कहना है कि राजनीति में उनसे कहीं जूनियर रहे वेणुगोपाल जान बूझकर गांधी परिवार संग इन नेताओं के रिश्ते बिगाड़ने का काम कर रहे हैं। कपिल सिब्बल, गुलाम नबी आजाद, भूपेंद्र हुड्डा और मनीष तिवारी सरीखे नेताओं को भारी मलाल है कि सोनिया गांधी अथवा राहुल गांधी से मिलने के लिए उन्हें वेणुगोपाल का दरवाजा खटखटाना पड़ता है, जो इन नेताओं को मंजूर नहीं। दूसरी तरफ वेणुगोपाल समर्थक कांग्रेसियों का कहना है कि संगठन महासचिव का काम ही पार्टी से जुड़े हर मसले को पहले अपने स्तर से निपटाना है। यदि मामला हाईकमान के स्तर का हुआ तभी किसी भी नेता की मुलाकात गांधी परिवार से कराई जाती है। कुल मिलाकर राहुल गांधी के नेतृत्व वाली कांग्रेस को अपना ‘अहमद पटेल’ मिल गया है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD