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वेंकैया नायडू ने कहा- पोर्न साइट्स बैन पर सदन में हो बहस, कानून पर हो विचार

वेंकैया नायडू ने कहा- पोर्न साइट्स बैन पर सदन में हो बहस, कानून पर हो विचार

पोर्न वीडियो के कारण देश में आए दिन कई अपराधों को अंजाम दिया जाता है। रेप से जुड़ी खबरें आए दिन न्यूज चैनलों और अखबारों की हेडलाइन बनती हैं। इसके सबसे बड़े कारणों में एक पोर्न साइट्स हैं। अब इस मुद्दे को राज्यसभा में उठाया गया है। राज्यसभा में मंगलवार को शून्यकाल के दौरान भाजपा सांसद कैलाश सोनी ने पोर्न साइट को कोरोना वायरस से भी बड़ा महामारी बताया।

कैलाश सोनी ने कहा, “सरकार ने 857 वेबसाइट्स पर रोक लगाई थी, लेकिन हाल ही में नई साइट्स पर पोर्न कंटेंट देखने के बाद कई जघन्य अपराध हुए हैं। देहरादून में 8 साल की बच्ची के साथ उसके भाई ने 4 दोस्तों के साथ मिलकर दुष्कर्म किया। उनकी उम्र 9 से 14 साल के बीच थी। भोपाल में एक इंजीनियर ने बच्ची से अश्लील हरकत का प्रयास किया। दोनों ही मामले पोर्न कंटेंट देखने का नतीजा थे। केंद्र सरकार इस बारे में विचार करे कि पोर्न वेबसाइट्स पर रोक कैसे लगेगी।”

कैलाश सोनी के इस वक्तव्य पर सभापति वेंकैया नायडू ने कहा कि इस मुद्दे पर इसी सत्र में चर्चा की जरूरत है। साथ ही उन्होंने कहा कि सरकार नए कानून पर भी विचार करें। नायडू ने कहा, “हमने इस समस्या को लेकर एक कमेटी बनाई थी, जिसने रिपोर्ट भी दी। हमें इस मुद्दे पर बचे हुए सत्र में अलग से विशेष चर्चा करने की जरूरत है। सरकार इस बारे में विचार करे कि मौजूदा कानून में संशोधन किया जाए या नया कानून बने।”

दरअसल, दैनिक भास्कर अखबार ने कुछ दिनों पर पहले पोर्न साइट्स के विरोध में अभियान शुरू किया था। ये मुद्दा सदन में उठाया गया। इससे पहले भी सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा था कि वह चाइल्ड पोर्नोग्राफी, दुष्कर्म के वीडियाे और तस्वीराें के ऑनलाइन प्रसार पर राेक लगाने के लिए इंटरनेट, साेशल मीडिया कंपनियाें जैसे-गूगल, वाॅट्सएप, फेसबुक और अन्य ऐप्स जिस पर लोगों को आसानी से कंटेंट देखते और साझा करते हैं, के मालिकों से मिले और इसकी रोकथाम के लिए प्रयास करे।

सुप्रीम काेर्ट ने साल 2018 में भी कहा था कि केंद्र चाइल्ड पोर्नोग्राफी और दुष्कर्म के वीडियो और फाेटाे काे इंटरनेट और अन्य साेशल साइट्स पर राेकने के लिए दिशा-निर्देश या मानक संचालन प्रक्रिया लागू किया जा सकता है। आपको बता दें कि प्रज्वला नाम की एक महिला ने साल 2015 में तत्कालीन चीफ जस्टिस एचएल दत्तू काे एक चिट्ठी लिखी थी। साथ ही प्रज्वला ने दुष्कर्म के दाे वीडियाे के पेनड्राइव भी चीफ जस्टिस को दिया था। उन्होंने कहा था कि इंटरनेट पर ऐसे कंटेंट पर राेक लगाई जाए। हालांकि, इस पर सुप्रीम काेर्ट ने स्वत: संज्ञान लिया था। उसके बाद कुछ पोर्न साइट्स को सरकार की ओर से बंद कराया गया था।

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