लंबे समय से भाजपा सांसद वरुण गांधी बेरोजगारी, अग्निवीर योजना, किसान आंदोलन आदि मुद्दों को लेकर अपनी ही सरकार को घेरते रहे हैं। इस बीच वरुण एक बार फिर से सुर्खियों में हैं। वरुण का पिछले दिनों एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें वे काफी हमलावर नजर आए। ऐसे में राजनीतिक गलियारों में सवाल उठने लगे हैं कि क्या वरुण गांधी अब आर-पार के मूड में हैं? दरअसल हाल ही में वरुण गांधी ने बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि ‘भाई को बांटो और भाई को काटो’ की राजनीति नहीं होने देंगे। उन्होंने हिंदू-मुस्लिम मुद्दे को भी बार-बार उठाए जाने पर मीडिया को आड़े हाथों लिया। राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि वरुण का यह बयान उनके चचेरे भाई राहुल गांधी के हालिया बयान जैसा ही है। ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल भी हिंदू-मुस्लिम के मुद्दे पर सरकार और मीडिया को घेरते रहे हैं।
वायरल वीडियो में वरुण कहते हैं कि ‘मैं न कांग्रेस के खिलाफ हूं, न पंडित नेहरू के खिलाफ हूं। हमारे देश की राजनीति देश को जोड़ने की राजनीति होनी चाहिए, न कि देश को तोड़ने की। आज जो लोग धर्म और जाति के नाम पर वोट ले रहे हैं, उनसे सवाल रोजगार, शिक्षा पर पूछें। हमें लोगों को दबाने की राजनीति नहीं, बल्कि उठाने की राजनीति करनी है।’ कई मुद्दों पर सरकार को घेरते हुए उन्होंने आगे कहा कि किसान इस समय कितने संकट में हैं, कोई टीवी चैनल और अखबार लिखने को तैयार नहीं है। केवल हिंदू-मुस्लिम, जाति-पाति कर रहे हैं तोते की तरह। ‘भाई को काटो, भाई को बांटो’ की राजनीति हम होने नहीं देंगे। वरुण गांधी कहते हैं कि नेता वह होना चाहिए जो गरीब जनता को अपने कंधे पर उठाकर चले न कि अपने जूते पर बिठाए। अपनी आवाज उठाओ। वरुण के इस भाषण को कई मायने निकाले जा रहे हैं। माना जा रहा है कि वरुण बीजेपी से नाराज हैं। इस वजह से वे ऐसे भाषण दे रहे हैं।
वे भले ही बीजेपी का जिक्र नहीं कर रहे हों, लेकिन सरकार की नीतियों के खिलाफ बोलकर उन्होंने अपने इरादे स्पष्ट कर दिए हैं। उनकी नाराजगी की कई वजहें हो सकती हैं। मसलन बड़ा नाम होने और गांधी परिवार से आने के बाद भी वर्तमान की मोदी सरकार में उन्हें कोई मंत्री नहीं बनाया गया। उनकी मां मेनका गांधी जरूर मंत्री बनीं, लेकिन वरुण को बड़ी जिम्मेदारी से दूर ही रखा गया। वहीं, दूसरी बार सरकार बनने के बाद मेनका गांधी से मंत्री पद भी छीन लिया गया। सांसद की जिम्मेदारी संभाल रहे वरुण गांधी के लगातार हमला बोलने के बाद सवाल उठ रहे हैं कि क्या पार्टी 2024 में उन्हें उम्मीदवार बनाएगी या फिर वरुण को किसी और दल की ओर रुख करना होगा।
राजनीतिक विश्लेषक मानते हैं कि संभव है कि वरुण दूसरे दल की ओर भी रुख कर सकते हैं। अतीत में उनके सपा, आरएलडी, कांग्रेस में शामिल होने की अटकलें लगती रही हैं। इन सबमें सबसे खास कांग्रेस है। वरुण और मेनका गांधी का गांधी परिवार से नाता है। ऐसे में जब भी वरुण के किसी दूसरे दल में जाने की संभावनाएं लगाई जाती हैं तो कांग्रेस का जिक्र जरूर आता है। हाल ही में ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी से भी एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में वरुण गांधी से जुड़ा सवाल किया गया कि क्या यूपी में यात्रा के दौरान वरुण गांधी शामिल होंगे? तो राहुल ने कहा कि उनका स्वागत है, लेकिन वे बीजेपी के हैं, तो उनको दिक्कत होगी। राहुल गांधी के इस बयान से भी अटकलें लगने लगीं कि यदि वरुण चाहते हैं तो कांग्रेस में जा सकते हैं। हालांकि, वरुण यूपी से ही सांसद रहे हैं और वहां पर कांग्रेस की स्थिति काफी कमजोर है। ऐसे में यदि बीजेपी से मोहभंग होता है तो क्या कांग्रेस की ओर रुख करेंगे या कांग्रेस की अपेक्षा में यूपी में मजबूत सपा, आरएलडी या बसपा में जाएंगे। यह तो समय ही बताएगा कि आने वाले समय में वरुण की राजनीति किस ओर जाती है।