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वंदेमातरम् पर राजनीति गरमाने के आसार 

नई दिल्ली। राष्ट्रगीत वंदेमातरम् को लेकर एक बार फिर राजनीति गरमाने के आसार हैं। आगामी लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा भी बन सकता है। मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार द्वारा नए साल 2019 के पहले दिन वंदेमातरम् न गाए जाने पर भाजपा ने उसे घेरना शुरू कर दिया है।  पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने इसके विरोध में तीखे तेवर दिखाए हैं। उन्होंने ट्वीट के जरिये तीखा कटाक्ष किया कि ‘अगर कांग्रेस को राष्ट्र गीत के शब्द नहीं आते हैं या फिर राष्ट्र गीत के गायन में शर्म आती है, तो मुझे बता दें। हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में जनता के साथ वंदेमातरम् मैं गाऊंगा।’
गौरतलब है कि मध्य प्रदेश में वर्ष 2005 से हर माह के पहले कामकाजी दिन पर ‘वंदेमातरम्’ गायन की व्यवस्था चली आ रही थी। लेकिन राज्य में सत्ता परिवर्तन हुआ तो नए वर्ष 2019 के पहले कामकाजी दिन पर राष्ट्रगीत नहीं गाया गया। इस पर पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने ट्वीट किया, ‘कांग्रेस शायद यह भूल गई है कि सरकारें आती हैं, जाती हैं, लेकिन देश और देशभक्ति से ऊपर कुछ नहीं है। मैं मांग करता हूँ कि वंदेमातरम् का गान हमेशा की तरह हर कैबिनेट की मीटिंग से पहले और हर महीने की पहली तारीख को वल्लभ भवन के प्रांगण में हो।’हालांकि, कमलनाथ की अगुवाई में कांग्रेस सरकार ने ‘वंदेमातरम्’ बंद करने का कोई आदेश जारी नहीं किया है, लेकिन भाजपा को उसे घेरने का मौका मिल गया है।
भाजपा के तीखे तेवरों को देखते हुए मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने भी संभलने की कोशिश की है। खुद राज्य के मुख्यमंत्री कमलनाथ को सफाई देने आगे आना पड़ा। उन्होंने कहा, “हर महीने की 1 तारीख को सचिवालय में वंदे मातरम गाने की अनिवार्यता को फिलहाल अस्थाई तौर पर बंद करने का फैसला लिया गया है। यह फैसला न तो किसी एजेंडे के तहत लिया गया है और न ही हमारा वंदेमातरम को लेकर कोई विरोध है। वंदेमातरम हमारे दिल की गहराइयों में बसा है। जो लोग वंदेमातरम नहीं गाते हैं तो क्या वे देशभक्त नहीं है?”  राजनीतिक जानकारों के मुताबिक कमलनाथ की सफाई अपनी जगह पर है, लेकिन भाजपा इसे आगामी लोकसभा चुनाव में मुद्दा बना सकती है।

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