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#उत्तर प्रदेश पुलिस पर फिर सवालिया निशान

यूपी पुलिस के अमानवीय व्यवहार से जुड़ा यह मामला राजधानी लखनऊ के पीजीआई थाने का सामने आया है | ग्राम घोघनखेड़ा निवासी प्रेम कुमार की एक नाबालिग बेटी के साथ एक स्थानीय हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया बलात्कार करता है। परिवार वाले रिपोर्ट लिखाने थाने जाते हैं तो पुलिस उन्हें दुत्कार कर भगा देती है। मुख्यमंत्री के जनता दरबार में अर्जी दी जाती है तो उसे भी संज्ञान में नहीं लिया जाता। रही बात पुलिस के आला अधिकारियों की तो मामला जब उनके पास जाता है तो वे जांच का कार्य उसी थाने के अधिकारी सौंप देते हैं जिसके बारे में यह आशंका जतायी जाती है कि वे हिस्ट्रीशीटर भूमाफियाओं संग मिले हुए हैं। इधर जब हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया को इस बात की भनक लगती है कि जिसके साथ उसने बलात्कार किया उसका परिवार थाने मेें रिपोर्ट लिखवाने के लिए चक्कर लगा रहा है तो वह भी भुक्तभोगी परिवार को जान से मारने की धमकी देने लगता है, इतना ही नहीं स्थानीय पुलिस भी भुक्तभोगी परिवार को यही सलाह देती है कि जो होना था, सो हो गया अब इस मामले को ज्यादा तूल मत तो वर्ना वह अपराधी तुम्हारे परिवार के दूसरे सदस्यों की हत्या कर देगा। चूंकि मामला नाबालिग बेटी के साथ दुराचार का था लिहाजा भुक्तभोगी परिवार न तो किसी प्रकार के सुलह के लिए तैयार था और न ही पुलिस और हिस्ट्रीशीटर की धमकी से भयभीत था। यह मामला जब मीडिया के संज्ञान में आया तो 14 अक्टूबर 2017 की घटना को दस दिन बार 24 अक्टूबर 2017 वाले दिन पीजीआई थाने में हिस्टीªशीटर भूमाफिया और बलात्कारी राम सिंह के खिलाफ आईपीसी की धाराओं 376, 506,323,306 लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम-2012 की धारा 3 और 4 सहित अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति (नृशंसता निवारण) अधिनियम 1989 की धारा 3(2)(5) में मामला पंजीकृत कर दिया गया। होना तो यही चाहिए था कि इतनी गंभीर धाराओं में मुकदमा पंजीकृत होने के बाद बलात्कारी राम सिंह को गिरफ्तार कर लिया जाना चाहिए लेकिन पीजीआई पुलिस हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया और बलात्कारी राम सिंह को घर से फरार कहकर बचाती रही है। इस बीच पुलिस की तरफ से बलात्कारी के खिलाफ कार्रवाई न होने और परिवारिक सदस्यों की जान को खतरा देखकर व्यथित 15 वर्षीय नाबालिग लड़की कोमल ने केरोसिन का तेल डालकर आग लगाकर आत्महत्या कर ली। बलात्कार की शिकार नाबालिग लड़की द्वारा आत्महत्या किए जाने से मामले ने तूल पकड़ा लेकिन पीजीआई पुलिस का दिल फिर भी नहीं पसीजा। पुलिस को जब यह लगने लगा कि यदि आरोपी राम सिंह को जेल नहीं भेजा गया तो उनकी नौकरी खतरे में पड़ सकती है तो जो अपराधी उन्हें दबिश के दौरान घर पर कभी नहीं मिला वह एकाएक पुलिस की गिरफ्त में आ गया।
अब यूपी पुलिस द्वारा एक हिस्ट्रीशीटर अपराधी को बचाने के षडयंत्र पर भी एक नजर दौड़ाई जाए। पुलिस ने हिस्ट्रीशीटर भूमाफिया और नाबालिग बच्ची के दुराचार के आरोपी को धोखाधड़ी के एक दूसरे मामले में जेल भेज दिया वह भी जमानतीय धाराआंे में। कुछ दिनों के उपरांत मामला ठण्डा पड़ते ही हिस्ट्रीशीटर राम सिंह जमानत करवाकर बाहर आ गया। बाहर आते ही उसने भुक्तभोगी परिवार को एक बार फिर से धमकाना शुरु किया। तमाम तरीकों से मुकदमा वापस लेने का दबाव बनाया जाने लगा। जब भुक्तभोगी परिवार को अपनी जांन सांसत में पड़ती दिखी तो वह स्वयं ही जान बचाकर गुप्त स्थान में रहने चला गया।
मौजूदा स्थिति यह है कि जब मीडिया ने पीजीआई थाने की पुलिस से बलात्कार के मामले में जानकारी चाही तो पुलिस ने यह कहकर पल्ला झाड़ लिया कि चूंकि अभी तक मामले की जांच चल रही है लिहाजा राम सिंह को उपरोक्त धाराओं में गिरफ्तार नहीं किया जा सकता।
समाचार लिखे जाने तक स्थिति यह थी कि बलात्कार के बाद शर्म से आत्महत्या करने वाली नाबालिग लड़की का परिवार अपनी जान बचाता घूम रहा है और बलात्कारी खुलेआम ऐश कर रहा है।

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