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बिलकिस बानो दुष्कर्म कांड पर अमेरिका संस्था ने दिया बयान

पूरा देश जब 15 अगस्त 2022 के दिन आजादी के अमृत महोत्सव के जश्न को मना रहा था उस दिन 2002 के गुजरात दंगों में गैंगरेप की पीड़ित बिलकिस बानो उस लड़ाई को हार गई जिसे उन्होंने लंबे समय तक लड़ा था। सुप्रीम कोर्ट द्वारा सभी दोषियों के रिहाई के फैसले के बाद देश भर से इसको लेकर प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं।

भारत की सुप्रीम कोर्ट द्वारा बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों को बरी किए जाने के बाद दुनिया भर से मिली-जुली प्रतिक्रियाएं आ रही हैं। दुनिया की महाशक्ति अमेरिका से भी इस मामले पर प्रतिक्रिया सामने आई है।

2002 के गुजरात दंगों के दौरान के बिलकिस बानो सामूहिक दुष्कर्म मामले के 11 दोषियों की समय पूर्व रिहाई के फैसले पर अमेरिका के अंतरराष्ट्रीय धार्मिक स्वतंत्रता आयोग (USCIRF) ने कड़ी आपत्ति जाहिर की है। आयोग द्वारा कहा गया है कि जिन दोषियों को उम्रकैद की सजा मिली थी उनकी जल्दी रिहाई अनुचित व न्याय का उपहास है।

यूएससीआईआरएफ के उपाध्यक्ष अब्राहम कूपर की ओर से जारी एक बयान में रिहाई के फैसले की आलोचना की गई है। वहीं, आयोग के आयुक्त स्टीफन श्नेक ने कहा कि यह फैसला धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ हिंसा में शामिल लोगों को सजा से मुक्त करने के एक पैटर्न जैसा है।

गौरतलब है कि गुजरात के दाहोद जिले के लिमखेड़ा तालुका के रंधिकपुर गांव में बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार किया गया था, जो गुजरात में गोधरा में ट्रेन के डिब्बे में हुई हिंसा के बाद भड़के दंगों के दौरान हुआ था। इस समय वह पांच माह की गर्भवती थी। साथ ही उनकी तीन साल की बेटी समेत परिवार के सात सदस्यों की मौत हो गई।

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सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों के बाद गुजरात सरकार ने 1992 की माफी नीति के अनुसार इन दोषियों की याचिकाओं पर विचार करने का फैसला किया। केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने इन 11 आरोपियों को 21 जनवरी, 2008 को दोषी ठहराया और उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई। बॉम्बे हाईकोर्ट ने उनकी सजा को बरकरार रखा था। इन दोषियों के 15 साल से अधिक समय तक जेल में रहने के बाद उनमें से एक ने सुप्रीम कोर्ट में सजा को कम करने के लिए याचिका दायर की। सुप्रीम कोर्ट के निर्देश के बाद गुजरात सरकार ने इस मामले में एक कमेटी का गठन किया था। इस समिति के निर्णय के अनुसार इन ग्यारह लोगों को रिहा करने का निर्णय लिया गया।

गुजरात सरकार से इस अन्यायपूर्ण फैसले को पलटने की अपील करते हुए बिलकिस ने कहा कि उन्हें भयमुक्त और शांतिपूर्ण माहौल में रहने का अधिकार वापस मिल जाना चाहिए। बरी किए गए 11 लोगों को बिलकिस बानो के साथ सामूहिक बलात्कार और उसके परिवार के सात सदस्यों की हत्या का दोषी पाया गया था। सोमवार को उन्हें गोधरा जेल से रिहा किया गया। गुजरात की भाजपा सरकार ने कैदियों के लिए माफी नीति के तहत यह फैसला लिया।

बिलकिस ने इस फैसले की आलोचना करते हुए बुधवार को कहा कि मुझ पर इतना बड़ा और अनुचित फैसला लेते हुए किसी ने मेरी सुरक्षा के बारे में एक आसान सा सवाल भी नहीं पूछा कि मेरे हित क्या हैं। 15 अगस्त 2022 को जब मुझे इन ग्यारह दोषियों को रिहा करने के फैसले के बारे में पता चला, तो मुझे लगा कि 20 साल पहले का आघात फिर से आ गया है। मेरी और मेरे परिवार की जिंदगी बर्बाद करने वाले, मेरी तीन साल की बेटी की हत्या करने वाले 11 अपराधी अब आजाद घूम रहे हैं।

 

इस निर्णय पर तत्काल प्रतिक्रिया व्यक्त करने के लिए मेरे पास शब्दों की कमी थी। मैं अभी भी सुन्न हूँ। ऐसी स्थिति में किसी भी महिला को न्याय कैसे मिल सकता है? मुझे अपने देश की सर्वोच्च न्यायपालिका में विश्वास था। इस सदमे को पचाकर मैं फिर से जीने लगी । लेकिन इन दोषियों के बरी होने से मैं पूरी तरह से बेचैन हो गई हूं और अब न्याय पर से मेरा विश्वास डगमगा गया है। मेरा दुख और डगमगाता विश्वास सिर्फ मुझ तक ही सीमित नहीं है, बल्कि हर उस महिला तक है जो अदालतों में न्याय के लिए लड़ती है और सोचतीहै कि न्याय होगा या नहीं। मुझे उनके लिए दुख है। इन दोषियों की रिहाई के बाद गुजरात सरकार को मेरी और मेरे परिवार की सुरक्षा की गारंटी देनी चाहिए।

 

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