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फिर सामने आई UP पुलिस की लापरवाही, एक माह बाद कानपुर के अपहृत का मिला शव

उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था लचर हो चुकी है। आए दिन अपराधिक घटना योगीराज की पोल खोल रही है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के लाख दावों के बावजूद अपराधी अपराध करने से बाज नहीं आ रहे हैं । तो दूसरी तरफ पुलिस कानूनी कार्रवाई करने में लगातार लापरवाही कर रही है।

अभी 3 दिन पहले की बात है जब गाजियाबाद के पत्रकार विक्रम जोशी की मौत पर यूपी पुलिस पर सवालिया निशान लगे थे । गाजियाबाद के विजयनगर पुलिस में विक्रम जोशी द्वारा कई दिन पूर्व रिपोर्ट दर्ज कराने के बाद भी अपराधी खुलेआम घूमते रहे और अंततः एक पत्रकार की गोली मारकर हत्या कर दी गई।

फिलहाल कानपुर के बर्रा में संजीत यादव के अपहरण और मौत की घटना से एक बार फिर यूपी पुलिस कटघरे में है। यहां लैब टेक्नीशियन संजीत यादव के अपहरण की सूचना 31 दिन पहले ही पुलिस को दी जा चुकी थी । लेकिन पुलिस मामले में लगातार लापरवाही करती रही । उधर दूसरी तरफ अपराधियों ने संजीत यादव की हत्या कर सबको पांडु नदी में डाल दिया था।

इसके बाद भी अपहृत युवक के परिजनों से 30 लाख रुपए ले लिए गए थे। जिसमें पुलिस की सहभागिता सामने आ रही है । हालांकि इस मामले में पुलिस ने आज 5 लोगों को गिरफ्तार कर लिया है । जिसमें मृतक संजीत यादव के दोस्त हत्या में शामिल बताए जा रहे हैं ।

पुलिस ने अपनी किरकिरी होते देख बर्रा थाना अध्यक्ष को पहले ही हटा दिया था । हालांकि अभी कई पुलिसवालों पर गाज गिरनी बाकी है। इस मामले को लेकर कांग्रेस की उत्तर प्रदेश महासचिव प्रियंका गांधी ने योगी सरकार की घेराबंदी की है और कहां है कि उत्तर प्रदेश में जंगलराज कायम हो गया है।  एक ट्वीट में  प्रियंका गांधी ने कहा है कि पुलिस ने अपहर्णकर्ताओ को खुद ही पैसे दिलवाए और हत्या करा दी।

अपहृत संजीत की हत्या पर प्रियंका ने दूसरा ट्वीट भी किया और लिखा कि उप्र में कानून व्यवस्था दम तोड़ चुकी है। आम लोगों की जान लेकर अब इसकी मुनादी की जा रही है। घर हो, सड़क हो, ऑफिस हो कोई भी खुद को सुरक्षित महसूस नहीं करता। विक्रम जोशी के बाद अब कानपुर में अपहृत संजीत यादव की हत्या। पुलिस ने किडनैपर्स को पैसे भी दिलवाए और उनकी हत्या कर दी गई। एक नया गुंडाराज आया है, इस जंगलराज में कानून-व्यवस्था गुंडों के सामने सरेंडर कर चुकी है।

कानपुर के एसएसपी दिनेश कुमार ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस करके बताया कि अपरहण करने के 4 दिन बाद ही अपहरणकर्ताओं ने संजीत यादव की हत्या कर दी थी और शव को पांडू नदी में फेंक दिया था। गौरतलब है कि लैब टेक्नीशियन संजीत यादव का 23 जून को उस समय अपहरण कर लिया गया था जब वह अपने आफिस जा रहे थे।

संजीत के अपहरण की शिकायत 23 जून को कानपुर के बर्रा थाने में दी गई थी। जिस पर पुलिस ने कोई एक्शन नहीं लिया । परिजनों ने हारकर एसएसपी दरबार में दस्तक दी । जिसके बाद 26 जून को एसएसपी के आदेश पर रिपोर्ट दर्ज की गई । उसके बाद भी पुलिस ने कुछ नहीं किया । इसके चलते अपहरणकर्ता के हौसले बुलंद हो गयें। संजीत के परिजनो ने 12 जुलाई को फिर से प्रार्थना पत्र दिया। तब भी पुलिस कुछ नहीं कर पाई ।

उधर, अपहरणकर्ताओं के फिरौती के लिए बराबर फोन आ रहे थे । 29 जून को अपहरणकर्ताओं ने पहली बार फिरौती के लिए फोन किया था। पुलिस के द्वारा कुछ ना करने के चलते थक हार कर परिजनों ने 13 जुलाई को 30 लाख रूपए अपहरणकर्ताओं के बताए गए स्थान गुंजा नदी के पुल के नीचे छोड़ दिए थे। इसके बाद भी जब 14 जुलाई को अपराध संजीत यादव घर नहीं लौटा तो उसके परिजन एसएसपी और आईजी रेंज से मिले ।

तब पुलिस के उच्चाधिकारियों द्वारा कहा गया कि 4 दिन में वह संजीत यादव को अपहरणकर्ताओं से बरामद कर ले आएंगे । लेकिन 4 दिन बाद भी कुछ नहीं हुआ । इतना हुआ कि 16 जुलाई को बर्रा इंस्पेक्टर रंजीत राय को सस्पेंड कर दिया गया और उनके स्थान पर हरमीत सिंह की तैनाती कर दी गई।

इस मामले पर पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने 2 दिन पूर्व ही ट्वीट करके यूपी पुलिस को चेताया था कि वह अपहृत युवक संजीत यादव के मामले में लापरवाही बरत रही है। आज एसएसपी दिनेश कुमार ने यह पुष्टि कर दी कि संजीत यादव की अपहरणकर्ताओं ने 23 जून को ही हत्या कर दी थी।

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