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इस बार चुनावी बजट की तैयारियां जोर-शोर से हो रही हैं, ऐसा इसलिए ताकि इसका सीधा लाभ पार्टी को लोकसभा चुनाव में मिल सके। लगभग पांच लाख करोड़ वाले इस चुनावी बजट का लाभ भाजपा को कितना मिलेगा? यह तो भविष्य के गर्त में लेकिन कहा जा रहा है कि इस चुनावी बजट से भाजपा के पक्ष में यूपी में माहौल जरूर तैयार किया जा सकता है साथ ही जनता की उस नाराजगी को भी दूर किया जा सकता है जिसके बारे में अब तक यह कहा जा रहा है कि यूपी की जनता भाजपा द्वारा उन वायदों को पूरा नही कर पायी है जो वायदे उसने विगत लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी की जनता से किए थे। इन वायदों में राम मन्दिर निर्माण, बेराजगारों को रोजगार और कश्मीर में अनुच्छेद 370 समाप्त किए जाने जैसे कई महत्वपूर्ण वायदे थे।
लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने से पूर्व यूपी सरकार के इस जम्बोजेट बजट को वोट बैंक की राजनीति से जोड़कर देखा जा रहा है। वर्ष 2019-2020 के इस बजट में तकरीबन 05 लाख करोड़ की योजनाओं को हरी झण्डी दिए जाने की योजना है। कहा जा रहा है कि यूपी सरकार का इस बार का बजट लोकसभा चुनाव को देखकर बनाया गया है। बजट सत्र समाप्त होते चुनाव की अधिसूचना भी जारी किए जाने की संभावना व्यक्त की जा रही है।
यह बजट सत्र आगामी माह 05 फरवरी से शुरु होगा। सरकार की कोशिश यह रहेगी कि लगभग पांच लाख करोड़ रुपए वाले इस बजट से समाज के सभी वर्गों को साधा जाए ताकि लोकसभा चुनाव में इसका सीधा असर देखने को मिले। बताते चलें कि चुनावी वर्ष में प्रस्तुत होने वाले इस बजट की तैयारियों को लेकर हाल ही में समीक्षा बैठकों को दौर चल चुका है और इस समीक्षा बैठक में स्वयं मुख्यमंत्री ने खास रुचि दिखायी। इस बैठक की खास बात यह है कि मुख्यमंत्री ने जम्बोजेट धनराशि वाले इस बजट पर अंतिम मुहर लगाने से पूर्व यूपी के कुछ दिग्गज नेताओं से भी वार्ता की जिसमें खासतौर से पार्टी संगठन मंत्री सुनील बंसल विशेष तौर पर आमंत्रित थे। अनुमान लगाया जा सकता है कि इस जम्बोजेट बजट को प्रस्तुत करने के लिए निर्देश कहां से और किस स्तर से जारी हुए होंगे। यूपी भाजपा नेताओं की मानें तो पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की चुनावी रणनीति का हिस्सा बनेगा यह बजट। ऐसा इसलिए कि लोकसभा चुनाव के दौरान यूपी में एक बार फिर से इतिहास दोहराने के लिए भाजपा के पास हाल-फिलहाल ऐसा कोई मंत्र नही है जिससे प्रदेश की जनता की नाराजगी को दूर किया जा सके। उम्मीद जतायी जा रही है कि इस बजट में प्रदेश की आम जनता को लुभाने के लिए तमाम ऐसी योजनाओं को शामिल किया गया है जिससे प्रदेश की जनता भाजपा द्वारा पिछले चुनाव के दौरान किए गए वायदों को भुलाकर भविष्य में सुनहरे सपने बुनने पर विवश हो जाए। भाजपाई दिग्गजों की यह रणनीति यूपी की लोकसभा सीटों को अपने इस हथकण्डे से कितना हथिया पायेगी, यह तो चुनाव परिणाम में ही नजर आ जायेगा लेकिन इतना जरूर तय है कि लोकसभा चुनाव से ठीक पूर्व यूपी सरकार का यह बजट यूपी की जनता के लिए सुनहरे सपने जरूर लेकर आयेगा।
फिलहाल मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस बजट को लेकर बजट निर्माण करने वाले वित्त विभाग के अधिकारियों को सरकार की मंशा से अवगत करा दिया था। बताया जा रहा है कि मुख्यमंत्री की समीक्षा बैठक के बाद से ही वित्त विभाग के अधिकारी लगातार बजट प्रस्ताव तैयार करने में जुटे हुए हैं। बजट लोकलुभावन हो और सभी वर्गों से जुड़ा हो इसे ध्यान में रखकर प्रस्ताव तैयार किया जा रहा है।
दूसरी ओर यूपी के इस बजट को अहम इसलिए भी माना जा रहा है क्योंकि आमचुनाव होने के कारण केंद्र सरकार इस बार अतंरिम बजट ही प्रस्तुत कर सकेगी जिसका लाभ जनता को देश की अगली सरकार की नीयत पर टिका हुआ है। यदि नयी सरकार इस अंतरिम बजट से संतुष्ट नहीं होगी तो वह चुनाव बाद फिर से पूर्ण बजट ला सकती है। आमतौर पर ऐसा पहले भी होता आया है। इस लिहाज से प्रदेश के इस बजट का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार की योजनाओं के साथ ही नई योजनाओं के लिए किया जायेगा। पार्टी नेताओं से मिली जानकारी तो यही बताती है कि इस बार के बजट में भी पूर्व की भांति युवा, किसान, उद्योगों और महिलाओं के लिए कुछ खाए किए जाने की योजना है। इस बजट में इस बार भी किसानों, उद्योगों, एक्सप्रेस-वे, युवाओं को स्वरोजगार आदि को तरजीह देने की बात कही जा रही है।
गौरतलब है कि इससे पूर्व के बजट में भी इसी वर्ग को ध्यान में रखकर योजनाए बनायी गयी थीं लेकिन कितनी योजनाएं अमल में लायी गयीं? यह सत्य किसी से छिपा नही है। इस बजट में बुजुर्गों और साधु-संतों की पेंशन खास आकर्षण का केन्द्र रहेगी। राजधानी लखनऊ में खुलने वाले अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय सहित कुछ नए मेडिकल कालेजों के निर्माण को लेकर भी बजट में व्यवस्था की गयी है। बताते चलें कि इससे पूर्व वर्ष 2018-19 का बजट 4.28 लाख करोड़ का था। यह बजट विगत वर्ष 16 फरवरी को पेश किया गया था। उस वक्त बजट प्रस्तुत होने के बाद मुख्यमंत्री ने कहा था कि उत्तर प्रदेश बहुत बड़ा प्रदेश है लिहाजा इतने बजट से उसका भला होने वाला नही है, इसे भविष्य में और बढ़ाया जायेगा। शायद  इसलिए इस बार के बजट को 5 लाख करोड़ तक पहुंचा दिया गया है।
संभवतः लोकसभा चुनाव की अधिसूचना जारी होने के ठीक पहले शुरु होने वाले बजट सत्र को लेकर भाजपा को आशाएं बहुतेरी हैं और इस बजट में सभी वर्गों को खुश रखने की कोशिश भी हो रही है लेकिन यह बजट सूबे की आम जनता को लुभाने में कितना सफल होगा? यह तो भविष्य के गर्त में है लेकिन इतना जरूर तय है कि इस बार के बजट को चुनावी सभाओं में जोर-शोर से प्रचारित-प्रसारित जरूर किया जायेगा। अन्ततः कहना गलत नही होगा कि इस बार का बजट लोकसभा चुनाव में दांव पर लगाया जा सकता है।

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