सड़क पर घायल इंसान एंबुलेंस का इंतजार करते-करते सड़क प्राण त्याग दे या अस्पताल को रिश्वत ने देने के वजह से गर्भवती महिला बहुत समय तक तड़पने को मजबूर हो जाए… तो यकीनन ये किसी भी समाज के लिए शर्मिंदगी और सरकार की क्षमताओं और उसकी संवेदनशीलता पर प्रश्नचिन्ह खड़े कर देता है। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य क्षेत्र में हालात कितने बदतर हैं ये हाल ही घटित घटना ने सत्यापित कर दिया है।
अस्पताल द्वारा ऑपरेशन के लिए पांच हजार रुपये ना देने पर गर्भवती महिला को चार घंटे तक इंतजार कराया गया। परिजनों ने आरोप लगाया है कि अस्पताल में डॉक्टर न होने का बहाने बनाते हुए दूसरे अस्पताल जाने को कहा गया है। दवाब बनाया गया कि दूसरे अस्पताल में जाएं। गर्भवती तड़पती रही लेकिन डॉक्टर्स ने भर्ती नहीं किया। हालांकि भाजपा नेता और सामाजिक संगठन को शिकायत करने के बाद अस्पताल प्रबंधन द्वारा महिला का ऑपरेशन किया गया।
गौरतलब है कि अस्पतालों में ऑपरेशन के नाम पर फीस लेने की शिकायतें काफी समय से की जा रही हैं। मरीज उप मुख्यमंत्री से भी इस मामले पर अपनी नाराजगी जताते आये हैं। गोविंदपुरम निवासी गर्भवती महिला राखी के पति राहुल कुमार ने आरोप लगाया है कि प्रसव पीड़ा के चलते जब वह अपनी पत्नी को अस्पताल ले गए तो एक अस्पताल में अल्ट्रासाउंड कराकर ऑपरेशन के लिए पांच हजार जमा करने को कहा। जब फीस देने से मना किया गया तो अस्पताल को बताया गया कि अस्पताल में तैनात एनेस्थेटिस्ट का समय खत्म हो गया है और अब एनेस्थेटिस्ट को बाहर से बुलाना होगा, जिसके लिए फीस देनी होगी। उन्होंने बताया कि उन्होंने एक सामाजिक संगठन की अधिकारी स्नेहा शिशोदिया से संपर्क किया।