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कोरोना काल के बीच बेरोजगारी बनी चुनौती

पिछले दो सालों से पूरी दुनिया कोरोना महामारी से जंग लड़ रही है। इस महामारी के चलते दुनिया भर के मुल्कों पर गहरा असर पड़ा है। हालात यह हैं कि विकासशील देशों के सामने आबादी और बढ़ती बेरोजगारी बड़ी चुनौती है।  भारत में भी बेरोजगारी के काले बादल गहराते जा रहे हैं। भारत पहले से बेरोजगारी के मुद्दों से घिरा हुआ है। ऐसे में कोरोना महामारी ने इस समस्या को और गंभीर बना दिया है। हालिया रिपोर्ट के अनुसार देश में बेरोजगारों की संख्या 5 करोड़ से ज्यादा हो गई है। इनमें महिलाओं की संख्या भी काफी ज्यादा है।

सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनॉमी (CMIE) की रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत में दिसंबर, 2021 तक 5.3 करोड़ लोग बेरोजगार थे और इसमें महिलाओं की संख्या काफी ज्यादा है। सीएमआईई ने कहा कि इनमें 3.5 करोड़ लोग सक्रियता से नौकरी तलाश रहे हैं, वहीं 1.7 करोड़ लोग काम करने के लिए इच्छुक तो हैं लेकिन सक्रिय रूप से जॉब ढूंढ नहीं रहे हैं।

सीएमआईई ने अपनी रिपोर्ट  में कहा, “भारत को तत्काल 7.9 फीसदी लोगों को रोजगार देने की जरूरत है जो अनइम्प्लॉयमेंट रेट में आते हैं या दिसंबर, 2021 में 3.5 करोड़ लोगों को रोजगार देने की जरूरत है जो सक्रियता से नौकरी खोज रहे हैं।”

इसमें “उतनी ही बड़ी चुनौती अतिरिक्त 1.7 करोड़ लोगों को नौकरी उपलब्ध कराना है, जिनके पास नौकरी भी नहीं है और अगर नौकरी मिले तो काम करना चाहते हैं। हालांकि, वे सक्रियता के साथ नौकरी नहीं खोज रहे हैं।”

बेरोजगारों में महिलाओं की बढ़ी संख्या

सीएमआईई के मुताबिक, दिसंबर 2021 में सक्रियता के साथ नौकरी खोज रहे 3.5 करोड़ लोगों में 80 लाख महिलाएं थीं। वहीं 1.7 करोड़ निष्क्रिय बेरोजगारों में से 53 फीसदी यानी 90 लाख महिलाएं काम करना चाहती हैं, लेकिन वे सक्रिय रूप से नौकरी नहीं खोज रही हैं।

सीएमआईई ने दलील दी है कि “यह जांच का विषय है कि इतनी बड़ी संख्या में महिलाएं काम करने की इच्छुक तो हैं, लेकिन क्यों काम के लिए अप्लाई नहीं कर रही हैं या काम खोजने के लिए दूसरे प्रयास कर रही हैं। यह जॉब की उपलब्धता की कमी है या लेबर फोर्स के साथ जुड़ने के लिए महिलाओं को सोशल सपोर्ट की कमी है।”

वर्ल्ड बैंक दे चुका है बेरोजगारी के संकेत

वर्ल्ड बैंक के डाटा का हवाला देते हुए सीएमआईई ने कहा कि वर्ल्ड बैंक ने महामारी से प्रभावित 2020 में ग्लोबल रोजगार दर 55 फीसदी या 2019 में 58 फीसदी रहने का अनुमान लगाया था, जबकि भारत में यह 43 फीसदी के निचले स्तर पर है। हालांकि, सीएमआई ने भारत की रोजगार दर 38 फीसदी रहने का अनुमान जाहिर किया है।

अहम समस्या है रोजगार दर

सीएमआईई के अनुसार, “भारत की बेरोजगारी की समस्या बेरोजगारी दर से जाहिर नहीं हो रही है। यह कम रोजगार दर की समस्या है और जो युवा फीमेल लेबर फोर्स को हतोत्साहित करती है।”

सीएमआईई के मुताबिक, भारत की संपन्नता का रास्ता लगभग 60 फीसदी आबादी के लिए रोजगार की खोज से गुजरता है।

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