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अघोषित हिन्दू राज्य बनता उत्तर प्रदेश

भ्रष्टाचार के मामलों में बेदाग उत्तर प्रदेश के सीएम महंत योगी आदित्यनाथ पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने बुनियादी सांस्कृतिक एजेंडे को लेकर स्पष्टता के साथ खुलकर सामने आ गए हैं। इस बात का खुलासा आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दायर की गई एक आरटीआई से हो चुका है।
उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार को बने लगभग एक वर्ष से ज्यादा का समय बीत चुका है, इस एक वर्ष के दौरान योगी सरकार के काम-काज को लेकर यदि स्क्रीनिंग की जाए तो यूपी को विकास के मामले में योगी सरकार ने भले ही कुछ न दिया हो लेकिन अघोषित रूप से हिन्दू राज्य की स्थापना मामले में योगी सरकार की गतिविधियों पर उंगली नहीं उठायी जा सकती। इस एक वर्ष के दौरान योगी सरकार अपने दावों के अनुरूप भले ही विपक्षी दलों के खिलाफ सपा-बसपा सरकारों द्वारा कारित भ्रष्टाचार को लेकर दृढ़ संकल्प के साथ मुहिम न चला पाई हो लेकिन इस सरकार ने हिन्दुओं के बीच यह संदेश पहुंचाने में जरूर सफलता हासिल की है कि मौजूदा योगी सरकार पिछली सपा सरकार की भांति मुल्ला-मौलवियों की नहीं अपितु तिलक, तराजू और तलवार वालों की है। बतौर मुख्यमंत्री धार्मिक अनुष्ठानों में खुलकर सहभागिता करना और प्रचार प्रसार के लिए विज्ञापन के रूप में सरकारी धन का इस्तेमाल इस बात का द्योतक है कि योगी आदित्यनाथ सूबे की जनता को अघोषित हिन्दू राज्य का खुलेमन से संदेश देना चाहते हैं। संदेश इसलिए भी ताकि केन्द्र और यूपी में पूर्ण बहुमत के बाद भी दावों के बावजूद राम मंदिर न बन पाने की टीस से हिन्दुओं को राहत दी जा सके। कहना गलत नहीं होगा कि पिछले लगभग एक वर्ष से भी ज्यादा समय से शासन के दौरान योगी सरकार काफी हद तक अपने इस मकसद में सफल भी हुई है। बात यदि चर्चा के आधार पर अथवा कही-सुनी बातों पर हो तो शायद भरोसा करना मुश्किल होगा यदि इसी बात को प्रमाण के साथ पेश किया जाए तो शायद यह बात काफी हद तक सही है कि योगी सरकार भले ही तमाम मोर्चों पर असफल रही हो लेकिन हिन्दुत्व के मुद्दे पर यह सरकार आम जनता की उम्मीदों पर खरी उतरी है।
कहना गलत नहीं होगा कि यूपी में लगभग एक साल पहले हुए चुनावों में जब बीजेपी ने अप्रत्याशित अंतर से जीत हासिल की तो किसी ने भी नहीं सोचा था कि गोरखपुर से तत्कालीन सांसद योगी आदित्यनाथ को यूपी की कमान सौंपी जाएगी। उस वक्त अंदरखाने में चर्चा हुई थी कि योगी को मुख्यमंत्री बनवाने में संघ की अहम भूमिका थी। संघ ने ही भाजपा के केंद्रीय नेतृत्व पर दबाव डालकर आदित्यनाथ को मुख्यमंत्री बनवाया था। संघ के दबाव की मंशा का अंदाजा भी आसानी से लगाया जा सकता है। संघ को आज भी यही उम्मीद है कि कट्टर हिन्दुवादी छवि वाले योगी आदित्यनाथ भाजपा के मुख्य एजेंडे ‘अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण’ को पूरा करने की क्षमता रखते हैं। रही बात एक वर्ष के दौरान इस दिशा में एक भी कदम न बढ़ाने की तो इसके पीछे भी भाजपाई दिग्गजों और संघ के दिग्गजों की सोची -समझी रणनीति है। एक वर्ष के दौरान इस दिशा में उपलब्धि के तौर पर कई मुस्लिम संगठन स्वयं अयोध्या में राम मन्दिर निर्माण की बात करने लगे हैं। कुछ तो स्वयं निर्माण में सहयोग की बात करने लगे हैं। यहां तक कि बुक्कल नवाब और वसीम रिजवी जैसे लोग मन्दिर में माथा टेकने से लेकर राम मन्दिर के पक्ष में गीत गुनगुनाते नजर आ रहे हैं। उम्मीद तो यही जताई जा रही है कि आगामी वर्ष होने वाले लोकसभा चुनाव से ऐन पहले इस अवसर को भुनाने की तरफ पहला कदम रखा जा सकता है ताकि देश की जनता को इस बात का आभास हो सके कि भाजपा राज में ही राम मन्दिर का निर्माण किया जा सकता है। बात यदि यूपी स्तर की राजनीति की हो तो प्रदेश भाजपा के कुछ नेताओं के बीच हो रही चर्चा इस बात की द्योतक है कि भाजपा इस अवसर को पूरी तरह से भुनाने के लिए तैयार है यानी लोकसभा चुनाव से ऐन पहले भाजपा अपने इस ब्रह्मास्त्र को चलाने के लिए पूरी तरह से तैयार हो चुकी है। कमान पर तीर चढ़ चुका है बस उसे छोड़े जाने की तैयारी है।
यदि देखा जाए तो लगभग एक वर्ष पूर्व यूपी की बागडोर कट्टर हिन्दु छवि वाले महंत योगी आदित्यनाथ को सौंपते ही यह बात आईने की तरह साफ हो गयी थी कि सूबे के विकास की बात करकेयूपी की सत्ता पर मजबूती से काबिज हुई भाजपा की नजर लोकसभा चुनाव 2019 पर है। वह एक बार फिर से वर्ष 2014 वाला इतिहास रचना चाहती है। चूंकि यह बात भाजपाई भी अच्छी तरह से जानते हैं कि बार-बार ‘हर-हर मोदी, घर-घर मोदी’ का जादू चलने वाला नहीं। भाजपा यह भी अच्छी तरह से जानती है कि वह अपने चार वर्ष के कार्यकाल में एजेंडे के अनुरूप आम जनता के समक्ष खरी नहीं उतर पाई है। यही वजह है कि भाजपा ने हिन्दुओं के बीच अपनी जगह बनाने के लिए महंत योगी आदित्यनाथ को सूबे की कमान सौंपी। कहना गलत नहीं होगा कि सबसे अधिक लोकसभा सीटों वाले सूबे में हिंदुत्व के एजेंडे को प्रमुखता देने की रणनीति योगी को सत्ता सौंपते समय ही बना ली गई थी। शायद इसी रणनीति के तहत योगी आदित्यनाथ यूपी में हिंदुत्व के एजेंडे को स्थापित करने के लिए शिद्दत के साथ काम करते दिख रहे हैं। मौजूदा स्थिति यह है कि भ्रष्टाचार के मामलों में बेदाग उत्तर प्रदेश के सीएम महंत योगी आदित्यनाथ पूरे आत्मविश्वास के साथ अपने बुनियादी सांस्कृतिक एजेंडे को लेकर स्पष्टता के साथ खुलकर सामने आ गए हैं। इस बात का खुलासा आबादी के हिसाब से देश के सबसे बड़े सूबे उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में दायर की गई एक आरटीआई से हो चुका है। सरकार के हिन्दुत्वीकरण से जुड़ी यह जानकारी उत्तर प्रदेश शासन के धर्मार्थ कार्य विभाग के अनुभाग अधिकारी और जन सूचना अधिकारी विनीत कुमार द्वारा दी गई है। दी गई जानकारी से स्पष्ट हो गया है कि यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हिंदुत्व के एजेंडे पर यूपी की जनता से जो वायदे किये थे उन सबको उन्होंने पूरा भी किया है।
धर्मार्थ कार्य विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार एक साल में योगी सरकार ने 550 लोगों को कैलाश मानसरोवर यात्रा के लिए प्रति व्यक्ति एक लाख रुपयों के हिसाब से 550 लाख रुपये अनुदान में दिए हैं। इन 550 लोगों की सूची भी विभाग से उपलब्ध करवायी गयी है। इस सूची के अनुसार अनुदान पाने वाले लोगों में यूपी के लगभग सभी जिलों का प्रतिनिधित्व करने वाले शामिल हैं। ऐसा इसलिए किया गया है ताकि पूरे सूबे में योगी की हिन्दुत्व विचाराधारा का लाभ आगामी लोकसभा चुनाव में पार्टी को मिल सके। अनुदान के साथ ही गाजियाबाद में श्री कैलाश मानसरोवर भवन निर्माण के लिए 1700 लाख रुपये अवमुक्त किया जा चुका है तो दूसरी ओर फैजाबाद जिले में अयोध्या भजन संध्या स्थल के निर्माण के लिए 477 लाख 67 हजार रुपये की वित्तीय स्वीकृति भी दी जा चुकी है। चित्रकूट में भजन संध्या स्थल एवं परिक्रमा स्थल निर्माण के लिए 502 लाख 67 हजार रुपये की वित्तीय स्वीकृति दी गई है तो दूसरी ओर सिन्धु दर्शन के लिए 38 यात्रियों को प्रति यात्री 10 हजार रुपयों की दर से अनुदान देने की जानकारी भी विभाग से दी गई है।
अघोषित रूप से हिन्दू राज्य का दूसरा उदाहरण यूपी की राजनीति के केन्द्र राजधानी लखनऊ के थानों में तैनात पुलिस अफसरों से जुड़ा हुआ है। आरटीआई से मिली जानकारी के मुताबिक राजधानी लखनऊ के 43 थानों में से किसी भी थाने पर मुस्लिम अफसर की तैनाती नहीं की गई है। लखनऊ के 43 थानों में से 18 में ब्राह्मण,12 मेंक्षत्रिय,02 में कायस्थ, 01 में वैश्य, 02 में कुर्मी,01 में मोराई, 01में काछी, 01 में ओबीसी, 01 में धोबी,01 में जाटव,01 में खटिक और 02 मेंअनुसूचित जाति के थानेदार तैनात हैं।
फिलहाल उपरोक्त आंकड़ों का खुलासा इस बात की पुष्टि करने के लिए पर्याप्त है कि यूपी की योगी सरकार के कार्यकाल में विकास की गति भले ही कच्छप गति से चल रही हो लेकिन अघोषित रूप से हिन्दू राज्य की कल्पना को साकार करने की तरफ यह सूबा तेजी से बढ़ रहा है।

 

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