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असम में बाढ़ से बेकाबू हुई स्थिति

एक ओर जहां पूरे देश में भीषण गर्मी का प्रकोप चल रहा है , वहीं दूसरी ओर मानसून से पहले असम में बारिश और बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित कर रखा है।राज्य के कई जिले बाढ़ के कारण प्रभावित हैं और वहां की यातायात व्यवस्था ठप्प पड़ी हुई है। हालत यह है कि पिछले एक हफ्ते से जारी बारिश के चलते बाढ़ की स्थिति बेकाबू हो गई है।

 

बाढ़ के कारण यहां के हालात बहुत गंभीर बने हुए हैं।  27  जिलों के करीब सात  लाख आबादी अब भी बाढ़ की चपेट में है।  कई लोग बेघर हो गए हैं। चारों तरफ पानी ही पानी है।  लगातार बारिश के कारण कई जगहों की सड़कें टूट गई हैं। वहीं भूस्खलन और जल भराव की समस्या पैदा हो गई है। बाढ़ के कारण रेलवे ट्रैक को भी भारी नुकसान पहुंचा है।  सेना और एनडीआरएफ  की टीम लगातार बाढ़ में फंसे लोगों की मदद में जुटी है। 

राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण के अनुसार नगांव जिले के कामपुर राजस्व क्षेत्र में एक व्यक्ति की डूबने से मौत हो गई। इसमें कहा गया है कि इसके अलावा कामपुर में दो और लोग लापता हैं। इसके साथ ही राज्य में बाढ़ और भूस्खलन से इस साल मरने वालों की संख्या बढ़ कर दस हो गई है।प्राधिकरण ने कहा है कि बाढ़ के कारण प्रदेश में 7 लाख 17 हजार 500 से अधिक लोग प्रभावित हुए हैं। प्रदेश के बजली, बक्सा, बारपेटा, विश्वनाथ, बोंगाईगांव, कछार, दरांग, धेमाजी, धुबरी, डिब्रूगढ़, दीमा हसाओ, गोलपारा, हैलाकांडी, होजई, कामरूप, कामरूप मेट्रोपॉलिटन, कार्बी आंगलोंग वेस्ट, करीमगंज, कोकराझार, लखीमपुर, माजुली, मोरीगांव, नागांव, नलबाड़ी, सोनितपुर और उदलगुरी जिले बाढ़ से प्रभावित हैं।

नगांव में सबसे अधिक 3 लाख 31 हजार लोग प्रभावित हुए हैं। इसके बाद कछार में 1.6 लाख और होजाली में 97 हजार 300 लोग बाढ़ से प्रभावित हैं। प्राधिकरण ने कहा कि फिलहाल 1790 गांव पानी में डूबे हुए हैं और पूरे प्रदेश में 63,970.62 हेक्टेयर की फसल क्षतिग्रस्त हो गई है। अधिकारी 14 जिलों में 359 राहत शिविरों और वितरण केंद्र का संचालन कर रहे हैं, जहां 80 हजार 298 लोग सहारा लिए हुए हैं। इनमें 12 हजार 855 बच्चे शामिल हैं।

एक बुलेटिन में कहा गया है कि सेना, अर्द्धसैनिक बलों, एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, नागरिक प्रशासन, प्रशिक्षित स्वयंसेवकों, दमकल और आपातकालीन सेवाओं तथा स्थानीय लोगों ने नावों और हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल कर बाढ़ प्रभावित विभिन्न क्षेत्रों से 7 हजार 334 लोगों को निकाला है। अधिकारियों ने 7,077.56 कुंतल चावल, दाल और नमक, 6,020.90 लीटर सरसो तेल,  2,218.28 कुंतल चारा एवं अन्य बाढ़ राहत सामग्री वितरित की है।

 

असम में बाढ़ के कारण

 

असम की भू-आकृति इसको अधिक बाढ़ प्रवण बनाती है। असम घाटी एक यू आकर की घाटी है जिसकी औसतन चौड़ाई 80 से 90 किमी. है, वही इस घाटी के बीच से प्रवाहित होने वाली नदियों की चौड़ाई 8 से 10 किमी. है।

तिब्बत, भूटान, अरुणाचल और सिक्किम आदि क्षेत्रों से भूमि ढलान असम की ओर है, इसलिये इन सभी क्षेत्रों से पानी की निकासी का मार्ग केवल असम की ओर होता है, जो असम में आने वाली बाढ़ का एक बड़ा कारण है।

असम हिमालय, हिमालय का अपेक्षाकृत नवीन भाग है, इसलिये अभी इसकी भूमि कम कठोर है। जब तिब्बत, भूटान, अरुणाचल और सिक्किम जैसे उच्च क्षेत्रों से पानी तीव्रता से असम की ओर प्रवाहित होता है तो भूमि के कम कठोर होने के कारण भूमि क्षरण तेज़ी से होता है। साथ ही पानी के प्रवाह की तीव्रता बाढ़ की प्रभाविता को और गंभीर बना देती है।

असम राज्य की सबसे बड़ी नदी ब्रह्मपुत्र है, जिसका अपवाह क्षेत्र चीन, भारत, बांग्लादेश और भूटान में लगभग 580,000 वर्ग किमी. का है। असम विश्व की शीर्ष पाँच अवसाद प्रवाहित करने वाली नदियों में से एक है। इन अवसादों के जमाव से पानी के प्रवाह में रूकावट आती है। ब्रह्मपुत्र में अवसादों की बड़ी मात्रा तिब्बत से प्रवाहित होकर आती है, तिब्बत के क्षेत्र की शुष्क, चट्टानी और वृक्षरहित परिस्थितियाँ अवसादों की अत्यधिक मात्रा हेतु ज़िम्मेदार है।

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