भारत में हर वर्ष महाशिवरात्रि पर भगवान शिव को भांग का भोग जरूर लगाया जाता है। हिंदू धर्म ग्रंथों व आयुर्वेद में भी भांग को कई रोगों में कारगर माना गया है। लेकिन बीते कई सालों में अंतरराष्ट्रीय जगत में भांग को एक ड्रग्स के रूप में पहचान मिली हुई है। लेकिन अब संयुक्त राष्ट्र में ऐतिहासिक मत के बाद इसे ड्रग्स की सूची से हटा दिया गया है और दवा के रूप में मान्यता दी गई है। संयुक्त राष्ट्र के नारकोटिक्स आयोग (CND) ने 2 दिसंबर, बुधवार को यह फैसला किया गया।
द ड्रग्स एंड क्राइम पर संयुक्त राष्ट्र कार्यालय (UNODC) ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की सिफारिश के बाद खतरनाक दवाओं की अपनी सूची से मारिजुआना को हटा दिया है। 27 देशों ने खतरनाक दवाओं की सूची से कैनबिस को हटाने के लिए मतदान किया, जबकि 25 ने इसपर प्रतिबन्ध जारी रखने के लिए वोट दिया। इस बार, भारत ने भी खतरनाक दवाओं की सूची से भांग निकालने के पक्ष में मतदान किया। चीन, पाकिस्तान और रूस सहित पच्चीस देशों ने इसके खिलाफ मतदान किया। संयुक्त राष्ट्र ने एक बयान में कहा, “यह ऐतिहासिक वोट मारिजुआना की औषधीय और चिकित्सीय क्षमता को सत्यापित करने का मार्ग प्रशस्त करता है।”
संयुक्त राष्ट्र के फैसले के बाद मारिजुआना या कैनबिस दवाओं का उपयोग बढ़ सकता है। इसके अलावा, भांग पर वैज्ञानिक शोध को भी बढ़ावा दिया जा सकता है। इस निर्णय के बाद कई देशों को भांग या भांग के उपयोग पर अपनी नीतियों को बदलने की उम्मीद है। इस बीच मारिजुआना के नुकसान और इसके चिकित्सा लाभों के बारे में पिछले कुछ दिनों में बहुत चर्चा हुई है। वर्तमान में 50 से अधिक देशों ने भांग के चिकित्सा महत्व को मान्यता दी है और इसे वैध बताया है। कनाडा, उरुग्वे और संयुक्त राज्य अमेरिका सहित 15 राज्यों में चिकित्सा उपयोग के लिए कैनबिस की अनुमति है।