भाजपा नेत्री उमा भारती अभी कुल 63 बरस की हैं। 2003 में जब वे मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री बनी थी तब उनकी उम्र कुल 44 बरस की थी। वे मात्र नौ महीने प्रदेश की मुखिया रहीं। उनके नेतृत्व में लड़े गए विधानसभा चुनावों में भाजपा को 230 विधानसभा सीटों में से 173 सीटों पर जीत हासिल हुई थी। अगस्त 2004 में लेकिन उनके राजयोग पर तब ग्रहण लग गया जब 10 बरस पुराने एक मामले में उनके खिलाफ गिरफ्तारी का वारंट जारी हो गया। उमा भारती को बतौर मुख्यमंत्री इस्तीफा देना पड़ा। पार्टी के दबाव में इस्तीफा देने बाद उमा के तेवर बगावती हो गए।
नवंबर, 2004 में उन्होंने पार्टी के तत्कालीन अध्यक्ष लालकृष्ण आडवाणी की एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान भारी हंगामा खड़ा कर डाला जिस चलते उन्हें भाजपा ने सस्पेंड कर दिया। हालांकि बाद में राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के कहने पर उन्हें वापस ले लिया गया लेकिन तमाम कोशिशों के बाद भी वे दोबारा मध्य प्रदेश की सीएम न बन सकीं। अपनी ही सरकार को अस्थिर करने के आरोपों चलते उमा अंततः भाजपा से निष्काषित कर दी गईं। जून, 2011 में उन्हें भाजपा में वापस तो ले लिया गया लेकिन उनका जलवा पहले समान नहीं रहा। 2014 में बनी मोदी सरकार में उमा को केंद्रीय जल संसाधन मंत्री बनाया गया। इससे पहले 2012 में हुए उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में उन्हें पार्टी ने चरखरी विधानसभा से चुनाव मैदान में उतारा था। वे इस चुनाव को जीत विधायक बनीं। तब यह कहा गया था कि उमा की रिइन्ट्री इसी शर्त पर भाजपा में हुई है कि वे मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर रहेंगी। इसी चलते 2014 के लोकसभा चुनाव भी उन्होंने उत्तर प्रदेश की झांसी लोकसभा सीट से लड़ा।
2019 में दोबारा केंद्र की सत्ता में काबिज होने के बाद गठित मोदी मंत्रिमंडल में उमा भारती को स्थान नहीं दिया गया था। उन्हें कुछ समय के लिए भाजपा का राष्ट्रीय उपाध्यक्ष जरूर बनाया गया। इस पद पर वे जून 2019 से सितंबर 2020 तक रहीं। उमा भारती को भले ही पार्टी ने मध्य प्रदेश की राजनीति से दूर रहने को कहा लेकिन उनका मन हमेशा अपने गृह प्रदेश में ही विचरता रहा है। यही कारण है कि पार्टी के दिशा-निर्देशों को धता बता वे एक बार फिर से मध्य प्रदेश में सक्रिय हो चुकी हैं। अब वे सीधे शिवराज सिंह चौहान पर राजनीतिक प्रहार न कर, उनकी सरकार की नीतियों के खिलाफ बोल रही हैं। उमा को इस बात की नाराजगी है कि शिवराज चौहान सरकार राज्य में शराब की बिक्री को रोकने के बजाए उसके जरिए ज्यादा से ज्यादा राजस्व कमाने की योजनाएं बना रही है। कुछ दिन पूर्व ही उन्होंने मध्य प्रदेश में पूरी तरह शराबबंदी की मांग को लेकर मुख्यमंत्री चौहान से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद उमा ने भोपाल जिला प्रशासन से कहा था कि वह स्कूलों और मंदिरों के आस-पास खुले शराब के ठेके बंद कराए। जब उनकी नहीं सुनी गई तो नाराज उमा ने सीधे कार्यवाही की बात कह डाली।
सरकार और प्रशासन इस पर भी नहीं चेता तो नाराज हो उमा भारती ने गत् रविवार, 13 मार्च को राजधानी भोपाल के एक शराब ठेके में पहुंच तोड़फोड़ कर डाली। जानकारों का मानना है कि भाजपा नेतृत्व द्वारा एक बार फिर से हाशिए में डाल दिए जाने से नाराज उमा भारती ने अपने राजनीतिक वजूद को बचाने के लिए शिवराज सिंह चौहान सरकार को घेरने की यह रणनीति बनाई है। गौरतलब है कि 2023 में मध्य प्रदेश में विधानसभा चुनाव होने हैं। कांग्रेस के बागी विधायकों की मदद से सत्ता में बैकडोर से वापसी करने वाली भाजपा ने यदि समय रहते उमा भारती के नाराजगी दूर नहीं की तो उमा उसके लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती हैं।