देश में इन दिनों जहां एक ओर केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए नए कृषि कानूनों को लेकर किसानों का आंदोलन चरम है, वहीं दूसरी तरफ सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट को लेकर देश की दो बड़ी पार्टियां सत्ताधारी भाजपा और विपक्षी कांग्रेस में घमासान एक बार फिर तेज होने लगा है। कांग्रेस का आरोप है कि सोशल मीडिया पक्षपातपूर्ण रवैया अपना रहा है। वह भाजपा के कुछ नेताओं को लेकर भड़काऊ भाषण के नियमों को लागू नहीं कर रहा है ।
देश की सत्ताधारी भाजपा पार्टी के आईटीसेल के प्रमुख अमित मालवीय जिस तरह की भ्रामक खबरों को लेकर चर्चा में हैं, उस पर अब ट्विटर ने भी श्ठप्पाश् लगा दिया है।
दरअसल, पुलिस द्वारा आंदोलनकारी किसानों की लाठी से पिटाई किये जाने की एक तस्वीर वायरल हुई थी। उस तस्वीर को प्रोपेगेंडा बताने का अमित मालवीय ने प्रयास किया, लेकिन ट्विटर ने उनके इस प्रयास की हवा निकाल दी। ट्विटर ने अमित मालवीय द्वारा किए गए मीडिया ट्वीट के नीचे श्मैनिपुलेटेड मीडिया लिखा है। ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ लिखने का मतलब है कि उस वीडियो से छेड़छाड़ की गई है। अमित मालवीय उस बीजेपी की आईटी सेल के प्रमुख हैं जो खुद को दुनिया की सबसे बड़ी पार्टी होने का दावा करती है।
दरअसल, अमित मालवीय का यह ट्वीट उस तस्वीर से जुड़ा था जिसको राहुल गाँधी ने प्रधानमंत्री मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया था। राहुल गांधी ने जब बीजेपी सरकार को निशाने पर लिया तो अमित मालवीय बचाव में उतर गए। उन्होंने राहुल गाँधी पर हमला किया। इसके लिए उन्होंने राहुल गाँधी द्वारा ट्वीट की गई तस्वीर और एक वीडियो क्लिप का कोलाज बनाया। यह साबित करने के लिए कि राहुल गांधी ने प्रोपेगेंडा फैलाने के लिए उस तस्वीर को ट्वीट किया है।
अमित मालवीय ने उस वीडियो को शेयर करते हुए लिखा, ‘राहुल गांधी पक्के तौर पर सबसे अधिक बदनाम विपक्षी नेता होंगे। भारत में लंबे समय बाद ऐसा हुआ होगा।’ बाद में जब फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइट बूम लाइव ने सबूतों के साथ यह बताया कि अमित मालवीय ने जो वीडियो शेयर किया है वह दरअसल एडिट किया हुआ है। यानी वीडियो पूरा सच नहीं है। इसके बाद ट्विटर ने ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ की सूचना नीचे लगा दी। इसके साथ ही राहुल गाँधी का वह ट्वीट भी लगाया जिसे उन्होंने ट्वीट किया था।
ट्विटर ने उस सूचना के साथ बड़े-बड़े और मोटे-मोटे अक्षरों में लिखा है, ‘ठववउस्पअम के अनुसार, किसानों के प्रदर्शन के दौरान एक बुजुर्ग आदमी पर पुलिस का डंडा खाली जाने का वीडियो एडिट किया गया है।’
इसके साथ ही ट्विटर ने इसकी विस्तृत जानकारी भी दी। ट्विटर ने लिखा, ‘किसानों के विरोध-प्रदर्शन में एक अधिकारी द्वारा एक बुजुर्ग व्यक्ति पर हमला करने की फोटो एक निजी न्यूज चैनल के जर्नलिस्ट रवि चैधरी की तसवीर वायरल हो गई। कांग्रेस नेता राहुल गांधी द्वारा इसे साझा किए जाने के बाद बीजेपी के आईटी सेल प्रमुख अमित मालवीय ने घटना के एक छोटे से संपादित वीडियो के साथ जवाब दिया। मालवीय के संपादित वीडियो में एक अधिकारी दिख रहा है जिसका डंडा बुजुर्ग पर नहीं लगता है। हालाँकि, ठववउस्पअम ने एक लंबा बिना संपादित किए गए वीडियो का विश्लेषण किया, जो एक दूसरा अधिकारी उसी बुजुर्ग पर अपनी लाठी चलाते दिखता है। ठववउस्पअम ने उस किसान की पहचान की है। उस किसान ने कहा था कि वह पीटा गया था और उसने वे निशान दिखाए और कहा कि वे निशान उसी घटना के थे।
पत्रकार रवि चैधरी ने भी उस बुजुर्ग की दूसरी तस्वीर इंस्टाग्राम पर साझा की है जिसमें दूसरे पुलिसकर्मी का डंडा उनके पैर पर लगता हुआ जान पड़ता है।
यह पहला मामला नहीं है जब अमित मालवीय ने या तो फेक न्यूज शेयर की या फिर छेड़छाड़ वाले वीडियो या तसवीरें शेयर कीं और उसके बारे में फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों ने इसका खुलासा किया है।
यह पहला मामला नहीं है जब अमित मालवीय ने या तो फेक न्यूज शेयर की या फिर छेड़छाड़ वाले वीडियो या तसवीरें शेयर कीं और उसके बारे में फैक्ट चेक करने वाली वेबसाइटों ने इसका खुलासा किया है।
अमित मालवीय ने पहले भी बिना किसी आधार के ही या बिना जाँच पड़ताल किए सोशल मीडिया पर वीडियो या मैसेज शेयर किए हैं। इसी साल 15 जनवरी को मालवीय ने नागरिकता कानून के खघ्लिाफ शाहीन बाग में प्रदर्शन कर रहे लोगों के बारे में दावा किया था कि वे पैसे लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।जिसके बाद इन्वेस्टिगेशनश् ने इन आरोपों को निराधार बताया था।
पिछले साल 28 दिसंबर को मालवीय ने लखनऊ में नागरिकता कघनून के खघ्लिाफ प्रदर्शन के वीडियो को शेयर करते हुए दावा किया था कि वे श्पाकिस्तान जिंदाबादश् के नारे लगा रहे हैं। उनके इस दावे को भी झूठा पाया गया था । प्रदर्शन करने वालों ने पाकिस्तान के समर्थन में नारे नहीं लगाए थे, बल्कि वे ‘काशिफ साब जिंदाबाद’ के नारे लगा रहे थे। वे आॅल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहाद उल मुसलिमीन पार्टी के लखनऊ के प्रमुख काशिफ अहमद का जिक्र कर रहे थे।
नागरिकता कानून के खिलाफ ही प्रदर्शन करने वाले अलीगढ़ मुसलिम यूनिर्सिटी के बारे में भी अमित मालवीय ने 16 दिसंबर को एक वीडियो शेयर किया था। वीडियो के साथ कैप्शन में उन्होंने लिखा था, ‘एएमयू के छात्र हिंदुओं की कब्र खुदेगी, एएमयू की धरती पर?’ लेकिन सचाई इससे अलग थी। वास्तव में छात्र हिंदुत्व, सावरकार, बीजेपी, ब्राह्मणवाद और जातिवाद के खघ्लिाफ नारेबाजी कर रहे थे। वे वीडियो में कहते हैं, श्हिंदुत्व की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर…, सावरकर की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर, ये बीजेपी की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर, ब्राह्मणवाद की कब्र खुदेगी, एएमयू की छाती पर, ये जातीवाद की कब्र।’इसके बाद ‘द वायर’ की आरफा खानम के अलीगढ़ मुसलिम विश्वविद्यालय में एक कार्यक्रम में दिए संबोधन के वीडियो को अमित मालवीय ने 26 जनवरी को शेयर किया था। इसमें उन्होंने दावा किया था कि आरफा एक इसलामिक समाज की स्थापना को बढ़ावा दे रही थीं और प्रदर्शनकारियों से आग्रह कर रही थीं कि जब तक ऐसे समाज का निर्माण नहीं हो जाता तब तक गैर-मुसलिमों को समर्थन करने का ढोंग करना चाहिए।
‘स्क्राल डाॅट इन’ ने लिखा था कि आरफा का कहने का मतलब इसके उलट था- उन्होंने लोगों से आग्रह किया था कि वे धार्मिक नारों का उपयोग न करें और इस आंदोलन के धर्मनिरपेक्ष रूप को बरकरार रखें।
इससे पहले नवंबर 2017 में मालवीय ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अलग-अलग महिलाओं के साथ तसवीरों का कोलाज बनाकर एक ट्विट किया था। जबकि सचाई यह है कि नेहरू की वे सारी तसवीरें बहन, भतीजी या दुनिया की बड़ी हस्तियों के साथ की हैं।
27 नवंबर 2018 को बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख मालवीय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक वीडियो से छोटे से क्लिप को काटकर ट्वीट किया था। इसमें मनमोहन सिंह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारें काफी अच्छी थीं।’ इस वीडियो को शेयर कर यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि तब इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार अच्छी थी और मनमोहन सिंह खुद तारीफ कर रहे थे।
तब वीडियो की पड़ताल में पाया गया था कि क्लिप को काटकर सिंह के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। जबकि वीडियो में मनमोहन सिंह ने पूरी बात यह कही थी, ‘मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों के साथ मेरे संबंध काफी अच्छे थे।’ ट्रंप के ट्वीट भी ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ हाल के दिनों में डोनल्ड ट्रंप के कुछ ऐसे ही ट्वीट के साथ ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ लिखा दिख रहा था। उसमें कहा गया था कि वह तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे थे।
इससे पहले नवंबर 2017 में मालवीय ने देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की अलग-अलग महिलाओं के साथ तसवीरों का कोलाज बनाकर एक ट्विट किया था। जबकि सचाई यह है कि नेहरू की वे सारी तसवीरें बहन, भतीजी या दुनिया की बड़ी हस्तियों के साथ की हैं।
27 नवंबर 2018 को बीजेपी आईटी सेल के प्रमुख मालवीय ने पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के एक वीडियो से छोटे से क्लिप को काटकर ट्वीट किया था। इसमें मनमोहन सिंह को यह कहते हुए सुना जा सकता है कि ‘मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारें काफी अच्छी थीं।’ इस वीडियो को शेयर कर यह संदेश देने की कोशिश की गई थी कि तब इन दोनों राज्यों में बीजेपी की सरकार अच्छी थी और मनमोहन सिंह खुद तारीफ कर रहे थे।
तब वीडियो की पड़ताल में पाया गया था कि क्लिप को काटकर सिंह के बयान को गलत तरीके से पेश किया गया। जबकि वीडियो में मनमोहन सिंह ने पूरी बात यह कही थी, ‘मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ की सरकारों के साथ मेरे संबंध काफी अच्छे थे।’ ट्रंप के ट्वीट भी ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ हाल के दिनों में डोनल्ड ट्रंप के कुछ ऐसे ही ट्वीट के साथ ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’ लिखा दिख रहा था। उसमें कहा गया था कि वह तथ्यों को तोड़ मरोड़ कर पेश कर रहे थे।
टंªप के ट्वीट भी ‘मैनिपुलेटेड मीडिया’
हाल के दिनों में अमेरिकी चुनाव में भी बिना किसी सबूत के अनियमितताओं के आरोप लगाने के मामले में ट्रंप की आलोचना होती रही है। ट्रंप जब टीवी चैनल पर लाइव भाषण दे रहे थे और श्झूठश् बोलने लगे थे तो टीवी चैनलों ने उनका भाषण बीच में ही रोक दिया था। इसके साथ ही एंकरों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति बिना किसी सबूत के तथ्य पेश कर रहे हैं या फिर झूठ बोल रहे हैं इसलिए उनका प्रसारण रोक रहे हैं।
हाल के दिनों में अमेरिकी चुनाव में भी बिना किसी सबूत के अनियमितताओं के आरोप लगाने के मामले में ट्रंप की आलोचना होती रही है। ट्रंप जब टीवी चैनल पर लाइव भाषण दे रहे थे और श्झूठश् बोलने लगे थे तो टीवी चैनलों ने उनका भाषण बीच में ही रोक दिया था। इसके साथ ही एंकरों ने यह भी कहा कि राष्ट्रपति बिना किसी सबूत के तथ्य पेश कर रहे हैं या फिर झूठ बोल रहे हैं इसलिए उनका प्रसारण रोक रहे हैं।