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पागलपन में बदल रही ऑनलाइन गेम की दीवानगी 

  •      प्रियंका यादव

लंबे समय से संपूर्ण विश्व कोरोना की बेड़ियों में जकड़ा हुआ है। हर किसी की जिंदगी पर कोरोना महामारी का नकारात्मक प्रभाव पड़ा है। सबसे बुरा प्रभाव बच्चों पर पड़ा हैं, क्योंकि लॉकडाउन के कारण बच्चों से उनका बचपन, स्कूल और पढ़ाई सब कुछ छीन गया । ऑनलाइन क्लास के नाम पर बच्चों के हाथ में स्मार्ट फोन आते ही उनका खेलना-कूदना पूरी तरह से बंद हो गया और उनको इंटरनेट की दुनिया अच्छी लगने लगी है। वहीं  अब यही इंटरनेट के चलते बच्चों पर  नकारात्मक प्रभाव भी देखने को मिल रहे हैं । बच्चों पर ऑनलाइन  गेम की दीवानगी अब पागलपन में बदल रही है। 

पबजी जैसे बैटलग्राउंड गेम बच्चों के दिमाग पर कितना गहरा प्रभाव डाल रहे हैं, इसका अंदाजा हाल में हुई कई घटनाओं से आसानी से लगाया जा सकता है। ताजा मामला महाराष्ट्र का है। यहां जब एक 16 वर्षीय लड़के को उसकी मां ने मोबाइल फोन पर गेम खेलने से मना किया तो उसने आत्महत्या कर ली। मृतक बच्चे का एक सुसाइड नोट मिला है। डिंडोशी पुलिस स्टेशन के अधिकारी ने बताया कि उसका शव मलाड और कांदिवली स्टेशन के बीच रेलवे ट्रैक से बरामद किया गया।

इससे एक दिन पहले उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी ऐसा ही मामला सामने आया था। लखनऊ में पबजी गेम के आदी नाबालिग बेटे ने गोली मारकर अपनी ही मां की हत्या कर दी थी। इतना ही नहीं वह उसके शव के साथ तीन रात तक घर में रहा। आरोपी बेटे ने छोटी बहन को भी धमकी दी कि अगर पुलिस या किसी को बताया तो उसे भी मार देगा।  जब बदबू फैलने लगी तो कहानी गढ़ी और पिता को सूचना दी। जिस पर पड़ोसियों ने पुलिस को सूचना दी। मौके पर पहुंची पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद जब  नाबालिग बेटे से पूछताछ की तो सारी हकीकत सामने आ गई। 

ऐसा ही एक मामला इंदौर में सामने आया था। इंदौर में एक 23 साल के लड़के ने ऑनलाइन गेम के चक्कर में आत्महत्या कर ली थी। रिपोर्ट के मुताबिक मूसाखेड़ी के बसंत नाम के एक लड़का ऑनलाइन गेम के चक्कर में भारी कर्ज में डूब गया था जिसके बाद उसने मौत को गले लगा लिया। उसने सुसाइड नोट में लिखा  कि उसने गेम में बहुत पैसे हारे हैं। इस वजह से सुसाइड कर रहा है।

ऑनलाइन गेम दिलो दिमाग पर हावी

एक समय था जब बच्चों के खेल पकड़म- पकड़ाई,गुल्ली-डंडा जैसे कई खेल  हुआ करते थे। जिससे बच्चो में समाजिक कौशलता का विकास , बच्चो का धैर्य और सहनशीलता बढ़ा करती थी। साथ ही उनके शरीर और मष्तिष्क का भी विकास  होता था।  लेकिन अब ऑनलाइन गेमों के कारण लोग अपने परिवार और समाज से कट रहे हैं  वे अधिकतर समय अपने स्मार्ट फ़ोन में ऑनलाइन गेम्स को लेकर बीताते हैं । जिससे बच्चे और युवा चिड़चिड़े और आक्रामक होकर मां – बाप की समस्याएं बढ़ाने लगे हैं। वो बिना इंटरनेट के नहीं रह पाते। ये ऑनलाइन गेम दिलो- दिमाग पर हावी होते दिखाई दे रहे हैं । मुंबई में गेम खेलने से मना करने पर बच्चे ने ट्रेन के सामने कूद कर आत्महत्या कर ली।  पुलिस के अनुसार १६ वर्षीय भरत घर में बैठ कर मोबाइल पर गेम खेल रहा था जिस पर माँ ने मोबाइल छीनते हुए पढ़ाई करने के लिए कहा। जिसके बाद बच्चा सुसाइड नोट लिख कर घर से चला गया। उस नोट के अनुसार वह घर में कई घंटे पढ़ाई करता था और इंटरनेट का एक्सेस बहन को है उसे नहीं। उसने नोट में लिखा था कि वो अब घर छोड़ कर जा रहा है और अब कभी वापस नहीं आएगा। उससे पहले भी लड़के ने दो बार आत्महत्या करने की कोशिस की थी।  एक अध्ययन के मुताबिक १२ से २० साल के बच्चों और युवाओ में इंटरनेट गेमिंग मानसिक बीमारी जैसी हो गई  है।

चीन में ऑनलाइन गेमिंग पर लिमिट

कोरोना काल में इंटरनेट प्लेटफॉर्म ने भले ही लोगों के जीवन को सरल बनाया हो लेकिन बच्चे समाजिक मूल्यों से दूर होने लगें है। ये केवल भारत की ही समस्या नहीं बल्कि दुनिया भर में यही समस्या देखी जा सकती है। चीन में ढाई सौ करोड़ लोग १७ घंटे इंटरनट पर बीताते है। जिसके कारण एक अच्छी पहल करते हुए चीन ने ऑनलाइन गेम पर कुछ हद तक रोक लगाई हुई है।  बच्चे वहां अब सप्ताह में तीन दिन और मात्र तीन घंटे ही गेम खेल सकते हैं।  भारत में लगभग ३० करोड़ लोग ऑनलाइन गेम खेलतेहैं। जिस हिसाब से ऑनलाइन गेमिंग का क्रेज बढ़ रहा है उस हिसाब से ये जल्द ही ५५ करोड़ तक हो सकता है। विश्व स्वास्थ्य संगठन भी ऑनलाइन गेमिंग को मानसिक अस्वस्थ्ता की स्थिति मानता है। इसे जुए और नशे की लत से भी खतरनाक माना जा रहा है। 

ऑनलाइन गेम्स को विश्व स्वास्थ्य संगठन ने माना मानसिक बीमारी

डब्ल्यूएचओ अर्थात वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने जून 2018 में ऑनलाइन गेमिंग को एक मानसिक स्वास्थ्य बीमारी घोषित किया था। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, गेमिंग डिसऑर्डर गेमिंग को लेकर बिगड़ा हुआ नियंत्रण है। जिसका हमारी दैनिक गतिविधियों पर भी बुरा प्रभाव पड़ता है। डब्लूएचओ ने इंटरनेशनल क्लासिफिकेशन ऑफ डिजीज के ताजा रिपोर्ट में कहा है कि ऑनलाइन गेमिंग की लत कोकीन, ड्रग्स और जुए जैसे पदार्थों के बराबर होती है।

ऑनलाइन गेम्स पर प्रधानमंत्री मोदी का ट्वीट

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी ऑनलाइन गेम्स के खतरों को लेकर एक ट्वीट किया था। जिसमें उन्होंने लिखा था कि जितने भी डिजिटल या ऑनलाइन गेम्स मार्केट में मौजूद हैं, उनमें से ज्यादातर का कॉन्सेप्ट भारतीय नहीं है। ऑनलाइन गेम्स के ज्यादातर कॉन्सेप्ट या तो वॉयलेंस को बढ़ाते हैं या मेंटल स्ट्रेस का कारण बनते हैं।

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