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उथल-पुथल भरा गुजरा साल

साल 2021 अलविदा कह चुका है। तेजी के साथ गुजरे साल में दुनिया में खासी उथल-पुथल रही। पूरा साल कोरोना महामारी की दूसरी लहर की वजह से बेहद तकलीफदेह रहा। लाखों लोग असमय ही काल के गाल में समा गए। वहीं इस साल ऐसी कई बड़ी घटनाएं घटीं जिनका प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष असर पूरी दुनिया पर पड़ा। कुछ देशों में सत्ता बदली तो कई राष्ट्रों के आपसी टकराव खूब चर्चा में रहे। आर्थिक मोर्चे पर बात करें तो मंदी के दौर से गुजरती दुनिया के तमाम छोटे मुल्कों को कोरोना के चलते भारी नुकसान झेलना पड़ा जो अब तक जारी है। दुनिया भर ने कोरोना से लड़ाई के साथ-साथ अपनी सैन्य शक्तियों में इजाफा भी किया। एक दूसरे से आगे बढ़ने की होड़ भी चली और मुसीबत के वक्त साथ भी दिया गया। जलती चिताओं के बीच अमृत बनी कोविड-19 की वैक्सीन 2020 में दुनिया भर में नोवल कोरोना वायरस की मार झेल चुके विश्व के लिए, ये साल थोड़ी राहत लेकर आया जब इस बीमारी की वैक्सीन ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराई। जिस गति से कोरोना के टीके विकसित किए गए, वह आश्चर्यजनक था। अभी तक बने चेचक, पोलियो और खसरा, मम्प्स और रूबेला जैसी बीमारियों के टीकों को विकसित होने में अमूमन दस से पंद्रह साल लग गए। लेकिन कोरोना के टीके एक साल से भी कम समय में बनकर तैयार हो गए। यही नहीं, शुरुआत में इन टीकों ने आश्चर्यजनक ढंग से सही परिणाम भी दिए। 2021 के पहले ग्यारह महीनों में 184 देशों में 7.4 बिलियन से अधिक टीके की खुराक दी गई। इसके बाद नवंबर 2021 में, दक्षिण अफ्रीकी वैज्ञानिकों ने ओमिक्रान वेरिएंट की पहचान की।

दुनिया भर में लोकतंत्र पर चोट
साल 2021 दुनिया भर में मौजूद लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने के प्रयासों के तौर पर भी देखा जाएगा। यदि अमेरिका की बात करें तो सबसे स्वस्थ लोकतंत्र होने का दावा करने वाले इस देश ने अपने इतिहास में पहली बार सत्ता के शांतिपूर्ण परिवर्तन के विपरीत इस बार हिंसक विद्रोह का सामना किया। खाड़ी देशों के सिरमोर संयुक्त अरब अमीरात को ‘बैकस्लाइडिंग लोकतंत्र’ नाम दिया गया। इसी तरह भारत सरकार की भी लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं को कमजोर करने की कोशिश में दुनिया भर में आलोचना हुई। ब्राजील के राष्ट्रपति जायर बोल्सोनारो ने अपने देश के चुनावों की वैधता पर हमला करते हुए कहा कि ‘ब्राजील में लोकतंत्र मर रहा है।’ म्यांमार, चाड, माली, गिनी और सूडान में उभरते हुए लोकतंत्र को तख्तापलट कर हटा दिया गया था। पूरे वर्ष सरकारें असंतोष को दबाती रहीं। जर्मनी से रूस लौटने के बाद रूसी विपक्षी नेता एलेक्सी नावाल्नी को जेल में डाल दिया गया था। एक प्रमुख आलोचक को गिरफ्तार करने के लिए पड़ोसी देश बेलारूस ने एक यात्री जेट को मोड़ दिया। चीन ने हांगकांग पर अपनी पकड़ मजबूत कर ली। क्यूबा ने अपने इतिहास में सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन के बाद हजारों आलोचकों को गिरफ्तार किया।


इजरायल के पेगासस पर विवाद
पेगासस मामला सामने आने के बाद से इस साॅफ्टवेयर को बनाने वाले इजरायल को लेकर विश्व में काफी उथल-पुथल मची रही। इस पर बवाल होने के बाद साइबर प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में एनएसओ कंपनी के पेगासस हैकिंग टूल पर इजरायल ने अपनी साइबर प्रौद्योगिकी निर्यात नीति में बदलाव कर दिया है। इजरायल ने उन देशों की सूची में कटौती की है जो 102 देशों से 37 को साइबर प्रौद्योगिकी की खरीद की अनुमति देते हैं। भारत बहिष्कृत देश में शामिल नहीं है। इजरायल ने मेक्सिको, मोरक्को, सऊदी अरब और यूएई से प्रौद्योगिकी की खरीद पर प्रतिबंध लगा दिया है। इजरायल के रक्षा मंत्रालय के अनुसार, यह कदम इसलिए उठाया गया है क्योंकि इन देशों ने निर्यात लाइसेंसिंग शर्तों का उल्लंघन किया है। प्रोजेक्ट पेगासस रिसर्च प्रोजेक्ट के अनुसार पेगासस तकनीक का इस्तेमाल विश्व भर के मंत्रियों, विपक्षी नेताओं, पत्रकारों, वकीलों, व्यापारियों, सरकारी अधिकारियों, वैज्ञानिकों, मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अन्य लोगों की जासूसी के लिए किया गया।

प्रवासी संकट
2020 में कोरोना की वजह से अमेरिका में अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या पिछले वर्ष की तुलना में बढ़कर 1.7 मिलियन तक पहुंच गई थी, जो 1960 के बाद सबसे अधिक संख्या थी। यूएस के करीबी देश हैती में कोरोना आर्थिक कठिनाई, राष्ट्रपति की हत्या और बाद में बड़े भूकंप की वजह से यहां के निवासियों को दूसरे देशों में प्रवास के लिए मजबूर कर दिया था। इसी तरह यूरोपीय संघ ने अवैध रूप से प्रवेश करने वाले लोगों की संख्या में 2020 की तुलना में 70 प्रतिशत की वृद्धि देखी। बेलारूस ने प्रवासियों को लातविया, लिथुआनिया और पोलैंड में प्रवेश करने के लिए अपने क्षेत्र को पार करने के लिए प्रोत्साहित किया ताकि यूरोपीय संघ पर 2020 के बेलारूसी राष्ट्रपति चुनाव में धांधली का विरोध करने के लिए लगाए गए प्रतिबंधों को समाप्त करने के लिए दबाव डाला जा सके। तालिबान द्वारा अफगानिस्तान में दोबारा सत्ता हथियाने बाद बढ़ी संख्या में अफगानी नागरिकों ने दूसरे देशों में पलायन कर प्रवासी संकट में इजाफा करने का काम किया।

विभिन्न उत्पादों की सप्लाई बाधित हुई
2021 में ‘सप्लाई चेन’ सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाला शब्दों में शुमार हुआ। दशकों से यह मान्यता रही है कि आउटसोर्सिंग उत्पादन सफलता की कुंजी है। उस रणनीति पर काम करने वाली कंपनियों के मुनाफे में लगातार वृद्धि देखी गई। लेकिन कोरोना के बाद स्थिति बदल गई। जब महामारी पहली बार आई, तो कारखाने बंद हो गए और कई कंपनियों ने बिना बिके माल के फंसने से बचने के लिए इन्वेंट्री को कम होने दिया। लेकिन जब 2021 में टीके उपलब्ध होने के कारण उपभोक्ता मांग बढ़ी, तो कई कंपनियों ने खुद को पाट्र्स की उपलब्धता और सप्लाई के मामले में कम पाया। दुनिया भर के बंदरगाहों पर शिपिंग कंटेनरों और बैकअप की कमी ने इस समस्या को और भी जटिल बनाया।

मार्च में एक कंटेनर जहाज एवर गिवन स्वेज नहर में फंस गया, जिससे दुनिया के प्रमुख जल मार्गों में से एक को एक सप्ताह के लिए अवरुद्ध कर दिया गया और एक दिन में 9.6 बिलियन घाटे का अनुमान लगाया गया। 2021 में कम आपूर्ति वाले अन्य सामानों में गैसोलीन, ताड़ का तेल, चिकन, मक्का, क्लोरीन और हाॅट डाॅग शामिल थे। यहां तक कि जब आपूर्ति प्रचुर मात्रा में थी, श्रम अक्सर कम आपूर्ति में था। अकेले संयुक्त राज्य अमेरिका में, महामारी की शुरुआत से कार्यबल के आकार में पांच मिलियन लोगों की गिरावट आई है। कोरोना के कारण आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान, जिसने मुद्रास्फीति में दुनिया भर में उछाल का योगदान दिया है, जो वर्षों तक बना रह सकता है।

महंगाई की मार से बदला पूरा संसार
कोरोना जिस तरह हर पल दुनिया में फैलता गया उसी तरह महंगाई ने भी अपने पैर पसारते हुए दुनिया भर को अपनी चपेट में ले लिया। अत्यधिक आर्थिक मंदी के साथ-साथ महंगाई को तेजी से बढ़ते हुए देखा गया। असंख्य लोगों ने पलायन किया। लाखों लोगों के कारोबार गए और न जाने कितने कारोबारों पर ताले पड़ गए। कारोबार कंपनियांे में ताले पड़ने से संसाधनों की कमी हुई। जिसके बाद निरंतर मांग ने वस्तुओ की कीमत बढ़ा दी। संसाधनों के साथ खाने-पीने की वस्तुओं में भी कटौती आई जिससे भूख की चपेट में आकर कितनी ही जानें गईं वहीं भूख के आगे हिम्मत हारते हुए लोगों ने अपने प्राण त्याग दिए।

टोक्यो ओलंपिक
इस साल टोक्यो ओलंपिक 2020 ग्रीष्मकालीन का आयोजन हुआ। जिसमें भारत ने कई ऐतिहासिक पदक हासिल किए। तस्वीर में टैलेंट जिमनास्टिक महिला फाइनल के दौरान स्वर्ण पदक जीतने के लिए चीन की गुआन चेन चेन ओलंपिक में बैलेंस बीम पर प्रदर्शन करती नजर आ रही हैं।

अफगानिस्तान में तालिबान की वापसी
अफगानिस्तान में करीब दो दशक पहले तालिबान को ख़त्म करने की अमेरिका की मुहिम इस साल, वहां तालिबान सरकार की वापसी के साथ ही खत्म हो गई। अमेरिकी सेना के पूरी तरह वापिस लौटने से पहले ही अफगानिस्तान की राष्ट्रीय सेना ताश के पत्तों की तरह बिखर गई और तालिबान ने देश पर कब्जा करना शुरू कर दिया। 15 अगस्त को राजधानी काबुल में हजारों विदेशी फंस गए और एक सौ से अधिक अमेरिकी नागरिकों और 300,000 अफगानों को पीछे छोड़ दिया। बिडेन ने वापसी को ‘असाधारण सफलता’ कहा। लेकिन अधिकांश अमेरिकी इससे असहमत थे जिस चलते उनकी लोकप्रियता में बड़ी गिरावट देखी गई।

जलवायु परिवर्तन की चुनौती पर सभी देश विफल
‘मानवता के लिए रेड कोड’ इस तरह संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने अगस्त में जारी संयुक्त राष्ट्र की रिपोर्ट का वर्णन किया जिसमें निष्कर्ष निकाला गया कि मानवता विनाशकारी जलवायु परिवर्तन का सामना करती है। 2021 में चरम मौसम समाचारों पर हावी रहा। सूखे ने दक्षिण- पश्चिम अमेरिकी देश तबाह कर दिया। रिकाॅर्ड बाढ़ ने बेल्जियम और पश्चिमी जर्मनी को तबाह कर दिया। देर से आने वाले मानसून ने भारत और नेपाल में तबाही मचाई। राष्ट्रपति बिडेन ने कार्यालय में अपने पहले दिन पेरिस जलवायु समझौते में फिर से शामिल होने के लिए संयुक्त राज्य अमेरिका को प्रतिबद्ध किया। चीन ने सितंबर में विदेशों में कोयले से चलने वाले बिजली संयंत्रों के वित्तपोषण को बंद करने पर सहमति व्यक्त की। आइसलैंड ने कार्बन डाइआॅक्साइड को हवा से बाहर निकालने की सुविधा खोली। नवंबर में ग्लासगो में सीओपी-26 की बैठक में देशों ने मीथेन उत्सर्जन में कटौती सहित जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए कदम उठाने का संकल्प लिया।

2021 में कार्बन उत्सर्जन में उछाल आया क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था में फिर से जान आ गई। यहां तक कि जब राष्ट्रपति बिडेन ने एक प्रमुख बुनियादी ढांचे के बिल में जलवायु परिवर्तन को संबोधित करने के लिए कांग्रेस पर दबाव बनाया। उन्होंने ओपेक से गैसोलीन की कीमतों को कम करने के लिए तेल उत्पादन बढ़ाने के लिए कहा।

बारबाडोस बना गणतंत्र
कैरेबियाई द्वीप का देश बारबाडोस अपने औपनिवेशिक अतीत को पीछे छोड़ते हुए पिछले महीने 30 नवंबर को आधिकारिक तौर पर एक गणतंत्र देश बन गया। बारबाडोस के लोगों के लिए यह खास क्षण था। पूरे द्वीप में स्क्रीन लगाई गई थी ताकि लोग उस घटना को देख सकें जिसमें कई कलाकारों के साथ एक आॅर्केस्ट्रा का आयोजन किया गया। इसे आॅनलाइन भी प्रसारित किया गया। ब्रिटेन से 1966 में स्वतंत्रता प्राप्त करने के 55 साल बाद बारबाडोस एक गणतंत्र बना है।

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