[gtranslate]
Country

बंगाल में कांग्रेस-सीपीएम गठबंधन के बावजूद तृणमूल और भाजपा के बीच ही रहेगी टक्कर

कोरोना का कहर जारी है और बिहार के विधानसभा चुनाव के बाद अब बंगाल की तैयारी है। बंगाल में राजनीतिक पार्टियों की गहमागहमी देखकर लगता है कि चुनाव का बिगुल बज चुका है। हांलाकि बीजेपी ने लोकसभा चुनाव में ही कह दिया था कि यह तो सेमीफाइनल है आगे फाइनल तो अभी आने वाला है। बीजेपी अपना लाव-लश्कर लेकर बंगाल में पिछले कुछ महीनों से घुसी हुई है और ममता बनर्जी की टेंशन बढ़ा रही है। ममता बनर्जी अपने भाषणों के द्वारा बीजेपी को जवाब दे रही हैं। बीजेपी इस बार बंगाल को जीतने के लिए पुर-जोर कोशिश में लगी हुई है। बंगाल की राजनीति में शुरू से ही मार-काट का सिलसिला चलता आ रहा है। चाहे सीपीएम की सरकार हो या कांग्रेस की या फिर ममता बनर्जी की हो। ममता अब सीपीएम को ज्यादा तूल नहीं दे रही जितना की बीजेपी को दे रही है। क्योंकि इस बार ममता की सीधी टक्कर बीजेपी से है ना कि कांग्रेस या सीपीएम से। बंगाल पर 34 साल तक कम्युनिस्टों ने राज किया इससे पहले कांग्रेस का शासन रहा। ममता ने कम्युनिस्टों के गढ़ को तोड़ा और सत्ता हासिल की।

अब बंगाल की राजनीति में कई नए ट्विस्ट आ रहे हैं। एक तरफ ममता का मुकाबला बीजेपी से तो वहीं दूसरी तरफ ममता के वोट बैंक को कांग्रेस सीपीएम ने हथियाने के लिए हाथ मिला लिया है। हाल ही कांग्रेस के बंगाल से सांसद और पार्टी अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने कहा कि ‘कांग्रेस आलाकमान ने पश्चिम बंगाल के विधानसभा चुनाव में वाम दलों के साथ गठबंधन को आज औपचारिक रूप से स्वीकृति प्रदान की। और इस
गठबंधन को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी हरी झंडी दिखा दी है। 2016 के विधानसभा के चुनावों में, सीपीआई (एम) की केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल में कांग्रेस के साथ एक सामरिक सीट-साझाकरण समझ के फैसले को खारिज कर दिया था। बाद के चुनावों में, कांग्रेस ने 44 सीटें जीतीं और वाम मोर्चा सिर्फ 32 सीटों पर अपना परचम लहरा सका।

2019 के लोकसभा चुनाव में राज्य की 42 सीटों में से बीजेपी ने 18 सीटें जीतकर सबको चौंका दिया। बीजेपी को पिछले चुनावों की तुलना में सीधे  16 सीटों का फायदा हुआ, जबकि ममता बनर्जी की टीएमसी 34 से घटकर 22 सीटों पर आ गई। कांग्रेस को सिर्फ दो सीटें मिलीं और लेफ्ट फ्रंट का तो खाता भी नहीं खुला। बीजेपी को 40.64% फीसदी वोट मिले जबकि टीएमसी को सिर्फ 3 फीसदी ज्यादा। बीजेपी का वोट शेयर 22 फीसदी बढ़ गया इस चुनाव में। वहीं कांग्रेस को सिर्फ 5.67% फीसदी वोट और लेफ्ट को 6.34% फीसदी वोट मिले। अगर हम 2019 के चुनावों को देखते है तो पता चलता है कि बीजेपी ने बंगाल की 295 सीटों में से 122 इलाकों पर बढ़त हासिल हुई है। कांग्रेस 9 विधानसभा सीटों पर बढ़त के साथ दिखी लेकिन लेफ्ट पार्टियों का कहीं भी नामोनिशान नहीं दिखा यानी एक भी सीट ऐसी नहीं थी जहां लेफ्ट को बढ़त मिलती दिखी हो। माना जाता है कि लोकसभा चुनाव में बीजेपी को सीपीएम और कांग्रेस का वोट बैंक हासिल हुआ था।

पश्चिम बंगाल में 2016 के विधानसभा चुनाव के नतीजे काफी अलग रहे थे। 211 सीटों पर तृणमूल कांग्रेस इस चुनाव में जीती थी और ममता  बनर्जी दमदार जीत के साथ सत्ता में आई थीं। जबकि कांग्रेस को 44 सीटों पर जीत मिली थी। लेफ्ट फ्रंट की सीपीएम को 26 सीटों पर जीत मिली थी। और बीजेपी सिर्फ 3 सीटें जीत पाई थी। लेकिन उसके बाद 2018 के पंचायत चुनावों में जबरदस्त चुनावी हिंसा के बीच बीजेपी 500 से ऊपर ग्राम पंचायत सीटें जीतने में कामयाब रही। 2019 के लोकसभा चुनावों में 18 सीटें यानी लोकसभा की लगभग 40 फीसदी सीटें जीतने में कामयाब रही।

बंगाल की राजनीति में पुराने दलों का हाशिए पर जाने का इतिहास रहा है। पहले बंगाल में कांग्रेस का गढ़ था। 1952 के चुनाव में कांग्रेस ने 238 में से 150 सीटें जीतकर अपनी पैठ बनाई तो सिलसिला 1957, 1962 में भी जारी रहा। लेकिन पहली बार 1967 के चुनाव में कांग्रेस के समर्थन से राज्य में यूनाइटेड फ्रंट की गठबंधन सरकार बनी तो 1969 में बांग्ला कांग्रेस की सरकार चली। 1972 के चुनाव में सिद्धार्थ शंकर रे की अगुवाई में कांग्रेस ने  सत्ता में जबरदस्त वापसी की। इस चुनाव में कांग्रेस ने 280 सीटों में से 216 पर जीत हासिल की। पंरतु बाद में कांग्रेस से भी बंगाल के लोग ऊब  गए और 1977 में सियासी पासा पलट गया।

सीपीएम की अगुवाई में लेफ्ट फ्रंट ने 294 सीटों में से 231 जीतकर सत्ता पर कब्जा कर लिया और ज्योति बसु के हाथ में राज्य की कमान आई। 1982 में फिर लेफ्ट पार्टियां 238 सीटों पर विजयी रहीं। 1987, 1991 और 1996 के चुनाव में भी ज्योति बसु का जादू बरकरार रहा। बंगाल में 2001 और 2006 के चुनाव में भी बुद्धदेब भट्टाचार्य की अगुवाई में लेफ्ट की सरकार बनी। बंगाल की सियासत में सबसे बड़ा उलटफेर का दौर 2011 के चुनाव में ममता बनर्जी के सियासी उभार के बाद आया। इस चुनाव में तृणमूल कांग्रेस और कांग्रेस के गठबंधन ने 294 में से 227 सीटें जीती जबकि लेफ्ट को सिर्फ 62 सीटों पर संतोष करना पड़ा। ममता ने बंगाल की सत्ता संभाली और अगले चुनाव यानी 2016 के चुनाव में दीदी ने अपना किला और मजबूत करते हुए टीएमसी को अकेले दम पर 211 सीटें जिताया। ममता का मां, मानुष और माटी का नारा खूब चला था।

2019 का लोकसभा चुनाव में सीपीएम और कांग्रेस ने मिलकर चुनाव लड़ा था। लेकिन कुछ खास हाथ नहीं लगा। एक बार फिर कांग्रेस और सीपीएम आने वाले लोकसभा चुनाव को मिलकर लड़ रहे है। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि अगर कांग्रेस और सीपीएम मिलकर चुनाव लड़ते है तो इसका सीधा फायदा बीजेपी को होगा। क्योंकि बंगाल में अल्पसंख्यको का वोट बैंक टूटकर बीजेपी के खाते में जाएगा। और ममता बनर्जी को भी इसका नुकसान होगा। कांग्रेस और सीपीएम का वोट शेयर पिछले कई चुनावों में बंगाल में गिर रहा है। जहां सीपीएम ने 34 साल राज्य में शासन किया आज उसे लोकसभा की एक सीट भी नहीं मिल सकी। अब देखना होगा कि आने वाले 2021 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस और सीपीएम का गठजोड़ क्या गुल खिलाता है।

You may also like

MERA DDDD DDD DD
bacan4d toto
bacan4d
bacan4d
bacan4d toto
bacan4d toto
slot gacor
Toto Slot
Bacan4d Login
bacan4drtp
bacan4drtp
situs bacan4d
Bacan4d
slot dana
slot bacan4d
bacan4d togel
bacan4d game
bacan4d login
bacan4d login
bacantoto 4d
slot gacor
slot toto
bacan4d
bacansport
bacansport
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot77 gacor
JAVHD
Bacan4d Login
Bacan4d toto
Bacan4d
Bacansports
bacansports
Slot Dana
situs toto
bacansports
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
bacan4d
slot gacor
bacan4d
bacan4d
bacansport
bacansport
gacor slot
slot gacor777
slot gacor bacan4d
toto gacor
bacan4d
toto slot
bacansports login
Slot Gacor
slot gacor
slot maxwin
toto togel
slot dana
toto gacor
slot gacor
slot777
slot dana
slot gacor
bacansports
bacansport
slot gacor
100 pasaran slot
bacansport
bacansport
bawan4d
bacansports
bacansport
slot gacor
slot gacor
toto slot
bacan4d slot toto casino slot slot gacor