‘महंगाई डायन खाएं जात है’ यह तो आपने बहुत सुना होगा। लेकिन अब यह लोकोक्ति थोड़ा परिवर्तित हो गई है। अब कोरोना काल में गरीब का जीना हुआ मुहाल कहा जा रहा है। इसका उदाहरण कल से चलने वाली स्पेशल ट्रेन है। जिनमें सफर करना गरीब आदमी के बूते से बाहर की बात होगी।
भारतीय रेलवे ने 12 मई से यात्री (पैसेंजर) ट्रेनों का परिचालन फिर से शुरू करने की योजना बनाई है। इसकी शुरुआत 15 जोड़ी ट्रेनों (वापसी यात्रा सहित कुल 30 ट्रेनें) के साथ की जाएगी, जो कि नई-दिल्ली स्टेशन से स्पेशल ट्रेनों के रूप में चलाई जाएंगी। फिलहाल मिडिल क्लास को इसका फायदा नहीं मिलेगा। क्योंकि इन सभी ट्रेनों में सफर करने को मिडिल क्लास के लोगों की जेब वहन नहीं कर सकेगी।
गौरतलब है कि रेलवे ने पहले चरण में 12 मई से नई दिल्ली स्टेशन से डिब्रूगढ़, अगरतला, हावड़ा, पटना, बिलासपुर, रांची, भुवनेश्वर, सिकंदराबाद, बेंगलुरू, चेन्नई, तिरुवनंतपुरम, मडगांव, मुंबई सेंट्रल, अहमदाबाद और जम्मू तवी के बीच 15 स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की है। इन ट्रेनों में मिडिल क्लास के लिए सफ़र करना आसान नहीं होगा।
सूत्रों की माने तो रेलवे 15 राजधानी ट्रेनों को स्पेशल ट्रेन बनाकर इन मार्गों पर चलाने जा रही है, जिसका प्रीमियम किराया (राजधानी के किराए से भी अधिक) वसूल किया जाएगा। सभी ट्रेनें पूर्ण वातानुकूलित (एसी) होंगी। यानी इस ट्रेनों में यात्रा करना मिडिल क्लास की हैसियत से बाहर होगा।
सूत्रों की माने तो 12 मई से चलने वाली 15 ट्रेनों को राजधानी के पाथ पर चलाया जाएगा। यानी आवश्यक नहीँ की ट्रेन आपके स्टेशन पर रुके या नहीं। इतना ही नहीं इन ट्रेनों में ऑपरेटिंग स्टॉपेज को कमर्शियल स्टॉपेज बनाने पर विचार चल रहा है। पर किमी की बाध्यता हटेगी या रहेगी यह कहा नहीं जा सकता।