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  •       प्रियंका यादव

 

राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस की कन्याकुमारी से कश्मीर तक ‘भारत जोड़ो यात्रा’ का समापन हो गया है। इस दौरान राहुल को जिस प्रकार भारी जनसमर्थन मिला उससे जाहिर है कि उनकी छवि बदली है। दूसरी ओर देश के सियासी परिवेश में इस यात्रा से न सिर्फ सत्ता पक्ष बल्कि विपक्ष के लिए बड़े मायने निकाले जा रहे हैं। कहा जा रहा है कि जिस तरह यात्रा को लेकर हर आयु वर्ग में उत्साह नजर आया उसे देख यह यात्रा राहुल और कांग्रेस के लिए ‘गेम चेंजर’ हो सकती है

 

राहुल गांधी के नेतृत्व में करीब चार महीनों तक चली कांग्रेस की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ 30 जनवरी को संपन्न हो गई। श्रीनगर के शेर- ए-कश्मीर स्टेडियम में यात्रा का समापन हुआ। अब सवाल यह उठ रहा है कि यात्रा के बाद राहुल गांधी की छवि बदली? क्या विपक्ष को साधकर प्रधानमंत्री के दावेदार हो सकते हैं राहुल? पदयात्रा के जरिए उन्होंने 14 राज्यों के 75 जिलों को कवर किया। तमिलनाडु के कन्याकुमारी से 7 सितंबर को शुरू हुई इस यात्रा ने करीब 3570 किमी का सफर तय किया है।

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि यात्रा के दौरान जो तस्वीरें सामने आईं और जिस प्रकार राहुल ने गर्मी, बारिश और सर्दी के बीच लगातार हजारों किलोमीटर की पदयात्रा की, इसका लाभ राहुल को मिला और वे अपनी छवि बदलने में सफल रहे। लोग अब कहने लगे हैं कि राहुल कड़ी मेहनत कर रहे हैं वे पार्टी में भी एक सर्वमान्य नेता के तौर पर स्थापित हुए हैं। इसके साथ ही विपक्ष के एक जाने माने नेता के तौर पर उभरे हैं। जाहिर है कि राहुल यह साबित करने में सफल रहे हैं कि उन्हें गंभीरता से लिया जाना चाहिए। सियासत से बाहर भी राहुल खुद को एक नई पहचान दिलाने में काफी हद तक सफल रहे हैं।

दरअसल, राहुल ने नफरत की राजनीति को मुद्दा बना सत्ता पक्ष यानी भाजपा और उसके पितृ संगठन राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के खिलाफ बड़ा और निर्णायक हमला किया। राहुल पहले भी भाजपा और संघ के खिलाफ की राजनीति के खिलाफ तीखे हमले करते रहे हैं। अब यात्रा से राहुल यह संदेश देने में सफल साबित होते दिख रहे हैं कि भाजपा और संघ की विचारधारा के खिलाफ लड़ने वाले नेताओं में वे सबसे आगे और सबसे बेखौफ हैं। साथ ही पीएम मोदी के अलावा ईडी, आईटी और सीबीआई से न डरने की बात वे जिस बेबाकी से कर रहे हैं वह उन्हें केंद्र की सत्ता के खिलाफ एक बड़ा योद्धा बनाता है।

दूसरी ओर राहुल गांधी ने गैर कांग्रेसी विपक्ष को भी बड़ा संदेश दिया। विपक्षी एकता के लिए प्रयासरत नेताओं को राहुल गांधी ने इस यात्रा के माध्यम से सीधा संदेश दे दिया है कि कांग्रेस के अलावा कोई भी ऐसी पार्टी नहीं जिसकी स्वीकार्यता कन्याकुमारी से कश्मीर तक हो। ऐसे में कांग्रेस को साइडलाइन कर विपक्षी एकता का ख्वाब देख रहे नेताओं के लिए भी राहुल की यह यात्रा आंख खोलने वाली मानी जा रही है। गौरतलब है कि ‘नफरत मिटा कर मोहब्बत बांटने आया हूं’ ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान राहुल गांधी द्वारा बोले गए शब्दों ने लाखों लोगों को अपनी ओर खींचा। राहुल की यात्रा उन्हीं राज्यों से होकर गुजरी जहां कांग्रेस का लोकसभा चुनाव के लिए चुनावी फोकस रहा है। यह जन आंदोलन तमिलनाडु के कन्याकुमारी से लेकर केरल, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, तेलंगाना, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, दिल्ली, यूपी, हरियाणा और पंजाब होते हुए कश्मीर तक पहुंची। जहां श्रीनगर में इस यात्रा की क्लोसिंग सेरेमनी की गई। माना जा रहा है कि कांग्रेस पार्टी का यह समापन नहीं बल्कि प्रस्थान बिंदु है।

145 दिन में साढ़े तीन हजार किलोमीटर से ज्यादा पैदल चलने के बाद राहुल ने यात्रा का समापन करते हुए कहा कि यह समापन नहीं शुरुआत है। ऐसे में यह मायने रखता है कि सफल ‘भारत जोड़ो यात्रा’ असल में कितना सफल हुआ है इस पर गौर किया जाना चाहिए। कई राजनीतिक विश्लेषकों के मुताबिक राहुल गांधी की ‘भारत जोड़ो यात्रा’ एक सकारात्मक राजनीतिक अभियान के तौर पर लंबे समय तक याद रखी जाएगी। आरएसएस और विश्व हिंदू परिषद के पदाधिकारियों द्वारा भी ‘भारत जोड़ो यात्रा’ की सराहना की गई है। वहीं कुछ विश्लेषकों का मानना है कि राष्ट्रीय कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल द्वारा की गई इस यात्रा से कुछ हद तक उनकी छवि बदली है। उनका कहना है कि इस यात्रा ने उन विपक्षियों की बोलती बंद कर दी खासतौर से वे जो राहुल गांधी को ‘पप्पू’ कह कर तंज कसा करते थे। इस यात्रा के दौरान लाखों लोगों ने राहुल समेत प्रियंका गांधी से सीधे सम्पर्क किया। इस दौरान उन्होंने गरीब तबके के लोगों की समस्याओं पर उनसे चर्चा की, जिससे लोग प्रभावित हुए। यात्रा के दौरान राहुल का साथ देने के लिए समाज से कई तबके के लोग उनसे जुड़े। जिनमें समाजिक कार्यकर्ता, फिल्म कलाकार, पूर्व सैनिक, पूर्व नौकर शाह, समेत आम लोग भी यात्रा में शामिल हुए।

राहुल की देश भर में बदलती छवि देख विपक्षियों द्वारा कई अफवाहें फैलाई गईं। डी डब्ल्यू की एक रिपोर्ट मुताबिक कांग्रेस की सोशल मीडिया टीम की प्रमुख सुप्रिया श्रीनेत का कहना है कि भारतीय जनता पार्टी ने कम से कम 10-15 ‘बड़े झूठ’ फैलाए जिनमें राहुल गांधी के खाने-पीने और पहनावे से लेकर कैसे पूजा की, शामिल था। यह पहली बार नहीं है जब उन्होंने राहुल गांधी की छवि बिगाड़ने की कोशिश की है और वे फिर ऐसा करेंगे।

भाजपा घबरा गई है कि लगातार चार महीने तक पैदल चलकर राहुल गांधी ने दिखा दिया कि वह एक शाही राजनीतिक परिवार की संतान नहीं बल्कि एक आम आदमी हैं, जो कि आम जन से जुड़े हुए हैं। रिपोर्ट के मुताबिक राजनीतिक विश्लेषक पारसा वेंकटेश्वर जूनियर का कहना है कि ‘गलत हो या सही, बीजेपी के प्रचार के कारण उन्हें लोग एक निकम्मे व्यक्ति के रूप में देखने लगे थे और राहुल उसे बदलने में कामयाब रहे हैं।’

यात्रा के जरिए राहुल से जुड़े लोग
‘भारत जोड़ो यात्रा’ जैसे-जैसे आगे बढ़ती गई वैसे-वैसे राहुल लोगों से जुड़ते चले गए, इस दौरान वे बच्चों को दुलारते, बुजुर्गों को गले लगाते और नौजवानों से कंधे से कंधा मिलाकर चलते दिखे। वहीं इस जनआंदोलन में महिलाओं ने भी बढ़-चढ़कर भाग लिया जिनके साथ राहुल पूरे विश्वास और सहजता से उनके साथ चलते देखे गए। यात्रा के दौरान राहुल ने उनकी समस्याओं को सुना। इसी समय उनकी कई ऐसी तस्वीरें भी सामने आईं। जिससे लोगों ने उनसे भावनात्मक तौर पर जुड़ाव महसूस किया। मां सोनिया गांधी के जूतों के फीते बांधते और बहन प्रियंका गांधी को स्नेह करते राहुल गांधी की तस्वीरें भावुक करने वाली थीं। इसके अलावा यात्रा के दौरान कर्नाटक में राहुल गांधी एक विकलांग नौजवान के साथ चले। दोनों हाथ नहीं होने के बावजूद वह साइकिल का पंचर लगाता है।

राहुल गांधी तेलंगाना में दलित लोगों से मिले और उनकी समस्याओं को सुनते देखे गए। दलित छात्र रोहित वेमुला की मां राधिका वेमुला और उसके परिवार से भी मिले। दरअसल रोहित वेमुला की आत्महत्या का मामला लम्बे समय तक सुर्खियों में रहा था। यात्रा करते हुए राहुल गांधी ने राधिका वेमुला से रोहित वेमुला के जीवन संघर्ष और आकांक्षाओं की कहानी को सुना। इसके अलावा राहुल मध्य प्रदेश में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली ‘महू’ भी गए थे जहां उन्होंने दलितों के जीवन से जुड़ी कुछ कहानियों को सुना। इसी शृंखला में राहुल राजस्थान में औरतों के साथ हाथ वाली मशीन से चारा काटते हुए देखे गए। बेहद सहजता से संवाद करते, हंसते-मुस्कुराते राहुल गांधी की तस्वीरें और वीडियो सोशल मीडिया पर कुछ समय तक बनी रही। उत्तर भारत की आदिवासी, दलित और पिछड़े समुदाय की औरतों की मेहनतकश जिंदगी बहुत संघर्षमय है। लोक में सिद्धांतों और विचारों से ज्यादा ताकतवर किस्से- कहानियां और मुहावरे होते हैं। ज्यादा सहजता और आसानी से जन सामान्य किस्सों कहावतों से जुड़ाव रखता है। यात्रा में जुड़ने वालो के किस्सों के जरिए राहुल गांधी ने लोक स्मृति में अपने लिए एक स्थाई जगह बना ली है।

यात्रा का उदेश्य
‘भारत जोड़ो यात्रा’ का उद्देश्य भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की कथित विभाजनकारी राजनीति के खिलाफ देश को एकजुट करना रहा है। इसके अलावा यात्रा का दूसरा उदेश्य यह भी था कि देश में धर्म, जाति, भाषा, नस्ल के आधार पर हो रहे भेदभाव के खिलाफ लड़ना, लोगों को एकजुट करना जो कि राहुल इसे करने में सफल भी हुए। इसके अलावा इस यात्रा का उद्देश्य केंद्र सरकार द्वारा किये जा रहे सत्ता और सरकारी एजेंसियों के दुरुपयोग के खिलाफ समेत कांग्रेस पार्टी के लिए इस साल होने वाले नौ राज्यों के विधानसभा चुनावों और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव के लिए जनसमर्थन हासिल करना है।

कांग्रेस को मिलेगा फायदा
देश में पहले भी ऐसी कई पद यात्राएं हो चुकी हैं। इन यात्राओं से फायदा भी हुआ लेकिन जब इसका रूप आंदोलन का हो, देश में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की डांडी यात्रा हो या आडवाणी की रथ यात्रा ये सब एक आंदोलन के रूप में शुरू हुईं और सफल रहीं। सियासी तौर पर चंद्रशेखर की देशभर में भारत एकता यात्रा काफी सफल हुई थी। ऐसे ही राजीव गांधी ने भी देश को जानने और समझने के लिए पदयात्रा की थी। तेलंगाना को अलग राज्य बनाने के लिए केसीआर ने पदयात्रा की तो आंध्र प्रदेश में राज शेखर रेड्डी और जगन मोहन रेड्डी ने खुद को सियासी तौर पर स्थापित करने के लिए अलग-अलग समय पर यात्रा निकालीं। ऐसे में अब राजनीतिक जानकर मानते हैं कि जिस प्रकार राहुल को ‘भारत जोड़ो यात्रा’ के दौरान भारी जनसमर्थन मिला है उससे कांग्रेस को फायदा होगा।

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